संचार साथी से प्रियंका गांधी को कैसा डर, मोबाइल ऐप पर केंद्र सरकार का नया ऐलान

1 hour ago

देश में बेचे जाने वाले हर नए मोबाइल हैंडसेट में संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल किए जाने के फैसले ने राष्ट्रीय राजनीति में नया टकराव खड़ा कर दिया है. केंद्र सरकार जहां इसे राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से ‘बेहद जरूरी’ कदम बता रही है. वहीं विपक्ष इसे सीधे-सीधे नागरिकों की निजी स्वतंत्रता पर हमला और ‘राज्य निगरानी’ की ओर खतरनाक बढ़त करार दे रहा है.

विपक्षी सासंदों ने तो इस संचार साथी ऐप की तुलना इजरायली स्पाईवेयर ऐप पेगासस तक से कर दी. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भी यही मुद्दा छाया हुआ दिख रहा, जहां विपक्षी दलों ने इसे ‘बिग ब्रदर’ मॉडल बताया, तो सरकार ने साफ कहा कि यह कदम साइबर अपराध को रोकने के लिए है. हालांकि सरकार ने यह भी साफ किया कि इस ऐप को लोग जब चाहे अपने मोबाइल फोन से डिलीट कर सकते हैं.

संचार साथी ऐप क्यों जरूरी बता रही सरकार?

केंद्र सरकार का दावा है कि संचार साथी ऐप को प्री-इंस्टाल का फैसला बढ़ते साइबर अपराध, चोरी के मोबाइल फोन बाज़ार और फर्जी IMEI नंबरों पर नकेल कसने के लिए लिया गया है. सरकार के मुताबिक दूसरी बार बेचे जाने वाले स्मार्टफोन्स का बाज़ार तेजी से बढ़ा है और चोरी या ब्लैकलिस्टेड मोबाइल बड़ी आसानी से आगे बेचे जा रहे हैं, जिससे आतंकवादी गतिविधियों और साइबर अपराधों की जांच में गंभीर बाधाएं आ रही हैं.

सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार, छेड़छाड़ किए गए या क्लोन IMEI वाले फोन कई-कई जगहों पर एक साथ सक्रिय दिखते हैं, जिससे संदिग्धों की पहचान लगभग असंभव हो जाती है. ऐसे फोन आतंकियों और संगठित साइबर अपराधियों को ट्रैकिंग से बचने का आसान रास्ता देते हैं. कई मामलों में चोरी किए गए डिवाइस खरीदने वाले आम नागरिक भी अनजाने में कानूनी जोखिम में पड़ जाते हैं.

अधिकारियों का कहना है कि संचार साथी ऐप के जरिये IMEI की सत्यता जांची जा सकेगी, चोरी हुए फोन को तुरंत ब्लॉक किया जा सकेगा और गलत तरीके से उपयोग हो रहे उपकरणों पर रोक लगाई जा सकेगी. केंद्र का तर्क है कि ‘यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है.’

विपक्ष क्या जता रहा डर?

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने संचार साथी ऐप को ‘जासूसी टूल’ बताते हुए कहा कि यह नागरिकों की प्राइवेसी पर सीधा हमला है. उन्होंने कहा, ‘यह एक जासूसी ऐप है… लोगों को प्राइवेसी का अधिकार है. हर किसी को परिवार, दोस्तों को मैसेज भेजने की प्राइवेसी का अधिकार होना चाहिए… वे इस देश को हर तरह से तानाशाही में बदल रहे हैं. संसद इसलिए काम नहीं कर रही है, क्योंकि सरकार किसी भी चीज़ पर बात करने से मना कर रही है. विपक्ष पर इल्ज़ाम लगाना बहुत आसान है. वे किसी भी चीज़ पर चर्चा नहीं होने दे रहे हैं… एक स्वस्थ लोकतंत्र चर्चा की मांग करता है…’

उधर शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे ‘बिग बॉस सर्विलांस मोमेंट’ करार देते हुए कहा कि सरकार ‘गलत तरीकों’ से लोगों के फोन में घुसना चाहती है. उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे प्रयासों का ‘हर स्तर पर विरोध किया जाएगा.’

वहीं कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस आदेश को ‘संविधान विरोधी और खतरनाक’ बताया. उन्होंने कहा, ‘बिग ब्रदर हम पर नजर नहीं रख सकता. निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार है. संचार साथी एक डिस्टोपियन (भयावह) टूल है जो हर भारतीय की हर गतिविधि, हर बातचीत और हर निर्णय पर नज़र रखेगा.’

समाजवादी पार्टी के सांसद हरेंद्र मालिक ने इसे लॉ एंड ऑर्डर की विफलता से जोड़ते हुए कहा, ‘अगर सरकार साइबर क्राइम रोकने के लिए नागरिकों की निजता से समझौता कर रही है, तो इसका मतलब है कि वह कानून-व्यवस्था संभालने में असफल है.’

संचार साथी ऐप पर क्या कह रही सरकार?

विपक्ष के आरोपों के बीच केंद्र सरकार ने साफ कहा है कि संचार साथी नागरिकों का कोई व्यक्तिगत डेटा नहीं लेता और न ही किसी प्रकार की निगरानी करता है. यह केवल IMEI को सत्यापित करने, चोरी हुए फोन को ब्लॉक करने और फर्जी डिवाइसेज को नेटवर्क से हटाने का काम करता है.

वहीं केंद्रीय संचार व दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि संचार साथी ऐप इस्तेमाल करना पूरी तरह वैकल्पिक है और इसे किसी भी समय फोन से हटाया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘सरकार की भूमिका सिर्फ इतना सुनिश्चित करने तक है कि ऐप जनता के लिए उपलब्ध हो. इसे इस्तेमाल करना है या नहीं, रखना है या हटाना है… यह पूरी तरह उपभोक्ताओं पर निर्भर है.’

उधर बीजेपी सांसद शशांक मणि ने इस आदेश का जोरदार समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘यह बहुत महत्वपूर्ण कदम है. मैं IIT का हूं, इसलिए समझता हूं कि किस तरह के साइबर अटैक हो रहे हैं. इस ऐप से लोगों में सुरक्षा का भाव बढ़ेगा और उनका डेटा सुरक्षित रहेगा. यह नागरिक की डिजिटल सुरक्षा के लिए सही दिशा है. प्राइवेसी को कोई खतरा नहीं है.’

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