Last Updated:May 22, 2025, 14:06 IST
Bihar Chunav: बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन में बढ़ सकता है तनाव? कांग्रेस ने तेजस्वी यादव की 'माई-बहिन मान योजना' को अपने बैनर तले लॉन्च कर क्या दे दिया बड़ा संकेत? क्या कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन खतरे में?

कांग्रेस ने तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से इनकार कर दिया है?
हाइलाइट्स
कांग्रेस ने तेजस्वी की योजना को अपने बैनर तले लॉन्च किया.महागठबंधन में तनाव बढ़ने की संभावना.कांग्रेस ने योजना के लिए मिस्ड कॉल नंबर जारी किया.पटना. बिहार चुनाव से पहले हर दिन कुछ न कुछ नया हो रहा है. जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर जहां हर दिन नई चाल चल रहे हैं, वहीं एनडीए में नीतीश कुमार के साथ सीट शेयरिंग और सीएम फेस पर राजनीति गरमाई हुई है. चिराग पासवान से लेकर सम्राट चौधरी और मांझी-कुशवाहा सबकी नींद उड़ी हुई है. इस बीच महागठबंधन में भी कांग्रेस ने अब अपना दांव खेलना शुरू कर दिया है. झारखंड चुनाव में महागठबंधन की जीत के बाद जिस हथियार पर तेजस्वी यादव धार पिजा रहे थे, उसी हथियार को अब कांग्रेस ने हथिया लिया है. झारखंड में हेमंत सोरेन की सत्ता में वापसी कराने वाली योजना ‘माई-बहिन मान योजना’ को कांग्रेस अब बिहार में लागू करेगी. जबकि, तेजस्वी यादव बीते एक साल से इस योजना का बिहार में प्रचार कर रहे थे और इसे लागू करने की बात कर रहे थे. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस ने पटना में बुधवार को तेजस्वी यादव के इस हथियार को क्यों हथिया लिया? क्या महागठबंधन में भी कबड्डी-कबड्डी शुरू होने वाला है?
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव द्वारा शुरू की गई ‘माई-बहिन मान योजना’ को अब कांग्रेस ने अपने बैनर तले लॉन्च कर लिया है. यह योजना, जिसके बल पर तेजस्वी बीते एक साल से बिहार की आधी आबादी को लुभाने की कोशिश कर रहे थे, अब महागठबंधन के भीतर तनाव का कारण बन रही है. तेजस्वी यादव ने दिसंबर 2024 में ‘माई-बहिन मान योजना’ की घोषणा की थी, जिसमें बिहार की हर महिला को प्रति माह 2500 रुपये देने का वादा किया गया. यह योजना झारखंड की ‘मंइयां सम्मान योजना’ से प्रेरित थी, जिसने वहां महागठबंधन को चुनावी लाभ दिलाया.
क्या तेजस्वी यादव को लगेगा जोर का झटका?
तेजस्वी ने इसे बिहार में महिलाओं को सशक्त करने और महंगाई से राहत दिलाने के लिए एक बड़ा दांव बताया. उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार बनने के एक महीने के भीतर यह योजना लागू हो जाएगी. इस घोषणा ने बिहार की सियासत में हलचल मचाई, और सत्तारूढ़ जेडीयू-बीजेपी गठबंधन ने इसे अव्यावहारिक बताकर खारिज करने की कोशिश की.
कांग्रेस का दांव
योजना पर कब्जा 21 मई 2025 को पटना में कांग्रेस ने अचानक उसी ‘माई-बहिन मान योजना’ को अपने बैनर तले लॉन्च कर दिया. अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया कि महागठबंधन की सरकार बनने पर यह योजना लागू होगी. कांग्रेस ने इसे अपनी गारंटी के रूप में पेश किया और इसके लिए मिस्ड कॉल नंबर तक जारी कर दिया. यह कदम तेजस्वी के लिए अप्रत्याशित था, क्योंकि योजना को आरजेडी की पहल के रूप में प्रचारित किया जा रहा था.
महागठबंधन में खटपट?
कांग्रेस ने दावा किया कि कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और झारखंड में उनकी सरकारें पहले से ही ऐसी योजनाएं चला रही हैं, इसलिए यह कोई नई बात नहीं है. साथ ही, उन्होंने कहा कि महागठबंधन की संयुक्त बैठक में इस योजना को लागू करने का फैसला लिया गया था, और यह किसी एक दल की नहीं, बल्कि पूरे गठबंधन की योजना है.
क्या आरजेडी को कांग्रेस से ज्यादा लेफ्ट पर भरोसा?
महागठबधन में तनाव कांग्रेस के इस कदम ने महागठबंधन के भीतर दरार को उजगर कर दिया. तेजस्वी ने इस योजना को अपनी नेतृत्व वाली रणनीति का हिस्सा बनाया था, और इसे 2025 के चुनाव में आरजेडी के पक्ष में माहौल बनाने का हथियार माना जा रहा था. लेकिन कांग्रेस के अलग से प्रचार और मिस्ड कॉल नंबर जारी करने से यह संदेश गया कि वह योजना पर अपना दावा ठोक रही है. कुछ विश्लषकों का मानना है कि कांग्रेस बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है, जहां वह लंबे समय से आरजेडी की छाया में रही है. कांग्रेस के नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने भी तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से इनकार कर दिया है.
यह टकराव महागठबंधन की एकता पर सवाल उठाता है. 2020 के चुनाव में आरजेडी को 75 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को केवल 19 सीटें मिली थीं. इसके बावजूद, कांग्रेस अब ज्यादा सीटों की मांग कर रही है और तेजस्वी की सीएम उम्मीदवारी पर खुलकर समर्थन नहीं दे रही. दूसरी ओर, आरजेडी के समर्थक मानते हैं कि तेजस्वी की लोकप्रियता और ‘माई-बहिन मान योजना’ जैसे वादों के दम पर गठबंधन को जीत मिल सकती है. लेकिन कांग्रेस का यह कदम गठबंधन के भीतर नेतृत्व और क्रेडिट की जंग को दर्शाता है. ‘माई-बहिन मान योजना’ को लेकर महागठबंधन में शुरू हुआ यह सियासी ‘कबड्डी’ बिहार के चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकता है.