Last Updated:September 16, 2025, 18:00 IST
संयुक्त कमांडर्स’ कॉन्फ्रेंस 2025 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों को अदृश्य खतरों से सतर्क रहने, आत्मनिर्भरता, संयुक्तता और प्रधानमंत्री मोदी के “JAI-Jointness, Aatmanirbharta, Innovation” मंत्र पर जोर दिया.

संयुक्त कमांडर्स’ कॉन्फ्रेंस 2025 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों को पारंपरिक युद्ध की धारणाओं से आगे बढ़ने और बदलते समय के साथ आने वाले अदृश्य खतरों से निपटने के लिए सतर्क रहने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि आज सुरक्षा परिदृश्य में सूचना युद्ध, वैचारिक संघर्ष, पर्यावरणीय खतरे और जैविक युद्ध जैसी चुनौतियां तेजी से सामने आ रही हैं, जिनसे निपटने के लिए निरंतर तैयारी आवश्यक है.
इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.
बदलती युद्ध की प्रकृति
रक्षा मंत्री ने कहा कि वैश्विक संघर्षों ने यह साबित कर दिया है कि आधुनिक युद्ध न केवल अचानक और अप्रत्याशित होते हैं बल्कि उनकी अवधि का अनुमान लगाना भी कठिन है. उन्होंने कहा, “यह दो महीने भी हो सकते हैं और पाँच साल तक भी खिंच सकते हैं, इसलिए हमें अपनी ‘सर्ज कैपेसिटी’ हमेशा पर्याप्त रखनी होगी”.
प्रधानमंत्री के विज़न पर ज़ोर
राजनाथ सिंह ने बलों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “सुदर्शन चक्र” की संकल्पना को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाने का आह्वान किया. उन्होंने बताया कि इसके लिए एक समिति बनाई गई है, जो ठोस कार्ययोजना तैयार कर रही है. उन्होंने सेनाओं से अगले पाँच वर्ष की मध्यम अवधि की और अगले दस वर्ष की दीर्घकालिक योजना बनाने का भी सुझाव दिया.
“जय” मंत्र और आत्मनिर्भरता
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत का रक्षा क्षेत्र आधुनिकीकरण, परिचालन तत्परता, तकनीकी श्रेष्ठता और विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता पर केंद्रित है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए “JAI – Jointness, Aatmanirbharta, Innovation” मंत्र को भविष्य की दिशा बताते हुए उद्योग और शिक्षा जगत से गहरी भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया.
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता केवल नारा नहीं बल्कि आवश्यकता है, जो सामरिक स्वायत्तता की कुंजी है. उनके अनुसार, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता न केवल आर्थिक विकास को गति दे रही है बल्कि रोजगार भी सृजित कर रही है और शिपयार्ड, एयरोस्पेस क्लस्टर और रक्षा कॉरिडोर की क्षमता को भी बढ़ा रही है.
संयुक्तता और तालमेल पर ज़ोर
राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और संयुक्तता को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए “अत्यंत आवश्यक” बताया. उन्होंने त्रि-सेवा लॉजिस्टिक नोड्स और लॉजिस्टिक मैनेजमेंट एप्लिकेशन का उल्लेख किया, जिनसे रक्षा क्षेत्र में एकीकृत ढांचे को मजबूती मिल रही है.
ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण
उन्होंने हाल ही में सम्पन्न ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कहा, “शक्ति, रणनीति और आत्मनिर्भरता – यही तीन स्तंभ हैं जो भारत को 21वीं सदी में नई ताकत देंगे. आज हमारे पास स्वदेशी प्लेटफॉर्म और प्रणालियाँ हैं, जिन्हें हमारे जवानों के साहस ने और मजबूत बनाया है. यही आत्मनिर्भर भारत की असली ताकत है”.
खरीद प्रक्रिया में सुधार
रक्षा मंत्री ने रक्षा खरीद प्रक्रिया को तेज़ और सरल बनाने के लिए हाल ही में स्वीकृत डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल 2025 और संशोधित हो रही डिफेंस एक्विज़िशन प्रोसीजर 2020 का भी उल्लेख किया. उनका कहना था कि इसका उद्देश्य प्रक्रियाओं को सरल बनाना, देरी को कम करना और सेनाओं को त्वरित परिचालन शक्ति उपलब्ध कराना है.
Mohit Chauhan brings over seven years of experience as an Editorial Researcher, specializing in both digital and TV journalism. His expertise spans Defense, Relations, and Strategic Military Affai...और पढ़ें
Mohit Chauhan brings over seven years of experience as an Editorial Researcher, specializing in both digital and TV journalism. His expertise spans Defense, Relations, and Strategic Military Affai...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
September 16, 2025, 18:00 IST