सौ बात की एक बात: सुदर्शन चक्र बनाने की तरफ बढ़ा कदम, IADWS टेस्ट क्यों अहम?

4 hours ago

Last Updated:August 28, 2025, 14:00 IST

 सुदर्शन चक्र बनाने की तरफ बढ़ा कदम, IADWS टेस्ट क्यों अहम?भारत ने सुदर्शन चक्र बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है.

सौ बात की एक बात ये कि भारत ने सुदर्शन चक्र बनाने की तरफ कदम बढ़ा ही नहीं दिए, पहला कदम टेस्ट भी कर दिया है. ये जो खबर आई कि IADWS टेस्ट किया है भारत ने, जानते हैं ये क्या चीज है? नाम तो आपने सुन लिया IADWS, यानी इंटिग्रेटेड ऐयर डिफेंस वेपन सिस्टम, लेकिन ये है क्या चीज़? इज़रायल का आयरन डोम सुना है ना आपने, कि वो लेबनान से हिज़्बुल्लाह के लड़ाके या गाज़ा से हमास के लड़ाके जो मिसाइलें और रॉकेट वगैरह मारते रहते हैं वो उनको हवा में ही मार गिराता है. जमीन पर गिरने ही नहीं देता. तो हमने भी अपना एयर डिफ़ेंस सिस्टम बना लिया है. अभी प्रधानमंत्री ने लाल किले से मिशन सुदर्शन चक्र की बात की थी ना? तो मिशन सुदर्शन चक्र 2035 तक भारत को एक सुपर ताक़तवर रक्षा ढाल देगा. ये उस ढाल का पहला हिस्सा है. सेना का ये IADWS इसकी शुरुआत है. भारतीय वायुसेना का एक IACCS सिस्टम है और सेना का एक आकाशतीर सिस्टम जिसका नाम आपने ऑपरेशन सिंदूर में सुना होगा. तो ये सब मिलकर पूरे देश को एक मज़बूत ढाल देंगे.

IADWS में अलग क्या
लेकिन इस IADWS में अलग क्या है ये समझने वाली बात है, इसलिए इसपर ध्यान दीजिये. ये आसमान से तीन तरह के ख़तरों को एक साथ रोक देता है. दुश्मन का हवाई जहाज़ आ रहा हो, या ड्रोन आ रहा हो, या मिसाइल आ रही हो. ये सिस्टम तीनों को रोक सकता है. क्योंकि इसमें तीन हथियारों का सुपर कॉम्बो है. ये इसका सबसे अनोखा फीचर है. इसमें तीन अलग-अलग हथियार हैं. एक है QRSAM यानी Quick Reaction Surface-to-Air Missile. क्विक रिएक्शन का मतलब आप समझ ही गए. और सर्फेस टू एयर मिसाइल मतलब ये जमीन से हवा में मारने वाली मिसाइल है. ये 30 किलोमीटर दूर तक जाकर दुश्मन के हवाई जहाज़ या मिसाइल को मार गिराता है. ये ऐसा है जैसे कोई सुपर तीरंदाज दूर से निशाना लगाए और पलक झपकते दुश्मन को खत्म कर दे. क्विक रिएक्शन. जब विमान या मिसाइल 30 किलोमीटर दूर हो. लेकिन अगर दुश्मन पास हो, कोई हेलिकॉप्टर हो या ड्रोन हो जो 6 किलोमीटर दूर ही आ चुका हो. तो इसका दूसरा हथियार है VSHORADS यानी Very Short Range Air Defence System.

तो इसको आप ऐसे समझ लो जैसे आपका सिपाही अपने कंधे पर रॉकेट लॉन्चर लिए खड़ा है. ये 6 किलोमीटर के दायरे में ड्रोन या हेलीकॉप्टर जैसे छोटे खतरे को मार गिराता है. इसे छोटी मछली पकड़ने वाले जाल की तरह समझें, जो पास के खतरे को फटाफट पकड़ लेता है.

लेकिन ड्रोन के लिए इसका सबसे जादुई हथियार तो इसका तीसरा हथियार है. DEW, यानी Directed Energy Weapon. ये तो जैसे साइंस-फिक्शन फिल्म में हथियार होते हैं ना, वैसा है. लेज़र लाइट. लेज़र गन समझ लीजिये. जो तेज़ रोशनी की किरण से छोटे ड्रोन या मिसाइल को 3 किलोमीटर के दायरे में जला देती है. भस्म कर देती है. यानी 30 किलोमीटर दूर निशाना लगाता है QRSAM, 6 किलोमीटर दूर VSHORADS, और 3 किलोमीटर पर ये DEW यानी ये लेज़र वाली जादुई टॉर्च दुश्मन को चकमा दे देती है. तो ये सिस्टम एक साथ इन तीन अलग-अलग हथियारों को मिलाकर काम करता है, और इन सबको एक स्मार्ट दिमाग़ कंट्रोल करता है.

