लाल किले से PM मोदी ने संघ को सराहा, तो भड़का विपक्ष, BJP यूं कर दी बोलती बंद

5 days ago

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 साल पूरा होने का उल्लेख किया और कहा कि इस संगठन की राष्ट्रसेवा की यात्रा पर देश गर्व करता है. उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है और यह प्रेरणा देता रहेगा. कांग्रेस ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस की तारीफ करके संवैधानिक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का उल्लंघन किया है तथा आरएसएस को खुश करने की कोशिश की है.

प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कहा, “आज से 100 साल पहले एक संगठन का जन्म हुआ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ… . 100 साल की राष्ट्र की सेवा एक बहुत ही गौरवपूर्ण कार्य है. व्यक्ति निर्माण से लेकर राष्ट्र निर्माण का लक्ष्य लेकर मां भारती के कल्याण के लिए लाखों स्वयंसेवकों ने अपना जीवन समर्पित किया.”

उनका कहना था, “यह एक प्रकार से दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है. 100 साल का समर्पण का इतिहास है.” पीएम मोदी ने कहा, “आज लाल किले की प्राचीर से 100 साल की इस राष्ट्रसेवा की यात्रा में योगदान करने वाले सभी स्वयंसेवकों को आदरपूर्वक स्मरण करता हूं.” उन्होंने कहा कि आरएसएस की 100 साल की भव्य, समर्पित यात्रा पर देश गर्व करता है.

कांग्रेस ने पीएम मोदी को घेरा
संभवत: यह पहली बार था जब प्रधानमंत्री मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में आरएसएस का इस तरह विस्तृत उल्लेख किया. आरएसएस की तारीफ करने को लेकर कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा. कांग्रेस ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी पद पर बने रहने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सरसंघचालक मोहन भागवत की ‘कृपा’ पर निर्भर हैं, इसलिए उन्होंने लाल किले की प्राचीर से इस संगठन को खुश करने की हताशा भरी कोशिश की है.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि ‘प्रधानमंत्री आज थके हुए थे और जल्द ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे.’ उन्होंने यह भी कहा कि व्यक्तिगत और संगठनात्मक लाभ के लिए स्वतंत्रता दिवस का यह राजनीतिकरण देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए बेहद हानिकारक है.

नेहरू ने संघ को ‘देशभक्तों का संगठन’ कहा
बीजेपी ने भी विपक्ष पर पलटवार करते हुए 1963 की बात याद दिलाई, जब तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू ने आरएसएस को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए न्योता दिया था. अमित मालवीय ने ‘एक्स’ पर एक वीडियो पोस्ट कर कहा, “1963 में, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और इसे ‘देशभक्तों का संगठन’ कहा. आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने पर, यह उचित ही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से इसका उल्लेख करें. आज भारत का सार्वजनिक विमर्श आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित है – जबकि कांग्रेस न केवल हमारे समय की वास्तविकताओं से, बल्कि स्वयं नेहरू से भी अलग-थलग है.”

In 1963, Prime Minister Jawaharlal Nehru invited the Rashtriya Swayamsevak Sangh to join the Republic Day parade and called it “an organisation of patriots.”

As the RSS marks 100 years, it is fitting that Prime Minister Narendra Modi mentions it from the Red Fort.

‘आरएसएस का महिमामंडन करना स्वतंत्रता संग्राम का अपमान’
लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के भाषण में राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रशंसा करने पर कड़ी आपत्ति जताई है और कहा है कि ऐसा करना स्वतंत्रता संग्राम का अपमान है. उन्होंने कहा, ओवैसी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “स्वतंत्रता दिवस के भाषण में आरएसएस का महिमामंडन करना स्वतंत्रता संग्राम का अपमान है. आरएसएस और उसके वैचारिक सहयोगी अंग्रेजों के पिट्ठू रहे हैं. वे कभी आज़ादी की लड़ाई में शामिल नहीं हुए और अंग्रेजों का जितना विरोध किया, उससे कहीं ज़्यादा गांधी से नफ़रत करते रहे.” ओवैसी ने आगे दावा किया कि आरएसएस समावेशी राष्ट्रवाद के उन मूल्यों को “अस्वीकार” करता है जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया.

