शिव की जांघ से जन्मे ये संत! कौन हैं ये खास साधु जो नहीं लेते आम लोगों से दान

1 month ago

Last Updated:February 26, 2025, 12:42 IST

Shivratri Mela: जूनागढ़ के भवनाथ में शिवरात्रि मेले की धूम मची है. देशभर से श्रद्धालु और 13 अखाड़ों के साधु पहुंचे हैं. खासकर हरियाणा के चलंत साधु आकर्षण का केंद्र बने हैं, जो केवल दशनाम अखाड़े से ही दान स्वीका...और पढ़ें

शिव की जांघ से जन्मे ये संत! कौन हैं ये खास साधु जो नहीं लेते आम लोगों से दान

दशनाम संप्रदाय के साधु

गुजरात के जूनागढ़ में स्थित भवनाथ क्षेत्र इन दिनों शिवरात्रि मेले की भव्यता से गूंज रहा है. हजारों श्रद्धालु देश के कोने-कोने से यहां उमड़ पड़े हैं. इस मेले में 13 प्रमुख अखाड़ों के साधु-संत भी पहुंचे हैं, जिनमें दशनाम संप्रदाय के संत प्रमुख हैं. इन साधुओं की खासियत यह है कि वे केवल अन्य साधुओं से ही दान स्वीकार करते हैं और किसी भी सांसारिक व्यक्ति से एक रुपया भी ग्रहण नहीं करते.

हरियाणा के चलंत साधु बने आकर्षण का केंद्र
जूनागढ़ मेले में हरियाणा से आए चलंत साधु-संत इन दिनों खास चर्चा में हैं. इनका रहन-सहन और पूजा-पद्धति दर्शकों को आकर्षित कर रही है. ये साधु केवल दशनाम अखाड़े के साधुओं से ही दक्षिणा लेते हैं. इनका जीवन पूरी तरह भगवान शिव की भक्ति में समर्पित है और वे पृथ्वी के निर्माण से लेकर उसके विनाश तक के भजन गाकर भगवान शिव की महिमा का गुणगान करते हैं.

शंकर की थाली से दान लेने का विशेष अधिकार
इस विशेष संप्रदाय के साधुओं को भगवान शिव की थाली से दान लेने का अधिकार प्राप्त है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह साधु-संप्रदाय अत्यंत प्राचीन है और इनका अस्तित्व भगवान शिव से जुड़ा हुआ माना जाता है.

भगवान शंकर की जांघ से उत्पत्ति की मान्यता
इस संप्रदाय की उत्पत्ति को लेकर एक दिलचस्प कथा प्रचलित है. मान्यता है कि भगवान शिव और पार्वती के विवाह के दौरान शिवजी ने दान देने की घोषणा की थी, लेकिन जब ब्रह्मा और विष्णु ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया, तो भगवान शंकर ने अपनी ही जांघ से जंगम संप्रदाय की रचना कर दी. तभी से यह साधु समुदाय अपने विशिष्ट नियमों के साथ भक्ति और साधना में लीन रहता है.

साल में छह महीने साधना, छह महीने यात्रा
इन साधुओं की जीवनशैली भी काफी अनोखी होती है. यह समुदाय पूरे साल देशभर में भ्रमण नहीं करता, बल्कि छह महीने तक उत्तर से दक्षिण तक यात्रा करता है और बाकी छह महीने भगवान शिव की भक्ति और साधना में लीन रहता है. यही वजह है कि जूनागढ़ के इस मेले में इन साधुओं की उपस्थिति श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बन जाती है.

First Published :

February 26, 2025, 12:42 IST

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