मिग 21 बाइसन जा रहा है और LCA Mk 1A आ रहा है, नंबर 3 स्क्वाड्रन कोबरा होगा नाम

21 hours ago

Last Updated:August 06, 2025, 09:58 IST

Indian Airforce MiG-21: मिग 21 ने कई जंग की सूरत बदली है. भारत मिग का दुनिया में सबसे बड़ा ऑपरेटर रहा है. साल 1961 में पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए इसे खरीदने का प्लान बना और साल 1964 में भारतीय वायुसेना में...और पढ़ें

मिग 21 बाइसन जा रहा है और LCA Mk 1A आ रहा है, नंबर 3 स्क्वाड्रन कोबरा होगा नाममिग 21 की जगह लेगा LCA-मार्क -1A

Indian Airforce MiG-21: 1960 के दशक के दुनिया के सबसे बेहतरीन फाइटर जेट्स में से एक रूसी मिग से अमेरिका सहित कई देश भी डरते थे. भारतीय वायुसेना की कभी रीढ़ रहे मिग अब फेज आउट हो रहे हैं. भारतीय वायुसेना में अब महज 2 एक्टिव स्क्वाड्रन मिग 21 बाइसन के मिग-21 बाइसन रिटायर हो जाएंगे और नंबर 3 स्क्वॉड्रन कोबरा और नंबर 23 स्क्वॉड्रन पैंथर्स दोनों की नंबर प्लेटिंग हो जाएगी. सितंबर 2025 में 62 साल की लंबी सेवा के बाद मिग 21 इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे. चंडीगढ़ में एक कार्यक्रम में इस फाइटर जेट को अंतिम विदाई दी जाएगी. अब सवाल है कि आखिर इनकी जगह कौन लेगा? जवाब है स्वदेशी LCA मार्क 1A। इसके पहले स्क्वॉड्रन के लिए फाइटर इसी साल से भारतीय वायुसेना में मिलने शुरू हो जाएंगे.

मिग 21 की लेगेसी जुड़ेगी LCA मार्क 1A के साथ
मिग 21 की आखिरी बची 2 स्क्वॉड्रन इस वक्त नाल एयरबेस पर मौजूद हैं. एक है नंबर 3 स्क्वॉड्रन जिसका नाम है कोबरा तो नंबर 23 स्क्वॉड्रन का नाम पैंथर्स. दोनों की नंबर प्लेटिंग हो जाएगी मतलब इन दो स्क्वॉड्रन के नंबर और इसकी लेगेसी फ्रीज हो जाएगी. जो भी नए एयरक्राफ्ट इन स्क्वॉड्रन में शामिल होंगे उन्हें इन्हीं नाम से जाना जाएगाय फिलहाल नंबर 3 स्क्वॉड्रन में पहला LCA मार्क 1A फाइटर मिलेगा. मिग 21 बाइसन 3 स्क्वॉड्रन का इतिहास भी बहुत दिलचस्प है. पहले यह स्क्वॉड्रन मिग 21 बिज का होता था. जब मिग 21 बिज को बाइसन में अपग्रेड किया गया तो पहले अपग्रेड भी इसी 3 स्क्वॉड्रन में ही आए थे और अब तेजस के एडवांस और अपग्रेडेड वर्जन LCA मार्क 1A भी इसी स्क्वॉड्रन में आ रहे हैं.