‘पीएम मोदी का भाषण पुराना और पाखंड से भरा’
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “लाल किले की प्राचीर से आज प्रधानमंत्री का भाषण पुराना, पाखंड से भरा, नीरस और उबाऊ था. विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसे वही दोहराए गए नारे साल-दर-साल सुने जा रहे हैं, लेकिन इनका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है.” उन्होंने कहा, “आज प्रधानमंत्री के भाषण का सबसे परेशान करने वाला पहलू लाल किले की प्राचीर से आरएसएस का नाम लेना था, जो एक संवैधानिक, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का घोर उल्लंघन है.”

‘संघ परिवार का रास्ता धर्मनिरपेक्ष नहीं’
रमेश ने आरोप लगाया कि यह अगले महीने उनके 75वें जन्मदिन से पहले आरएसएस को खुश करने की एक हताशा से भरी कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कभी भाजपा ने धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी रास्ते पर बढ़ने की बात की थी, लेकिन संघ परिवार का रास्ता धर्मनिरपेक्ष नहीं है. उन्होंने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, “उन्हें (भाजपा) अपना पहला अधिवेशन याद रखना चाहिए जिसमें उन्होंने संकल्प लिया था कि धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी रास्ता अपनाएंगे. भाजपा ने खुद धर्मनिरपेक्षता के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया था. संघ परिवार का रास्ता धर्मनिरनेक्ष नहीं है.”

‘पीएम मोदी को लाल किले से ऐसा करने की ज़रूरत नहीं थी’
उन्होंने कहा, “सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर हमें याद दिलाया है कि असली इतिहास सीखना और असली नायकों का सम्मान करना क्यों ज़रूरी है. अगर हम ऐसा नहीं करते हैं, तो वह दिन दूर नहीं जब कायरता को हमें बहादुरी का सर्वोच्च रूप बताकर बेचा जाएगा.” ओवैसी ने आगे तर्क दिया कि पूर्व आरएसएस कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी, आरएसएस की प्रशंसा करने नागपुर जा सकते थे और उन्हें लाल किले से ऐसा करने की ज़रूरत नहीं थी.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तारीफ कर देश की आजादी के लिए शहीद होने वालों की स्मृति का अपमान किया है. पार्टी महासचिव एम ए वेबी ने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और इतिहासकारों ने “सांप्रदायिक दंगे भड़काने” में इस संगठन की भूमिका का दस्तावेजीकरण किया है.

RSS को 1925 में शुरू किया गया
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में स्वयंसेवकों के एक छोटे समूह के साथ शुरू किया गया आरएसएस आज पूरे देश में अपनी पैठ बना चुका है और हर साल हज़ारों स्वयंसेवक इस संगठन में शामिल होते हैं. बेंगलुरु में एक संवाददाता सम्मेलन में आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा साझा किए गए विवरण के अनुसार, आरएसएस के पूर्णकालिक कार्यकर्ता देश भर में 51,570 स्थानों पर प्रतिदिन 83,000 से अधिक शाखाएं आयोजित करते हैं.

विजयादशमी पर RSS अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे करेगा
उन्होंने बताया कि दैनिक शाखाओं के अलावा, आरएसएस कार्यकर्ता देश भर में 32,000 से अधिक साप्ताहिक और 12,000 मासिक शाखाएं भी आयोजित करते हैं. इस विजयादशमी पर आरएसएस अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर रहा है. इस अवसर पर, आरएसएस ने अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में देश भर में एक लाख से अधिक ‘हिंदू सम्मेलनों’ सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन करने की योजना बनाई है. इस वर्ष दो अक्टूबर को नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का संबोधन भी होगा.

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