'मृत लोगों के भी फॉर्म भर दे रहे BLO..' SC में RJD ने गिना दी SIR की 'गड़बड़ी'

7 hours ago

Last Updated:July 27, 2025, 08:49 IST

SC Hearing on SIR: बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर विवाद बढ़ता जा रहा है. ADR और RJD ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग पर अनियमितताओं का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि बूथ लेवल अधिकारी कई मृत लोगों के SIR फॉ...और पढ़ें

'मृत लोगों के भी फॉर्म भर दे रहे BLO..' SC में RJD ने गिना दी SIR की 'गड़बड़ी'बिहार में चल रहे SIR अभियान को लेकर आरजेडी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

हाइलाइट्स

बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर विवाद गहराया.चुनाव आयोग पर अनियमितताओं का आरोप लगाया.RJD का दावा- मृत व्यक्तियों के नाम से भी फॉर्म भरे गए.

बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया को ‘मतदाताओं के साथ गंभीर धोखाधड़ी’ करार देते हुए कई अनियमितताओं का आरोप लगाया.

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग के आंकड़ों की कोई वैधता नहीं है, क्योंकि ज्यादातर फॉर्म बिना दस्तावेज के भरे गए हैं. बड़ी संख्या में मतदाता अपने नाम हटाए जाने के खतरे से जूझ रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि ‘बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) ने मतदाताओं की जानकारी के बिना फॉर्म अपलोड कर दिए. कई मतदाताओं को मैसेज मिला कि उनका फॉर्म जमा हो चुका है, जबकि उन्होंने कभी बीएलओ से मुलाकात ही नहीं की. कुछ मामलों में तो मृत व्यक्तियों के नाम से भी फॉर्म भरे गए.’

RJD ने भी लगाए गंभीर आरोप

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, आरजेडी सांसद मनोज झा ने अपने हलफनामे में मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि कई मतदाताओं ने शिकायत की है कि बीएलओ उनके घर आए ही नहीं, फॉर्म की कॉपी नहीं दी गई और फोटो भी नहीं लिए गए. झा ने आरोप लगाया कि कई बीएलओ वोटर्स के दस्तखत खुद कर रहे हैं और मनमाने ढंग से फॉर्म अपलोड कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी व्यक्ति को मतदाता बनने और वोट देने के अपने संवैधानिक अधिकार के लिए नागरिकता के दस्तावेज चुनाव आयोग को दिखाने को कहा गया है.’

सवाल में SIR की पारदर्शिता

वहीं एडीआर ने कोर्ट में कहा कि ‘यह पूरा संशोधन अभियान पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है. लाखों मतदाता भ्रमित हैं और उन्हें जानकारी ही नहीं कि उनके दस्तावेज़ कहां से अपलोड हुए.’

ADR ने कहा, ‘बीएलओ की तरफ से खाली फॉर्मों पर हस्ताक्षर कर देना और दस्तावेज़ों के बिना नाम जोड़ना यह साबित करता है कि SIR की पूरी प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में है. यह लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है.’

याचिकाकर्ताओं ने पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की उस राय का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने SIR के औचित्य पर सवाल उठाए थे. साथ ही, सुप्रीम कोर्ट की ओर से आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को वैध दस्तावेज़ मानने की सिफारिश को न मानने के चुनाव आयोग के फैसले की भी आलोचना की. उन्होंने कहा, ‘चुनाव से कुछ महीने पहले इस तरह की कवायद सिर्फ भ्रम पैदा कर रही है और लाखों मतदाताओं के वोट कटने की आशंका बनी हुई है.’

अब इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला करता है, यह आने वाले बिहार विधानसभा चुनावों पर बड़ा असर डाल सकता है.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...

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