राबड़ी की दलील पर CBI ने ऐसा क्‍या कहा? लोग ढूंढने लग गए ‘फॉरम शॉपिंग’ का मतलब

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Last Updated:November 25, 2025, 19:11 IST

IRCTC Rabri Devi Scam: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में राबड़ी देवी की एक मांग पर नया विवाद खड़ा हो गया है. CBI ने इसे साफ-साफ फॉरम शॉपिंग बताया यानी मनचाही अदालत चुनने की कोशिश. कानूनी दुनिया में यह वही रणनीति है, जब कोई पक्ष ऐसे कोर्ट की तलाश करे जहां फैसला उसके पक्ष में आने की संभावना ज्यादा हो. अमेरिका में प्रचलित यह चलन अब भारत में भी बहस का बड़ा विषय बन गया है.

राबड़ी की दलील पर CBI ने ऐसा क्‍या कहा? लोग ढूंढने लग गए ‘फॉरम शॉपिंग’ का मतलबराबड़ी देवी की तरफ से मांग रखी गई.

नई दिल्‍ली. अमेरिका में ‘फॉरम शॉपिंग’ का ट्रेंड दशकों पुराना है. अक्‍सर बचाव पक्ष जज के कठोर रुख से बचने और अपने पक्ष में फैसला लाने की जुगत में इस तरह के हथकंडों को अपनाता है. अब यह ट्रेंड तेजी से भारत में भी चर्चा का विषय बना हुआ है. आईआरसीटीसी घोटाले से जुड़े मामले में राबड़ी देवी की तरफ से दिल्‍ली की राउज एवेन्‍यू कोर्ट में एक ऐसी दलील दी गई कि सीबीआई ने तुरंत जज को कहा कि लालू प्रसाद का परिवार फॉरम शॉपिंग की मदद से दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है. बड़ा सवाल यह है कि आखिर फॉरम शॉपिंग क्‍या होती है. चलिए हम आपको इसके बारे में विस्‍तार में बताते हैं.

‘ये फॉरम शॉपिंग है’
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में एक नया मोड़ तब आया जब IRCTC घोटाले में आरोपी बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने विशेष जज विशाल गोगने को बदलने की मांग कर दी. उन्होंने याचिका दायर कर कहा कि केस को दूसरी अदालत में ट्रांसफर किया जाए. कहा गया कि मौजूदा बेंच का अभियोजन पक्ष के प्रति झुकाव दिखता है और इससे उनका भरोसा उठ रहा है. CBI का तर्क है कि यह अदालत बदलवाने की रणनीति है, न कि कोई विधिक आधार. कानूनी हलकों में इसे बेंच हंटिंग या फॉरम शॉपिंगभी कहा जाता है.

क्‍या है फॉरम शॉपिंग?
कानून की दुनिया में इस शब्द के मायने बड़े दिलचस्प हैं. इसका मतलब है जब कोई पक्ष अपने फायदे की अदालत तलाशने लगे. यानी जिस कोर्ट में फैसले के अपने पक्ष में आने की संभावना अधिक हो, वहीं याचिका डालना. भारत में यह शब्द मनचाही बेंच चुनने की कोशिश को लेकर अक्सर उछाला जाता है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा चलन अमेरिका में बताया जाता है.

किन परिस्थितियों में होती है फॉरम शॉपिंग?
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक इसकी वजह सरल लेकिन असरदार हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है क्‍योंकि याचिकाकर्ता को लगता है कि ऐसा करने से केस जल्दी निपटता है, कहीं जमानत की संभावना अधिक होती है, कहीं जज के पुराने फैसले आरोपी के पक्ष में रहे हों, कहीं प्रक्रिया इतनी सख्त न हो कि क्लाइंट को नुकसान हो जाए. ऐसे में हाई-प्रोफाइल मामलों में वकील अपने क्लाइंट से कहते हैं, “यहां नहीं, वहां चलेंगे…वहां काम बनेगा.” और वही चुनाव फॉरम शॉपिंग कहलाता है यानी अदालतों की दुकान में अपने फायदे का मंच चुनना.

Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...

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First Published :

November 25, 2025, 19:11 IST

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