राजा वाडियार की रसोई से निकला था ‘मैसूर पाक’, जानें इस मिठाई को कैसे मिला नाम

2 weeks ago

Row over the name of ‘Mysore Pak’: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक मशहूर मिठाई भी इस विवाद में फंस गई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक जयपुर के दुकानदारों ने कहा है कि वे मौजूदा भावना और राष्ट्रीय गौरव को दर्शाने के लिए ‘मैसूर पाक’ का नाम बदलकर ‘मैसूर श्री’ कर रहे हैं. यह घटनाक्रम हैदराबाद में कराची बेकरी में कुछ लोगों द्वारा तोड़फोड़ और दुकान के सामने ‘पाकिस्तान विरोधी’ नारे लगाने के कुछ ही दिनों बाद हुआ है. जाहिर है, इस सबकी पसंदीदा भारतीय मिठाई के नाम में ‘पाक’ शब्द का पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है. 

लेकिन अब आप जयपुर में किसी मिठाई की दुकान पर जाते हैं तो उम्मीद है कि आपको मैसूर पाक नहीं बल्कि मैसूर श्री मिलेगा और आपको मोती पाक नहीं बल्कि मोती श्री मिलेगा. आइए जानते हैं कि इस मशहूर मिठाई का नाम मैसूर पाक क्यों पड़ा.

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कैसे हुई मैसूर पाक की शुरुआत
घी, बेसन और चीनी से बना मैसूर पाक पूरे भारत में पसंद की जाने वाली एक प्रसिद्ध मिठाई है. इसे पारंपरिक रूप से दक्षिण भारत में शादियों और अन्य त्योहारों में परोसा जाता है. इसे मैसूर पाक इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी उत्पत्ति 20वीं सदी की शुरुआत में कर्नाटक के मैसूर से हुई थी. ‘पाक’ शब्द कन्नड़ शब्द ‘पाका’ से आया है. जिसका अर्थ है भोजन को गर्म करके पकाकर या तलकर पकाने की प्रक्रिया. इसके पीछे कहानी ये है कि यह मिठाई पहली बार मैसूर में वाडियार राजवंश के कृष्ण राजा वाडियार चतुर्थ के शासन के दौरान बनाई गई थी. यह 1935 की बात है और अंबा विलास पैलेस में शाही परिवार के लिए दोपहर के भोजन की तैयारी चल रही थी. राजा वाडियार खाने-पीने के बहुत शौकीन थे. अंबा विलास पैलेस में एक बड़ा किचन था, जिसमें यूरोपियन से लेकर देसी खाने बनते थे. 

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राजा को पसंद आयी तो किया नामकरण
राजा वाडियार के लिए दिन का खाना तैयार हुआ तो उनके लिए एक मिठाई कम पड़ रही थी. राजा वाडियार के मुख्य रसोइये काकसुरा मदप्पा उनके लिए एक और मिठाई बनाने के विचार के साथ जूझ रहे थे. फिर मदप्पा ने बेसन, घी और चीनी का मिश्रण पकाया और कृष्ण राजा वाडियार को परोसा. राजा को मदप्पा की यह डिश इतनी पसंद आई कि उन्होंने उन्हें बुलाया और उसका नाम पूछा तो मदप्पा चुप रहे. राजा ने अपने शासन वाले शहर को बढ़ावा देने के लिए मिठाई का नाम ‘मैसूर पाक’ रखा. ‘पाक’ का मतलब कन्नड़ व्यंजनों में चीनी की चाशनी पर आधारित व्यंजन से है. लेकिन खोज के बाद से ही यह बहुत लोकप्रिय हो गयी और लोगों को पसंद आयी. 

मैसूर पाक घी, बेसन और चीनी का उपयोग करके तैयार किया जाता है.

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क्या कहना है मदप्पा के वंशजों का
लेकिन इसकी उत्पत्ति को लेकर एक और कहानी भी है. मैसूर में गुरु स्वीट मार्ट के मालिकों में से एक, जो काकसुरा मदप्पा के वंशजों द्वारा चलाया जाता है का मैसूर पाक की उत्पत्ति के बारे में थोड़ा अलग नजरिया रखता है. उनके अनुसार मदप्पा को राजा ने एक अलग तरह की मिठाई बनाने के लिए कहा था जो मैसूर के नाम से जानी जाती थी. उन्होंने कहा कि रसोइए को ‘नालपाका’ कहा जाता था, वह जो पाक या चीनी की चाशनी बनाता था. इसलिए उन्होंने यह व्यंजन बनाया और इसे मैसूर पाक नाम दिया. हेड शेफ और रेस्टोरेंट कंसल्टेंट तरवीन कौर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “समय के साथ मैसूर पाक महलों में बनने वाली खास मिठाई से एक पसंदीदा घरेलू मिठाई में बदल गयी. स्थानीय मिठाई की दुकानों ने इस रेसिपी की नकल करना शुरू कर दिया, जिससे यह आम लोगों के लिए सुलभ हो गई.”

