Last Updated:February 27, 2025, 20:53 IST
MISSION GAGANYAAN: साल 2035 तक एक ऑपरेशनल भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) तैयार किया जाएगा. 2040 तक भारतीय मानव चंद्र मिशन की योजना बनाई जाएगी. सभी प्रमुख अंतरिक्ष रिसर्च करने वाले देश मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए ...और पढ़ें

स्पेस रेडिएशन के बचाव पर काम जारी
हाइलाइट्स
गगनयान मिशन के लिए DRDO स्पेस रेडिएशन से बचाव की तकनीक पर काम कर रहा है.2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS-1) का पहला मॉड्यूल लॉन्च होगा.गगनयान मिशन के लिए 4 एयरफोर्स अधिकारियों को चुना गया है.MISSION GAGANYAAN: स्पेस तकनीक में भारत ने वह मुकाम हासिल कर लिया है कि अब अपने स्पेस स्टेशन की तैयारी जोरो पर है. गगनयान मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है. यह पहला मिशन होगा जब भारत अपने अंतरिक्ष यात्री भेजेगा. देश के अलग अलग संसथान इस मिशन के लिए खुद को तैयार कर रहे है. इसमें DRDO इस तकनीक पर काम कर रहा है कि कैसे अंतरिक्ष में होने वाले रेडिएशन से बचाव किया जा सके. DRDO के न्यूक्लियर मेडिसिन और एलाइड साइंसेज संस्थान (INMAS) की रिसर्च जारी है. इस विषय पर दिल्ली में सम्मेलन का भी आयोजन किया गया. NASA भी इस काम में जुटा है कि कैसे अंतरिक्ष में इंसान को सुरक्षित रखा जा सके.
स्पेस रेडिएशन सबसे बड़ी चुनौती
अंतरिक्ष में रेडिएशन का खतरा सबसे ज्यादा है. इस वक्त स्पेस रेडिएशन अंतरिक्ष में एक प्रमुख चुनौती है. लंबे समय तक के अंतरिक्ष मिशनों के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य एक गंभीर जोखिम खड़ा करता है. स्पेस का वैसे तो अपना कोई तापमान नहीं होता. अंतरिक्ष के ग्रह, उपग्रह,स्टेरॉइड मिलकर इसका तापमान बनाते हैं. हर वक्त खतरनाक रेडिएशन निकलती रहती है. जिसके चलते तापमान -200 डिग्री से 300 डिग्री तक पहुंच जाता है. अब भारतीय अतंरिक्ष यात्रियों की अंतरिक्ष यात्रा से पहले ही स्वदेशी तरीके से एंटी स्पेस रेडिएशन तकनीक पर काम जारी है. डीआरडीओ चेयरमेन समीर वी. कामत ने कहा ‘मानवता के लाभ के लिए बाहरी अंतरिक्ष का रिसर्च आजकल एक बड़ी जरूरत बन गई है. अगर हम प्रभावी रणनीतियां और सुरक्षा उपाय विकसित कर लेते हैं, तो हमारा देश अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम होगा. इससे मंगल ग्रह और उससे आगे के मिशनों के लिए रास्ता साफ हो जाएगा.
स्पेस रेडिएशन हो सकता है जानलेवा
स्पेस रेडिएशन के चलते DNA में बदलाव, कैंसर, दिल की बिमारी और मस्तिष्क संबधी गंभीर बीमारी हो सकती है. साल 1967 में एक आउटर स्पेस ट्रीटी के तहरत यह फैसला लिया गया था कि अंतरिक्ष से कोई चीज धरती पर नहीं लाई जाएगी. जो भी अंतरिक्ष यात्री स्पेस से लौटता है उसे धरती पर आने के बाद कई हफ्तों तक डीकंटेमिनेशन चैंबर में रखा जाता है. डीआरडीओ चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने कहा कि स्पेस रेडिएशन से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए एक इंटीग्रेटेड अपरोच की जरूरत है. जिसमें अलग अलग वैज्ञानिक क्षेत्रों को जोड़ना जरूरी है. ताकी हम अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए जरूरी तकनीकों और समाधानों को विकसित कर सकते हैं.
भारतीय स्पेस मिशन बनेगा दुनिया के लिए नजीर
गगनयान मिशन के लिए 4 एयरफोर्स के अधिकारियों को चुना है. रूस में इनकी ट्रेनिंग भी हो चुकी है. इसके साथ साथ भारत अपने अंतरिक्ष स्टेशन को स्थापित करने की तैयारी में है. सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के पहले यूनिट के निर्माण को मंजूरी भी दे दी है. यह मंजूरी गगनयान कार्यक्रम के दायरे का विस्तार करते हुए दी गई है. इसके तहत भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS-1) के पहले मॉड्यूल का विकास और उसे 2028 तक लॉन्च किया जा सकेगा. गगनयान प्रोग्राम को दिसंबर 2018 में मंजूरी दी गई थी. जिसका मकसद भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों की नींव रखना था, जो भविष्य में अंतरिक्ष रिसर्च के लिए मददगार सिद्ध होगा. इस कार्यक्रम के तहत भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान को लोअर अर्थ ऑरबिट (LEO) तक भेजने की योजना है.
First Published :
February 27, 2025, 20:51 IST