Last Updated:August 28, 2025, 15:18 IST
Bihar Chunav 2025: बिहार चुनाव 2025 में गमछा पॉलिटिक्स से क्या जंग जीतने की तैयारी शुरू हो गई है? क्या तेजस्वी यादव, नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और नीतीश कुमार की सियासत का केंद्र अब गमछा के इर्द-गिर्द घूमने वाली...और पढ़ें

पटना. बिहार की सियासत में इस बार गमछा ने खास जगह बना ली है. जहां 2020 के चुनावों में तेजस्वी यादव ने इस पारंपरिक बिहारी पहचान को अपना चुनावी हथियार बनाया था, वहीं अब 2025 के चुनाव में लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इसे अब अपना प्रमुख हथियार बनाने जा रहे हैं. पीएम मोदी ने बीते दिनों सिमरिया-औंटा पुल के उद्घाटन के मौके पर जिस तरह से हवा में गमछा लहराया था. इस तस्वीर के वायरल होते ही अब राहुल गांधी ने भी मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और सीतामढ़ी में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान गले में गमछा रखकर बड़ा मैसेज दिया है. तेजस्वी यादव तो पहले से ही गमछा लहराते रहे हैं. ऐसे में क्या बिहार चुनाव 2025 में ‘गमछा पॉलिटिक्स’ को लेकर नया ट्रेंड शुरू हो गया है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या गमछा बिहार चुनाव का सबसे बड़ा हथियार बनने जा रहा है?
बता दें कि बिहार की जनता के लिए गमछा सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि उनकी संस्कृति, सादगी और अस्मिता का प्रतीक है. गांव-देहात में रहने वाले हर बिहारी गमछा अपने शरीर पर जरूर रखते हैं. खासकर किसान जो खेतों में जाते हैं, मजदूर जो मजदूरी करते हैं, गमछा उनके शरीर पर रखना ट्रेड मार्क बन गया है. यह छोटे से कपड़े का टुकड़ा उनके रोजमर्रा के जीवन से जुड़ा हुआ है, चाहे खेत में काम हो या गर्मी से बचाव. यही वजह है कि चुनावी माहौल में नेताओं ने भी इसे अपनाना शुरू कर दिया है ताकि वे सीधे जनता से जुड़ सकें.
गमछा क्या बन गया बिहारी पहचान?
2020 में तेजस्वी यादव ने गमछा को अपने चुनाव प्रचार का प्रमुख हिस्सा बनाया और जनता के बीच जाकर इस पहचान को बड़े पैमाने पर प्रमोट किया. तब से बिहार की राजनीति में गमछा का महत्त्व बढ़ता गया. अब पीएम मोदी ने भी 2025 के बिहार दौरे में सिमरिया-ओटा पुल उद्घाटन के दौरान गमछा पहना और बिहार की सांस्कृतिक भावना को सम्मान दिया. इसके बाद राहुल गांधी ने भी अपनी वोटर अधिकार यात्रा में गमछा को अपनाकर इसे और लोकप्रिय बना दिया है.
‘सइयां जी दिलवा मांगेले गमछा बिछाई के…’
बिहार की भोजपुरी लोक संस्कृति से जुड़ा एक गाना ‘सइयां जी दिलवा मांगेले गमछा बिछाई के…’ सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. भोजपुरी गायिका कल्पना का यह गीत राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में बड़े उत्साह से गाया जा रहा है. यह गाना न सिर्फ चुनावी माहौल को रंगीन बना रहा है, बल्कि जनता के बीच भावनात्मक जुड़ाव भी पैदा कर रहा है.
गमछा पॉलिटिक्स में कौन भारी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में गमछा सिर्फ एक फैशन स्टेटमेंट नहीं, बल्कि राजनीतिक संवाद का एक प्रभावी जरिया बन गया है. यह नेता और जनता के बीच की दूरी कम करता है. गमछा पहनकर नेता अपनी सादगी दिखाते हैं और यह संदेश देते हैं कि वे आम लोगों के बीच के हैं. मोदी, नीतीश, तेजस्वी और राहुल गांधी, चारों नेताओं ने अपनी अलग-अलग शैली में गमछा अपनाया है. इस बार के चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन अपने इस ‘गमछा संदेश’ को जनता तक सबसे बेहतर तरीके से पहुंचाता है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजनीतिक पार्टियां गमछा को प्रचार का बड़ा हथियार बना रही हैं. इस चुनाव में तेजस्वी यादव का दमदार प्रचार, मोदी का गमछा लहराना, नीतीश कुमार का लोकप्रिय चेहरे के रूप में मजबूती और राहुल गांधी का वोटर अधिकार यात्रा के जरिए जनाकर्षण बनाना सबका अपना अपना फॉर्मूला है. पर इन सबके बीच गमछा एक ऐसा जरिया बन गया है जो बिहार की जनता के दिल तक सीधे पहुंचता है. गमछा के माध्यम से बिहार के नेता अपनी संस्कृति, सरलता और जनता के करीब होने का संदेश दे रहे हैं. 2025 के बिहार चुनाव में गमछा एक चुनावी पहचान बन गया है, जो सियासी पिच पर निर्णायक भूमिका निभा सकता है. अब देखना यह होगा कि जनता के दिलों पर राज करने वाला नेता कौन होगा, जो सिर्फ गमछा पहनकर नहीं, बल्कि अपनी नीतियों और जनसेवा से बिहार के विकास का रास्ता दिखाए.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
August 28, 2025, 15:18 IST