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मैसूर पाक हुआ मैसूर श्री
अब भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने के बाद जयपुर के कुछ मिठाई विक्रेताओं ने मशहूर मिठाई का नाम बदलकर मैसूर पाक से मैसूर श्री करने का फैसला किया है. जयपुर में त्योहार स्वीट्स की मालिक अंजलि जैन ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा, “देशभक्ति की भावना सिर्फ सीमा तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए. यह हर भारतीय के घर और दिल में होनी चाहिए.” त्योहार स्वीट्स उन कई दुकानों में से एक हैं जिन्होंने नाम बदलकर पाक से श्री कर दिया है. जयपुर की सबसे पुरानी मिठाई की दुकानों में से एक बॉम्बे मिष्ठान भंडार ने भी मिठाई का नाम बदल दिया है. बॉम्बे मिष्ठान भंडार के जनरल मैनेजर विनीत त्रिखा ने भी इकनॉमिक टाइम्स को बताया, “हम एक साफ संदेश देना चाहते हैं: अगर कोई भारत के खिलाफ जाने की हिम्मत करता है, तो हम हर तरह से जवाब देंगे. यह हमारा मीठा, प्रतीकात्मक जवाब है.” ऐसा लगता है कि इस नाम परिवर्तन का ग्राहकों ने स्वागत किया है. ऐसे ही एक ग्राहक ने कहा, “यह एक छोटी सी बात लग सकती है, लेकिन मिठाइयों के नाम बदलना एक मजबूत सांस्कृतिक संदेश है. यह दर्शाता है कि हम अपने सैनिकों के साथ खड़े हैं.”

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मदप्पा के वंशजों को पसंद नहीं आया नाम बदलना
हालांकि जयपुर मिठाई दुकान मालिकों द्वारा मैसूर पाक का नाम बदलकर मैसूर श्री करने का निर्णय मिठाई के निर्माता काकसुरा मदप्पा के वंशजों को पसंद नहीं आया है. मैसूर में मैसूर पाक बनाने और बेचने वाले शाही रसोइए काकासुर मदप्पा के वंशज एस नटराज ने न्यूज18 से कहा, “इसे मैसूर पाक ही कहें, हमारे पूर्वजों द्वारा दिए गए इस आविष्कार का कोई दूसरा नाम नहीं हो सकता. जिस तरह हर स्मारक या परंपरा का अपना सही नाम होता है उसी तरह मैसूर पाक का भी है. इसे बदला या गलत तरीके से पेश नहीं किया जाना चाहिए.” उन्होंने आगे कहा, “आप दुनिया में कहीं भी जाएं जब कोई मिठाई देखे तो उसे मैसूर पाक कहना चाहिए. किसी को भी इसका नाम बदलने का अधिकार नहीं है.”

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इसका सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
यहां तक ​​कि परिवार के सदस्य सुमेघ एस ने भी ऐसी ही राय जताई. उन्होंने कहा, “मैसूर पाक एक मिठाई से कहीं बढ़कर है. मैसूर और कर्नाटक के लिए इसका गहरा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है. मैसूर पाक मैसूर, कर्नाटक और कन्नड़ समुदाय का गौरव है. यह हमारे लोगों की मिठास और कन्नड़ संस्कृति की समृद्धि को दर्शाता है. हम केवल उस मिठाई के साथ खड़े हैं जिसे हमारे पूर्वजों ने बनाया था. मैसूर पाक जो अब विश्व स्तर पर जाना जाता है इसे अनावश्यक विवादों में न घसीटें.”

कैसे तैयार किया जाता है मैसूर पाक
मैसूर पाक घी, बेसन और चीनी से तैयार किया जाता है. घी को पहले मध्यम आंच पर गर्म किया जाता है जब तक कि यह गर्म और सुगंधित न हो जाए. तैयार होने के बाद घी में बेसन मिलाया जाता है और कई मिनट तक लगातार भूना जाता है जब तक कि मिश्रण गहरा भूरा रंग न ले ले. अलग से चीनी को पानी में घोला जाता है और तब तक उबाला जाता है जब तक कि यह चाशनी न बन जाए. इसके बाद भुने हुए घी और बेसन के मिश्रण को गर्म चीनी की चाशनी में धीरे-धीरे मिलाया जाता है. इसे लगातार हिलाया जाता है ताकि यह चिकना और गांठ रहित हो जाए. जब मिश्रण गाढ़ा हो जाए और उसमें से घी निकलने लगे तो उसे चिकनी की हुई ट्रे में डालकर ठंडा होने दिया जाता है. जमने के बाद मैसूर पाक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लिया जाता है. अगर यह मुंह में पिघल जाए तो इसे स्वादिष्ट और अच्छी तरह से बनाई गई मिठाई माना जाता है.

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