वायुसेना का तेजस प्लान
मौजूदा सुरक्षा के लिहाज से भारतीय वायुसेना 42 फाइटर स्क्वॉड्रन के बजाए सिर्फ 31 से ही काम चला रही है. मिग 21 के दो स्क्वॉड्रन के फेजआउट होने के बाद फाइटर स्क्वॉड्रन की संख्या 29 हो जाएगी. जो कि अब तक सबसे कम फाइटर स्क्वॉड्रन स्ट्रेंथ है. इस कमी को पूरा स्वदेशी तेजस से पूरा किया जाना है. पहले 40 तेजस भारतीय वायुसेना के लिए लेने का करार हो चुका है, जिसके दो स्क्वॉड्रन अब तक स्थापित किए जा चुके हैं. स्वदेशी निर्मित 83 तेजस मार्क 1A के लिए करार पूरा हो गया है और ये सभी 83 विमानों की डिलीवरी अब जल्द शुरू हो जाएगी. वायुसेना HAL से 83 एलसीए तेजस मार्क-1A ले रही है, जिसका पहला विमान इसी साल भारतीय वायुसेना को मिल जाएगा. उसके बाद अगले छह साल में सभी 83 तेजस फाइटर जेट एयरफोर्स को दे दिए जाएंगे. इन 83 में से 73 एलसीए तेजस मार्क 1A फाइटर एयरक्राफ्ट होंगे और 10 एलसीए तेजस मार्क 1 ट्रेनर एयरक्राफ्ट होंगे. लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट मार्क 1A को भारत में ही एचएएल ने डिजाइन और डिवेलप किया है और भारत में ही बनाया गया है. यह आधुनिक 4+ जेनेरेशन का फाइटर एयरक्राफ्ट है. साल 2021 में रक्षा मंत्रालय ने 83 तेजस मार्क 1A का ऑर्डर दिया था जिससे कुल 4 स्क्वॉड्रन बनेंगे. तो 5 अतिरिक्त स्क्वॉड्रन के लिए 97 तेजस मार्क 1A की खरीद की मंजूरी भी दे दी गई है. तेजस के कुल 11 स्क्वॉड्रन में 2 आ चुके हैं, बाकी 9 आने हैं. इसके अलावा तेजस मार्क 1A का एडवांस वर्जन यानी की तेजस मार्क-2 पर काम जोर-शोर से जारी है. यह मार्क-1A से ज्यादा मॉडिफाइड होगा.

भारत की बैक बोन रही है मिग 21
भारतीय वायुसेना ने मिग के कई वेरिएंट्स का इस्तेमाल किया जिसमें मिग 21 टाइप 77, मिग 21 बिज (टाइप 75), मिग 21 टाइप 96, मिग 25, मिग 21 बिज, मिग 21 बाइसन और मिग 29 शामिल हैं. मिग 21 टाइप 69 (ट्रेनर), मिग 21 बाइसन और मिग 29 भारतीय वायुसेना के बेड़े में अब भी ऑपरेट कर रहे हैं. मिग 21 बाइसन के रिटायरमेंट के लिए वायुसेना ने हरी झंडी दे दी है, जबकि मिग 29 को हाल ही में अपग्रेड किया गया है और यह 2030 के बाद तक अपनी सेवाएं वायुसेना में देता रहेगा. फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास मिग 21 के दो स्क्वॉड्रन में कुल 31 एयरक्राफ्ट ऑपरेट कर रहे हैं. भारतीय वायुसेना ने 850 के करीब अलग-अलग वेरिएंट्स के मिग एयरक्राफ्ट को ऑपरेट किया है. एक समय तो कुल 19 स्क्वॉड्रन भारतीय वायुसेना के पास थे. हालांकि 1970 के दशक से अब तक 400 से ज्यादा मिग क्रैश हुए और पायलटों की जान गई, इसी के चलते इसे फ्लाइंग कॉफिन के नाम से बुलाया जाने लगा था. किसी भी एयरक्राफ्ट की लाइफ उसके इंजन और उसके एयर फ्रेम पर निर्भर करती है. एक अनुमान के मुताबिक 40 से 42 साल फाइटर एयरक्राफ्ट की उम्र मानी जाती है, जिसमें फ्लाई टाइम 2400 घंटे के करीब होते हैं और मेजर ओवरहॉलिंग के बाद इनकी उम्र को 50 फीसदी तक और बढ़ाया जा सकता है.

First Published :

August 06, 2025, 09:58 IST

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