Last Updated:April 27, 2025, 08:42 IST
KK Pathak News: बिहार के चर्चित आएएस अधिकारी के के पाठक बिहार सेवा से विदा होकर केंद्र में अपर सचिव बनने जा रहे हैं. प्रशासनिक सख्ती और ईमानदारी की पहचान रखने वाले के के पाठक के लिए आम जन जहां उनके लिए सख्त मिज...और पढ़ें

आईएएस अधिकारी केके पाठक की बिहार से विदाई, अब केंद्र में निभाएंगे नई जिम्मेदारी. (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
आईएएस के के पाठक बिहार की सेवा से विदा होकर केंद्र में अपर सचिव बने.के के पाठक ने बिहार में शराबबंदी और शिक्षा सुधार में अहम भूमिका निभाई.के के पाठक की विदाई को बिहार प्रशासन के एक युग का अंत माना जा रहा है.पटना. चर्चित आईएएस अधिकारी के के पाठक अब बिहार प्रदेश की सेवा से विदाई ले चुके हैं. बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से औपचारिक रूप से उन्हें विरमित यानी रिलीज कर दिया गया है. अब वह केंद्र की कैबिनेट सचिवालय में अपर सचिव के पद पर जिम्मेदारी निभाएंगे.बता दें कि प्रशासनिक सख्ती और अपने कड़क मिजाज के लिए के के पाठक अक्सर मीडिया की सुर्खियों में रहे हैं. उन्होंने बिहार में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं और वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चहेते अधिकारियों में से एक माने जाते रहे हैं. उनका बिहार से जाना बिहार के प्रशासनिक महकमे के लिए एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है.
वर्ष 1990 बैच के आईएएस अधिकारी बिहार के वैसे अनुशासन प्रिय और ईमानदार अफसरों में गिने जाते हैं जिन्होंने न केवल प्रशासनिक छवि को नई दिशा देने का प्रयास किया, बल्कि कई नीतिगत निर्णयों में भी अपनी छाप छोड़ी. बिहार में जब वर्ष 2016 में शराबबंदी कानून लागू हुआ था तो उसके उसको धरातल पर उतारने और इसके सख्त प्रावधानों को आमजनों तक पहुंचाने में के के पाठक की बड़ी भूमिका रही थी. इस दौरान वह शराब माफियाओं के निशाने पर भी रहे और बड़ी लॉबी ने उनको टारगेट भी कि किया. लेकिन, वह अपने पथ से डिगे नहीं.
के के पाठक ने हर विभाग में छोड़ी अपनी छाप
मद्य निषेध विभाग में जिम्मेवारी मिलने से पहले भी और उसके बाद भी के के पाठक ने अपनी छाप हर विभाग में छोड़ी. जब वह शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव पर नियुक्त हुए तो उन्होंने ऑनलाइन अटेंडेंस से लेकर शिक्षकों के ढीली कार्यशैली पर लगाम कसने और विद्यालय प्रशासन में अनुशासन लाने के लिए भी कई सख्त फैसला किये. कई बार उन्होंने स्कूलों का औचक निरीक्षण किया और ऑन स्पॉट अफसरों से लेकर कर्मियों और शिक्षकों तक की क्लास लगा दी. शिक्षा विभाग में उनके तत्कालीन मंत्री चंद्रशेखर से तनातनी की खबरें भी मीडिया की सुर्खियां बनती रहीं, लेकिन वह अपने उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ते रहे.
के के पाठक अब शायद ही बिहार सर्विस में लौट पाएं
शिक्षा विभाग में विवाद बढ़ा तो उनको वहां से राजस्व परिषद में भेज दिया गया. वहां अपर सचिव के रूप में वह कार्यरत थे और उन्होंने भूमि विवादों और भूमि मापी कार्यों में पारदर्शिता यानी ट्रांसपेरेंसी लाने के लिए कई ठोस कदम उठाए. हाल में ही केंद्र सरकार ने उन्हें कैबिनेट सचिवालय में अपर सचिव की जिम्मेवारी देने का निर्णय लिया था और अब बिहार सरकार ने उन्हें विरमित भी कर दिया है. यहां यह भी बता दें कि डॉक्टर के के पाठक की सर्विस अब बहुत दिनों की नहीं है, ऐसे में उनके बिहार वापसी की संभावना भी कम ही है. ऐसे में के के पाठक की बिहार से विदाई राज्य प्रशासनिक व्यवस्था के एक महत्वपूर्ण युग का अंत माना जा सकता है.
First Published :
April 27, 2025, 08:42 IST