Last Updated:October 23, 2025, 10:21 IST
Satish Jarkiholi News: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र ने सतीश जारकीहोली को कांग्रेस का अगला नेता बताया. इससे डीके शिवकुमार की दावेदारी पर सवाल उठे हैं. जारकीहोली आहिंदा राजनीति के समर्थक हैं और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के वफादार माने जाते हैं.

कर्नाटक की सियासत में बुधवार को हलचल मच गई. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे और विधान परिषद सदस्य यतिंद्र सिद्धारमैया ने साफ कहा कि उनके पिता अपने राजनीतिक करियर के ‘आखिरी पड़ाव’ पर हैं और कांग्रेस को अब लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली को आगे ले जाना चाहिए. यतींद्र ने कहा, ‘मेरे पिता अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम दौर में हैं. अब कांग्रेस को आगे ले जाने की जिम्मेदारी सतीश जारकीहोली जैसे नेताओं को लेनी चाहिए, जो सामाजिक न्याय और प्रगतिशील विचारधारा में विश्वास रखते हैं.’
यतींद्र के इस बयान ने न केवल राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी. चलिये जानते हैं कि सतीश जारकीहोली कौन हैं और क्या मुख्यमंत्री की गद्दी को लेकर चल रही अंदरूनी जंग में अब डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का पत्ता कट गया है?
सतीश जारकीहोली को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का बेहद वफादार माना जाता है. वे डीके शिवकुमार के पुराने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भी माने जाते रहे हैं. जारकीहोली के नाम का इस वक्त उत्तराधिकारी के तौर पर उभरना इस बात का संकेत माना जा रहा है कि सिद्धारमैया गुट आने वाले समय में अपनी विचारधारा और ‘आहिंदा’ (अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग और दलित) राजनीति की विरासत को बनाए रखने के लिए एक नया चेहरा तैयार कर रहा है.
कौन हैं सतीश जारकीहोली?
सतीश जारकीहोली इस समय कर्नाटक के लोक निर्माण मंत्री (PWD Minister) हैं और यमकनमर्दी विधानसभा सीट से विधायक हैं. वे अनुसूचित जाति के वाल्मीकि समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और लंबे समय से सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए काम करते रहे हैं. वे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बनाए ‘आहिंदा गठबंधन’ का एक अहम हिस्सा माने जाते हैं.
‘आहिंदा’ शब्द की अवधारणा सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री देवराज उर्स ने दी थी, लेकिन इसे आधुनिक रूप में पुनर्जीवित करने का श्रेय सिद्धारमैया को जाता है. जारकीहोली उसी राजनीतिक धारा से आते हैं, जिससे सिद्धारमैया ने अपनी सियासी ताकत गढ़ी.
राजनीतिक परिवार और शक्ति संतुलन
63 वर्षीय सतीश जारकीहोली उत्तर कर्नाटक के बेलगावी जिले के बेहद प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से हैं. उनके परिवार की राजनीति में गहरी जड़ें हैं. उनके भाई रमेश जारकीहोली कभी कांग्रेस में हुआ करते थे, लेकिन 2018 में बीजेपी के साथ चले गए और मंत्री बने. वे फिलहाल बीजेपी के विधायक हैं. वहीं सतीश की बेटी प्रियंका जारकीहोली कांग्रेस की चिक्कोडी से सांसद हैं.
सियासी संकेत या पावर प्ले?
यतींद्र सिद्धारमैया का बयान भले ही उन्होंने बाद में ‘गलतफहमी’ बताते हुए स्पष्ट कर दिया कि उनका मतलब नेतृत्व परिवर्तन से नहीं था, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे डीके शिवकुमार के लिए चेतावनी माना जा रहा है.
सिद्धारमैया गुट के नज़दीकी लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री अपने ‘आहिंदा मॉडल’ की राजनीति को बनाए रखने के लिए किसी ऐसे नेता को आगे बढ़ाना चाहते हैं, जो सामाजिक न्याय के उस एजेंडे को आगे ले जा सके और जारकीहोली इस प्रोफाइल में पूरी तरह फिट बैठते हैं.
दूसरी ओर, वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले डीके शिवकुमार लंबे समय से मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जाते हैं. लेकिन अब जब सिद्धारमैया के बेटा यतींद्र खुद किसी और को ‘उत्तराधिकारी’ बताने लगे, तो यह संकेत साफ है कि सत्ता की यह जंग आने वाले महीनों में और तेज़ होगी. अब देखना यह होगा कि क्या सच में जारकीहोली कर्नाटक की राजनीति में सिद्धारमैया की विरासत संभालने वाले बनते हैं या फिर डीके शिवकुमार अपनी राजनीतिक ताकत से एक बार फिर बाज़ी पलट देते हैं.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
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Location :
Bengaluru,Bengaluru,Karnataka
First Published :
October 23, 2025, 10:21 IST