Last Updated:September 16, 2025, 16:54 IST
Bihar Chunav 2025: बीजेपी के 'चाणक्य' और देश के गृह मंत्री अमित शाह 18 सितंबर को बिहार आ रहे हैं. शाह की नजर शाहाबाद की उन 22 सीटों पर है, जिसने 2020 और 2024 के चुनाव में एनडीए को बड़ा दर्द दिया था.

पटना. बीजेपी के ‘चाणक्य’ और देश के गृह मंत्री अमित शाह 18 सितंबर को बिहार आ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ताबड़तोड़ दौरे के बाद अमित शाह का बिहार आना एनडीए के लिए महत्वपूर्ण है. अमित शाह बिहार चुनाव में उस इलाके में रणनीति बनाएंगे, जो एनडीए की सबसे कमजोर कड़ी है. एनडीए के नजरिए से अमित शाह ने उन मुश्किल 22 सीटों पर फोकस किया है, जिन पर पिछले चुनाव में बीजेपी और जेडीयू दोनों की दुर्गति हुई थी. पीएम मोदी ने भी इस साल 29 मई को इसी इलाके में एक रैली की थी. अब बारी है बीजेपी के नंबर-2 अमित शाह की रणनीति बनाने की. 2020 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को शाहबाद ने बड़ा दर्द दिया था. पूरे शाहाबाद से एनडीए का सूपड़ा साफ हो गया था. 2024 के लोकसभा चुनाव में बक्सर, आरा, काराकाट और सासाराम की लोकसभा सीटें एनडीए हार गईं. 2020 के चुनाव में एनडीए को शाहाबाद की 22 सीटों में से मात्र 2 सीटों पर जीत मिली थी. महागठबंधन ने 19 और बसपा ने एक सीट जीतकर बीजेपी को बड़ा नुकसान पहुंचाया था. ऐसे में अमित शाह ने अब मोर्चा संभाल लिया है.
अमित शाह 18 सितंबर यानी गुरुवार को डेहरी ऑन सोन पहुंच रहे हैं. शाह 18 सितंबर को बिहार में भाजपा संगठन की दो महत्वपूर्ण बैठकों में भाग लेंगे. एक बैठक डेहरी में होगी तो दूसरी दूसरी बेगूसराय में होगी. इन दोनों बैठकों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ संगठन और स्थानीय नेता मौजूद रहेंगे. इसके साथ ही संबंधित जिलों के प्रभारी भी भाग लेंगे. खासकर अमित शाह शाहाबाद को लेकर विशेष रणनीति इसलिए बनाएंगे क्योंकि कभी यह इलाका बीजेपी का गढड हुआ करता था. बक्सर से बीजेपी के कद्दावर नेता स्वर्गीय लालमुनी चौबे लगातार जीतते रहे हैं. बाद में अश्विनी चौबे भी इस सीट से दो बार जीत चुके हैं. यही हाल सासाराम, काराकाट और आरा सीटों का रहा है. आरके सिंह और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेता इन एनडीए के टिकट पर जीतते रहे हैं. लेकिन बीते 10 सालों से शाहाबाद से बीजेपी-जेडीयू की सूपड़ा साफ हो गया.
अमित शाह की ‘चाणक्य नीति’
अमित शाह का शाहाबाद इलाके में आकर रणनीति बनाना कई संदेश दे रहा है. क्योंकि, इस इलाका के राजपूत और कुशवाहा वोटरों की मनोस्थिति बीते कुछ चुनावों में बीजेपी के खिलाफ चली गई. बक्सर में तो ब्राह्मण वोटों ने ही बीजेपी के साथ पिछले चुनाव में खेल कर दिया. अश्विनी चौबे की जगह मिथिलेश तिवारी को लोकसभा उम्मीदवार बनाने पर चौबे समर्थकों ने यहां खेल कर दिया. इसी तरह काराकाट में पवन सिंह निर्दलीय प्रत्याशी बनकर उपेंद्र कुशवाहा का खेल बिगाड़ दिया. इस सीट पर कुशवाहा वोटर्स और राजपूत वोटर्स अपने-अपने जाति के उम्मीदवार को वोटकर एनडीए का खेल बिगाड़ दिया. आरा में कुशवाहा वोटर्स ने आरके सिंह का खेल बिगाड़ दिया. कुलमिलाकर पार्टी के भीतर कलह ने इस इलाके में एनडीए की लुटिया डुबो दी.
शाहाबाद का कौन होगा शंहशाह?
लेकिन, अमित शाह ही नहीं पूरी भारतीय जनता पार्टी मिशन मोड में आ गई है. पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, बांसुरी स्वराज अनुराग ठाकुर जैसे केंद्रीय नेता बिहार में आए हैं या फिर कैंप कर रहे हैं. बीजेपी अपनी रणनीति धीरे-धीरे धरातल पर उतार रही है. इसी कड़ी में अमित शाह का बिहार आना अपने आप में बीजेपी वर्करों में जोश देगा भी और स्थानयी स्तर पर क्या गड़बड़ियां है, उसको भी बताएगा. ऐसे में अमित शाह कोशिश करेंगे और स्थानीय नेताओं और भावी उम्मीदवारों में जान फूंकने का काम करेंगे.
शाहाबाद में एनडीए का सूपड़ा साफ होने से बचाने के लिए बीजेपी के चाणक्य अमित शाह ने खुद मोर्चा थाम लिया है.
कुलमिलाकर इस बार शाहाबाद में एनडीए का सूपड़ा साफ होने से बचाने के लिए बीजेपी के चाणक्य अमित शाह ने खुद मोर्चा थाम लिया है. 2020 में जेडीयू इस इलाके में 11 सीटों पर चुनाव लड़ी औऱ उसके सभी उम्मीदवार हार गए. 2020 के चुनाव में एनडीए को शाहबाद में 22 में से सिर्फ 2 सीटें खाते में आई. जानकारों की मानें तो साल 2020 के चुनाव में लालू यादव की रणनीति और चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी की अकेले चुनाव लड़ने से एनडीए को जबरदस्त नुकसान पहुंचा. शाहाबाद जोन की 22 सीट में से 19 पर महागठबंधन ने परचम लहराया था.ऐसे में क्या बिहार चुनाव 2025 में बीजेपी के चाणक्य की ‘चाणक्यगिरी’ चलेगी?
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
September 16, 2025, 16:54 IST