मोदी सरकार में 1.5 साल में 10 लाख युवाओं को पक्की नौकरी मिलना बड़ी उपलब्धि

13 hours ago
PTI)मोदी सरकार में 10 लाख युवाओं को पक्की नौकरी मिली है. (Image:PTI)

नई दिल्ली. नया साल आने को है, ऐसे में इस साल की कुछ उपलब्धियों पर नजर डालनी चाहिए. एक बड़ी उपलब्धि तो यही है कि 23 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की 45 जगहों पर हुए रोजगार मेले में 71 हजार युवाओं को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ज्वॉइनिंग लेटर बांटे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि पछले डेढ़ साल में उनकी सरकार ने करीब 10 लाख युवाओं को पक्की सरकारी नौकरियां दी हैं. सवाल यह है कि क्या विपक्ष इस दावे को खारिज कर सकता है? आम तौर पर विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार की आलोचना करते हुए देश में युवाओं को रोजगार नहीं मिलने या बेरोजगारी बढ़ने का आरोप बिना सोचे-समझे जड़ देती हैं. अब जब प्रधानमंत्री ने करीब 10 लाख सरकारी पक्की नौकरियां देने की जानकारी दी है, तो क्या अब विपक्षी पार्टियां इसे झूठा दावा करार दे सकती हैं? जाहिर है कि वे ऐसा नहीं कर सकतीं. देश में सरकारी और निजी क्षेत्र की नौकरियों का आंकड़ा देखें, तो केंद्र सरकारी के विभिन्न विभागों में करीब 10 लाख सरकारी नौकरियां लगना बड़ी उपलब्धि है.

रोजगार मेला लगातार जारी
पहला रोजगार मेला 22 अक्टूबर, 2022 को लगाया गया था. उसमें 75 हजार से ज्यादा सरकारी नौकरियों के नियुक्ति पत्र बांटे गए थे. उसके बाद 22 नवंबर, 2022, 20 जनवरी, 2023 और 13 अप्रैल, 2023 को 71-71 हजार से ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरियां दी गईँ. पांचवां रोजगार मेला 16 मई, 2023 में लगाया गया था, जिसमें 70 हजार से ज्यादा सरकारी नौकरियों के नियुक्ति पत्र बांटे गए थे. इसी तरह छठे और सातवें मेले में 13 जून, 2023 और 22 जुलाई, 2023 को भी 70-70 हजार से ज्यादा युवाओं को नौकरियां दी गई थीं. इसके बाद 28 अगस्त, 2023, 26 सितंबर, 2023, 28 अक्टूबर, 2023, 30 नवंबर, 2023 को 51-51 हजार से ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरियों के नियुक्त पत्र बांटे गए थे. बारहवें रोजगार मेले में एक लाख से ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरयों से जोड़ा गया. उसके बाद 23 दिसंबर, 2024 को 71 हजार से ज्यादा सरकारी नौकरियां दी गईं हैं.

डेढ़ साल में 10 लाख सरकारी नौकरियां दी गईं
अब अगर आप कहें कि करीब 140 करोड़ की आबादी में से पिछले करीब डेढ़ साल में अगर करीब 10 लाख सरकारी नौकरियां दी गई, तो यह बहुत नहीं है, तो जान लीजिए कि देश में सबसे ज्यादा नौकरियां निजी क्षेत्र में ही उपलब्ध हैं. हर देश में ऐसा ही होता है. साल 2024 में 16 सितंबर को प्रकाशित ईटीवी भारत की रिपोर्ट के मुताबिक देश में सरकारी नौकरियों के लिए युवाओं में ललक बहुत ज्यादा रहती है. रिपोर्ट के अनुसार यूपी में पुलिस कॉन्स्टेबलों के 60 पदों पर भर्ती निकाली गई, तो 48 लाख युवाओं ने आवेदन किए. इस तरह सेलेक्शन अनुपात रहा महज सवा फीसदी. सेना की भर्ती में नियुक्ति अनुपात तीन से चार प्रतिशत रहता है. इसी तरह देखा जा रहा है कि मैसेंजर जैसे बहुत कम अर्हता वाली सरकारी नौकरियों के लिए पीएचडी कर चुके बहुत से युवा आवेदन करते हैं.

आखिर कितनी नौकरियां
अब नजर डालते हैं कि देश में निजी और सरकारी नौकरियों की संख्या आखिर है कितनी? रिपोर्ट बताती है कि पूरे भारत में 15 करोड़, 20 लाख लोग निजी और सरकारी नौकरियों में नियुक्त हैं. इनमें केंद्र और राज्य सरकारों की नौकरियां करने वाले पुरुष और महिलाओं की संख्या एक करोड़, 40 लाख शामिल है. आंकड़े बताते हैं कि देश में हर सौ नौकरियों में दो नौकरियां ही सरकारी हैं. दूसरे शब्दों में कहें, तो देश में हर सौ में से काम करने की उम्र वाले सिर्फ 1.4 लोग ही सरकारी नौकरी पा सकते हैं. ऐसे में अगर सिर्फ करीब डेढ़ साल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने करीब 10 लाख युवाओं को केंद्र की सरकारी नौकरियां दी हैं, तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि ही कही जानी चाहिए.

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निजी क्षेत्र की नौकरियों की अपनी समस्याएं
साफ है कि देश के ज्यादातर युवाओं को सरकारी नौकरियां नहीं मिल सकतीं और उन्हें तकनीकी कर्स कर या फिर कौशल बढ़ा कर निजी क्षेत्र में ही रोजगार तलाशने की जरूरत है. निजी क्षेत्र की नौकरियों में मैनेजमेंट की मनमानी या मजबूरी की वजह से असुरक्षा की भावना आम तौर पर युवाओं के मन में घर किए रहती है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अगर आप अपना काम पूरी कुशलता, निष्ठा और ईमानदारी से करते हैं, तो आपको नौकरी से निकाल दिया जा सकता है. सही है कि सरकारी नौकरियों में वर्तमान और भविष्य की सुरक्षा ज्यादा रहती है और युवाओं को पहले सरकारी नौकरियां पाने की कोशिश करनी चाहिए. लेकिन जब वहां नाकाम हो जाएं, तो प्राइवेट नौकरी हासिल करना बुरी बात नहीं है. क्योंकि देश में लोगों की मानसिकता सरकारी नौकरियों को ही संतुष्टिदायक रोजगार मानने की ज्यादा है, इसलिए कथित तौर पर बेराजगारी बढ़ने का सियासी आरोप सही नहीं हो सकता. असलियत यही है कि केंद्र और राज्य सरकारें बेहद सीमित संख्या में नौकरियां दे सकती हैं. बड़ी संख्या में युवाओं को निजी क्षेत्र में ही रोजगार तलाशने होंगे.

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FIRST PUBLISHED :

December 25, 2024, 17:41 IST

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