रेबीज क्यों है दुनिया की सबसे घातक बीमारी? साइंस भी नहीं खोज पाई इलाज!

5 hours ago

Last Updated:August 28, 2025, 18:04 IST

Why Rabies is fatal: रेबीज दुन‍िया की सबसे घातक बीमार‍ियों में से एक है. इसकी सबसे बड़ी वजह है क‍ि इसका अभी तक कोई इलाज नहीं है, हालांक‍ि डब्‍ल्‍यूएचओ के अनुसार इसका 100 फीसदी बचाव संभव है.

रेबीज क्यों है दुनिया की सबसे घातक बीमारी? साइंस भी नहीं खोज पाई इलाज!रेबीज दुन‍िया की सबसे खतरनाक बीमारी है लेकिन इसका इलाज अभी तक क्‍यों नहीं है.

Why Rabies is incurable: कुत्ता, बिल्ली या बंदर के काटने से होने वाली बीमारी रेबीज को दुनिया की सबसे घातक बीमारी माना जाता है. एक बार अगर ये बीमारी हो जाए तो फिर इसका इलाज संभव नहीं है. दुनिया में अभी तक ऐसे सिर्फ 6 लोग ही देखे गए हैं, जिन्हें रेबीज हुआ और वे जिंदा बच गए. वरना जिसे भी रेबीज बीमारी होती है, 100 फीसदी उसकी मृत्यु होना तय है. सबसे बड़ी बात है कि इस बीमारी की रोकथाम तो है लेकिन एक बार इसके लक्षण सामने आने के बाद इसका इलाज नहीं हो सकता.

रेबीज होने के बाद मरीज की हालत इतनी खराब हो जाती है कि उसे सामान्य मरीज की तरह रख पाना मुश्किल होता है. मरीज को आइसोलेटेड रखा जाता है. उसे हाइड्रोफोबिया हो जाता है, यानि पानी की प्यास भी लगती है लेकिन पानी को देखते ही उसे डर भी लगता है और वह पानी नहीं पी पाता. उसे इतना कन्फ्यूजन हो जाता है कि घरवालों को भी पहचानने में परेशानी होती है. मरीज रेबिड कुत्ते की तरह मुंह से लार या झाग भी फेंकता है और कभी-कभी कुत्ते की तरह भौंकता भी है. उसे बुखार, गले में ऐंठन और बेचेनी बहुत ज्यादा होती है. यहां तक कि दौरे और लकवे की भी शिकायत हो जाती है.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर साल रेबीज से लगभग 5726 लोगों की मौत होती है.जिनमें जवान और बच्चे दोनों शामिल हैं. हालांकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हैं. डब्लयूएचओ के अनुसार भारत में रेबीज से हर साल करीब 180000-20000 लोगों की मौत होती है, जो कि दुनिया भर में रेबीज से होने वाली मौतों का 36 फीसदी है.

मरीज की ये हालत इतनी भयावह इसलिए होती है क्योंकि रेबीज का वायरस ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड में लगातार इन्फ्लेमेशन यानि जलन बढ़ाता है और फिर तंत्रिकाओं के माध्यम से सेंट्रल नर्वस सिस्टम तक पहुंच जाता है. यह वायरस धीरे-धीरे ब्रेन सेल्स को खत्म करना शुरू कर देता है और नर्वस सिस्टम के प्रभावित होने से शरीर की सभी क्रियाएं जो ब्रेन के माध्यम से संचालित होती हैं, रुक जाती हैं या प्रभावित होने लगती हैं. यानि पूरा शारीरिक ढांचा चरमरा जाता है.

भारत में हर साल रेबीज से हजारों लोगों की मौत होती है, जिनमें बच्‍चे भी शामिल हैं.

कौन से वायरस से होती है रेबीज?
रेबीज एक वायरस जनित बीमारी है जो रेबीज से संक्रमित जानवरों से इंसानों में फैलती है. यह बीमारी रेबडोबिरिडे फैमिली के एक अंश लाइसावायरस के कारण होती है. यह वायरस इतना खतरनाक होता है कि शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों को निशाना बनाता है.

