अक्सर कहा जाता है कि भारत की सबसे कठिन परीक्षा पास करने वाले आईएएस (IAS) अधिकारी देश के सबसे तेज दिमाग वाले लोग होते हैं. मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में इन दिनों देश के भविष्य के कर्णधारों का प्रशिक्षण चल रहा है. लेकिन, हाल ही में वहां जो हुआ, वह न केवल हैरान करने वाला है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अचानक एक प्रोफेसर की भूमिका में नजर आए. उन्होंने 600 ट्रेनी अधिकारियों से गणित का एक ऐसा सवाल पूछा जो सुनने में बेहद आसान था, लेकिन उसका जवाब देने में हॉल में सन्नाटा पसर गया. सिर्फ एक अफसर ने जवाब दिया.
मौका था लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में 100वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के समापन समारोह का. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बतौर मुख्य अतिथि वहां मौजूद थे. हॉल में लगभग 600 ट्रेनी आईएएस अधिकारी और सीनियर अफसर बैठे हुए थे. माहौल गंभीर था और सभी रक्षा मंत्री के संबोधन को ध्यान से सुन रहे थे. अचानक, अपने भाषण के बीच में राजनाथ सिंह रुके और उन्होंने माहौल को थोड़ा हल्का बनाने का फैसला किया. उन्होंने माइक पर अपनी विशिष्ट शैली में कहा, मैं आप सभी से एक छोटा सा सवाल पूछना चाहता हूं. हॉल में मौजूद सभी ट्रेनी अधिकारी सतर्क हो गए. यूपीएससी (UPSC) की कठिन बाधाओं को पार करने वाले इन युवाओं को लगा कि शायद कोई कूटनीति या प्रशासन से जुड़ा जटिल सवाल आने वाला है. लेकिन राजनाथ सिंह ने जो पूछा, वह शुद्ध गणित था.
राजनाथ सिंह सवाल पूछा, एक व्यक्ति के पास कुछ पैसे थे. उसने उस राशि का आधा हिस्सा ‘A’ को दिया, एक-तिहाई हिस्सा ‘B’ को दिया, और शेष बची हुई 100 की राशि ‘C’ को दे दी. अब मुझे बताइए कि कुल राशि कितनी थी? सवाल सुनने में सीधा और सरल लग रहा था. यह कक्षा 6 या 7 के स्तर का साधारण इक्वेशन का प्रश्न था. लेकिन रक्षा मंत्री के सामने बैठे देश के 600 सबसे मेधावी छात्र एकदम चुप हो गए. हॉल में सन्नाटा छा गया. जिन दिमागों ने देश की सबसे कठिन परीक्षा में टॉप किया था, वे इस साधारण से सवाल पर अटक गए थे. रक्षा मंत्री ने मुस्कुराते हुए सवाल दोहराया. लगभग 8 सेकंड तक कोई जवाब नहीं आया. यह 8 सेकंड का सन्नाटा वहां मौजूद अधिकारियों के लिए काफी भारी था.
एक अफसर ने दिया जवाब
तभी भीड़ में से एक ट्रेनी अधिकारी ने हिम्मत जुटाई और जवाब दिया- 3000. राजनाथ सिंह ने सिर हिलाया और मुस्कुराते हुए कहा, गलत, फिर से कोशिश कीजिए. यह एक अजीब स्थिति थी. देश की सबसे प्रतिष्ठित अकादमी के भीतर, सैकड़ों युवा अधिकारियों के बीच एक साधारण गणितीय पहेली एक चुनौती बन गई थी. क्या यह सवाल का डर था, या रक्षा मंत्री की उपस्थिति का दबाव? या फिर स्मार्टफोन्स और कैलकुलेटर के दौर में मानसिक गणना (Mental Math) की आदत छूट जाना?