दिमाग़ का नाम है C2C2, Centralised Command and Control Centre, ये सिस्टम का दिमाग है, जो रडार और कैमरों की मदद से आसमान पर नजर रखता है और सही हथियार को सही समय पर ऑर्डर देता है. ज़्यादातर देशों के पास ऐसे सिस्टम हैं जो सिर्फ़ एक तरह के ख़तरे को रोकते हैं, जैसे बड़ा हवाई जहाज या मिसाइल. लेकिन IADWS की ख़ासियत ये है कि ये तीनों हथियार एक साथ, एक ही कमांड सेंटर से, अलग-अलग ख़तरों को रोक सकता है. मिसाल के लिए, अगर दुश्मन एक साथ हवाई जहाज़, ड्रोन, और मिसाइल भेजे, तो IADWS तीनों को एक साथ निपटा देगा. और इसमें भी इसका लेज़र हथियार DEW इस सिस्टम का सबसे अनोखा और दिलचस्प हिस्सा है. ये एक लेज़र है, जो तेज़ रोशनी की किरण से ड्रोन या मिसाइल को जला देता है. इसे समझने के लिए कल्पना करें कि आपके पास एक जादुई टॉर्च है, जो दुश्मन के छोटे ड्रोन को हवा में ही बर्बाद कर दे. दुनिया में बहुत कम देशों के पास ऐसा लेज़र हथियार है, अमेरिका, रूस, और चीन जैसे गिने-चुने देश ही. भारत का DEW छोटे ड्रोन को रोकने में माहिर है, जो आजकल युद्ध में बहुत इस्तेमाल होते हैं. ड्रोन सस्ते होते हैं और रडार में आसानी से पकड़े नहीं जाते, लेकिन DEW की लेज़र किरण इन्हें पल भर में जला देती है.

DEW की जरूरत क्यों
तो इसका फ़ायदा क्या? मिसाइल से भी तो मार ही देते हैं. लेज़र से जला दो या मिसाइल से मार गो. तो समझने वाली बात ये है कि लेज़र को बार-बार मिसाइल खरीदने की ज़रूरत नहीं होती. बस बिजली चाहिए, और ये लगातार काम करता रहता है. या सस्ता और ज़्यादा असरदार. मिसाल के तौर पर, अगर दुश्मन सैकड़ों ड्रोन भेजे, तो DEW एक-एक करके सबको जला सकता है, बिना गोला-बारूद ख़त्म होने की चिंता के. और C2C2, यानी इसका दिमाग़ स्मार्ट दिमाग़ है. ये रडार और कैमरों से आसमान पर नज़र रखता है और पलक झपकते ही फैसला करता है कि कौन सा हथियार किस ख़तरे को रोकेगा. ये एक साथ कई ख़तरों को देख सकता है और हर ख़तरे के लिए सही हथियार चुन सकता है. मिसाल के लिए, अगर एक हवाई जहाज़, एक ड्रोन, और एक मिसाइल एक साथ आ रहे हों, तो C2C2 तुरंत ऑर्डर देगा QRSAM को कि जहाज़ को मारो, VSHORADS को बोलेगा मिसाइल को पकड़ो और DEW को ऑर्डर देगा कि ड्रोन को जला दो.

ये सब इतनी तेज़ी से होता है कि दुश्मन को चकमा देने का मौक़ा ही नहीं मिलता. अभी जो टेस्ट हुआ उसमें C2C2 ने तीन अलग-अलग ख़तरों, दो तेज़ मानवरहित हवाई जहाज़ और एक मल्टी-कॉप्टर ड्रोन को एक साथ पकड़ा और तीनों को सही हथियारों से मार गिराया. ये ऐसा था जैसे हॉलिवुड की फ़िल्मों में होता है ना कि बड़े से रोबॉट ने अपने तीन हाथों से तीन हथियार अपनी तरफ़ आते हुए पकड़ लिये हों. और सबसे गर्व करने वाली बात ये है कि ये पूरी तरह भारत में बना है. DRDO और भारतीय कंपनियों ने इसे बनाया, यानी हर मिसाइल, लेज़र, और रडार हमारा अपना है. अगर युद्ध की स्थिति हो, तब भी हमें अपने हथियार मिलते रहेंगे, क्योंकि हम ख़ुद बनाते हैं.और इससे भारत न सिर्फ़ अपनी रक्षा करता है, बल्कि भविष्य में IADWS को दूसरे देशों को बेच भी सकता है. IADWS का एक और अनोखा फ़ीचर है कि ये चलते-फिरते काम कर सकता है. मतलब QRSAM को ट्रक पर लादकर कहीं भी ले जाया जा सकता है, और वो चलते हुए भी मिसाइल दाग़ सकता है.यानी अगर हमारी सेना बॉर्डर पर बढ़ रही हो, तो IADWS उनके साथ चलकर उनकी रक्षा कर सकता है. ज़्यादातर पुराने सिस्टमों को एक जगह टिककर काम करना पड़ता है, लेकिन IADWS की ये क़ाबिलियत इसे बहुत ख़ास बनाती है. तो जब कोई दूसरे देशों के हथियारों की बात करे ना तो आप भी बता देना कि जब से युद्ध शुरू हुए हैं, एक हाथ में तलवार होती थी और दूसरे हाथ में ढाल. हमला करने वाले हथियार तो दुश्मन के तब काम आएंगे ना जब हमला हो पाएगा. ढाल ही ऐसी हो तो हथियार भेदेगा कैसे सुरक्षा को? भारत अब पीछे नहीं है इस खेल में. बल्कि बहुत से देशों से बहुत आगे निकल चुका है.

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First Published :

August 28, 2025, 14:00 IST

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