Last Updated:March 27, 2025, 13:43 IST
Assam: जयंत गोगोई, जोरहाट के एक प्रतिभाशाली पैरा-एथलीट, रीढ़ की हड्डी टूटने के बावजूद अपने हौसले से आगे बढ़े. उन्होंने खुद का जिम बनाया, मेहनत की, और राष्ट्रीय स्तर पर असम का प्रतिनिधित्व किया.

जयंत गोगोई
जोरहाट के उत्तरी हातिचुंगी गांव के जयंत गोगोई की कहानी साबित करती है कि शारीरिक विकलांगता कभी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती. जयंत एक प्रतिभाशाली एथलीट हैं, जिन्होंने कठिनाइयों को अपनी ताकत बना लिया.
दुर्घटना ने बदल दी जिंदगी
2012 में एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के कारण जयंत की रीढ़ की हड्डी टूट गई. वह घर पर काम कर रहे थे जब अचानक ऊँचाई से गिर गए. इस गंभीर चोट के कारण उन्हें तीन साल तक बिस्तर पर रहना पड़ा. लेकिन उनके भीतर छिपा जज़्बा और खेल के प्रति जुनून ने उन्हें हिम्मत नहीं हारने दी.
शारीरिक कमजोरी को बनाया ताकत
रीढ़ की हड्डी की चोट के कारण जयंत अपनी पीठ के निचले हिस्से से विकलांग हो गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी पीठ के ऊपरी हिस्से को मजबूत बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम शुरू किया. जयंत को जिम जाने में मुश्किल होती थी, इसलिए उन्होंने अपने घर पर ही एक विशेष जिम तैयार कर लिया.
स्वनिर्मित जिम और कठिन अभ्यास
जयंत गोगोई ने बांस और कंक्रीट की मदद से खुद के लिए जिम उपकरण बनाए. उन्होंने अपने अभ्यास के लिए मैदान के बीच में लोहे का एक फ्रेम लगाया और हर दिन भाला फेंकने की मेहनत करने लगे. उनकी लगन और समर्पण ने उन्हें पैरा-एथलेटिक्स में राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचने में मदद की.
राष्ट्रीय स्तर पर असम का प्रतिनिधित्व
जयंत पहले ही कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर की पैरा-एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं. उनका सपना देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का है. 2013 में राष्ट्रीय पैरा-एथलेटिक्स चैंपियनशिप में असम का प्रतिनिधित्व करना उनके लिए एक बड़ा अवसर था.
असली जीत है आत्मविश्वास
जयंत की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हमारे इरादे मजबूत हों तो कोई भी मुश्किल हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती. उनकी मेहनत और आत्मविश्वास सभी के लिए प्रेरणा हैं. जयंत गोगोई न केवल एक खिलाड़ी हैं, बल्कि वे उन सभी के लिए मिसाल हैं जो जीवन में किसी भी परिस्थिति से हार मानने के बजाय अपने सपनों को पूरा करने के लिए लड़ते हैं
First Published :
March 27, 2025, 13:43 IST