49 सेकंड बाद मिला सही जवाब
माहौल में तनाव और उत्सुकता दोनों थी. लगभग 49 सेकंड बीत चुके थे. एक मिनट पूरा होने ही वाला था कि तभी भीड़ के एक कोने से एक दबी हुई लेकिन स्पष्ट आवाज आई- सर 600. राजनाथ सिंह की आंखों में चमक आ गई. उन्होंने तुरंत पूछा, किसने कहा 600? एक ट्रेनी अधिकारी ने अपना हाथ ऊपर उठाया. रक्षा मंत्री ने उसे शाबाशी देते हुए कहा, हां, यह बिल्कुल सही जवाब है.
तो कैसे बना सवाल और जवाब
मान लीजिए कुल राशि रुपयेxरुपये है. प्रश्न के अनुसार समीकरण होगा: रुपयेx/2 + रुपये/3 + 100 = xरुपये. जब आप इसे हल करेंगे, तो xरुपये – (5x/6) = 100रुपये होगा, जिसका अर्थ है रुपयेx/6 = 100रुपये, अतः xरुपये = 600रुपये.)
अधिकारियों के लिए बड़ा सबक
इस छोटी सी घटना ने वहां मौजूद सभी लोगों को एक बड़ा संदेश दिया. राजनाथ सिंह ने इस वाकये के जरिए युवा नौकरशाहों को ‘प्रेसेंस ऑफ माइंड’ (Presence of Mind) का महत्व समझाया. उन्होंने कहा कि एक सिविल सर्वेंट को हमेशा, हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे सीमा पर हमारे सैनिक तैयार रहते हैं.यह महज एक गणित का सवाल नहीं था, बल्कि यह जांचने का तरीका था कि दबाव की स्थिति में आपका दिमाग कितनी तेजी से और कितना सटीक काम करता है. यूपीएससी पास कर लेना ही काफी नहीं है, बल्कि व्यावहारिक जीवन में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता ही एक अधिकारी को सफल बनाती है.
सिविल-मिलिट्री फ्यूजन और ‘ऑपरेशन सिंदूर’
गणित की इस क्लास के बाद, रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन को राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रशासन के गंभीर मुद्दों की ओर मोड़ा. उन्होंने ‘सिविल-मिलिट्री फ्यूजन’ (नागरिक और सैन्य समन्वय) पर जोर दिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि आज के दौर में युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं लड़े जाते, बल्कि सूचना और प्रशासन के स्तर पर भी लड़े जाते हैं.इस संदर्भ में, रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर का विशेष उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन नागरिक प्रशासन और सशस्त्र बलों के बीच तालमेल का एक बेहतरीन उदाहरण है. राजनाथ सिंह ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर सिविल-मिलिट्री फ्यूजन का एक शानदार उदाहरण है, जहां प्रशासनिक तंत्र ने सशस्त्र बलों के साथ मिलकर महत्वपूर्ण सूचनाओं का संचार किया और जनता का विश्वास बनाने का काम किया. हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर के बारे में सार्वजनिक डोमेन में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है, लेकिन रक्षा मंत्री के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा कोई महत्वपूर्ण मिशन रहा होगा, जिसमें नौकरशाही ने सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया.
पड़ोसी मुल्क को कड़ा संदेश
अपने संबोधन के दौरान रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान और पीओके (PoK) में आतंकी शिविरों पर की गई कार्रवाई का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूरऔर अन्य मिशनों के दौरान एक संतुलित और नॉन एस्कलेटरी प्रतिक्रिया के तहत आतंकी ठिकानों को नष्ट किया.उन्होंने पड़ोसी देश के रवैये पर तंज कसते हुए कहा कि भारत हमेशा शांति चाहता है और सीमा पर स्थिति सामान्य करना चाहता है, लेकिन यह पड़ोसी देश का दुर्व्यवहार है जिसने स्थिति को सामान्य नहीं होने दिया. उन्होंने युवा अधिकारियों को समझाया कि प्रशासन में रहते हुए उन्हें भी राष्ट्रीय हितों की रक्षा में अहम भूमिका निभानी होगी.

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