वायरस कैसे करता है काम?
शरीर में जिस जगह पर कुत्ता काटता है वहां की ब्लड सेल्स या न्यूरोमस्कुलर जंक्शन के माध्यम से यह वायरस ब्रेन और फिर तंत्रिका तंत्र तक पहुंचता है. पहुंचते ही यह अपने आसपास एक ऐसा सुरक्षा कवच बुन लेता है, जिसे लांघना इंसान के इम्यून सिस्टम, एंटीबॉडीज और एंटीवायरल ड्रग्स के बस में नहीं होता. इसका परिणाम ये होता है कि शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग ब्रेन और तंत्रिका तंत्र पूरी तरह इसकी चपेट में आ जाते हैं.

रेबीज का वायरस धीरे-धीरे ब्रेन की सेल्स को खाने लगता है और इम्यून सिस्टम कुछ भी नहीं कर पाता. यहां तक कि यह इम्यून सिस्टम को भी इस तरह मेनिपुलेट कर देता है कि वह प्रभावित अंग को बचाने के बजाय उसके खिलाफ काम करने लगता या खुद को खत्म कर लेता है.

रेबीज का इलाज क्यों नहीं?

दुर्भाग्य से अभी तक इस न्यूरोलॉजिकल बीमारी का कोई इलाज नहीं मिल पाया है. एक बार अगर ये बीमारी हो जाए तो मरीज की मौत निश्चित है. दुनिया भर के विशेषज्ञ रेबीज के इलाज के लिए लगातार रिसर्च कर रहे हैं लेकिन बहुत सारी रिसर्च उस जगह पर आकर असफल हो जाती हैं जब वायरस के अभेद किले को भेदने में इम्यून सिस्टम सफल नहीं होता या फिर इस प्रक्रिया में खुद को ध्वस्त कर लेता है. इतना ही नहीं बहुत सारी एंटीवायरल दवाएं भी इस कवच को पार नहीं कर पाती हैं.

कुत्‍ता काटने के बाद रेबीज को होने से रोका जा सकता है लेकिन एक बार रेबीज होने के बाद इसे ठीक नहीं किया जा सकता.

इसे रोका जा सकता है
रेबीज का इलाज इसका प्रिवेंशन है. यानि किसी भी जानवर के काटने के बाद अगर रेबीज के लिए पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलेक्सिस यानि पीईपी ले लिया जाए तो इस बीमारी को होने से पूरी तरह रोका जा सकता है.

नई दिल्‍ली स्थित डॉ. अंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च के डायरेक्‍टर प्रोफेसर डॉ. सुनीत के सिंह बताते हैं कि रेबीज का वैक्सीनेशन इलाज के रूप में मौजूद है लेकिन ये तभी तक काम करता है जब तक कि आपमें रेबीज के लक्षण प्रकट नहीं हुए हैं. एक बार अगर रेबीज का इन्फेक्शन हो गया तो फिर उसके बाद ऐसी कोई कारगर दवा नहीं है जो मरीज को बचा पाए. संक्रमण होने के बाद चाहे जितना भी इलाज कराया जाए, कोई भी दवा ली जाए, सब बेअसर होंगी.

सबसे पहले वैक्सीन जरूरी
डॉ. सुनीत कहते हैं कि जब भी कुत्ता, बिल्ली या कोई भी जानवर काटे तो इस बारे में कभी नहीं सोचना चाहिए कि घाव कितना छोटा या बड़ा है. सबसे पहले नजदीकी अस्पताल में जाकर एंटी रेबीज वैक्सीन लेना बेहद जरूरी है क्योंकि रेबीज को रोकने का यही सबसे सटीक और एकमात्र इलाज है.

हालांकि अभी भी दुनिया में रेबीज के इलाज की संभावनाएं मौजूद हैं. बहुत सारे देशों में रेबीज के इलाज को लेकर रिसर्च हो रही हैं और संभव है कि एक दिन ऐसी कोई दवा सामने आ जाए जो रेबीज होने के बाद भी मरीज को ठीक कर सके.

प्रिया गौतमSenior Correspondent

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ और रियल एस...और पढ़ें

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ और रियल एस...

और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

August 28, 2025, 18:04 IST

homeknowledge

रेबीज क्यों है दुनिया की सबसे घातक बीमारी? साइंस भी नहीं खोज पाई इलाज!

Read Full Article at Source