इंडियन आर्मी क्‍या गाजा-यूक्रेन में तैनात होगी? राजदूत के जवाब से समझें

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Last Updated:October 01, 2025, 17:28 IST

इंडियन आर्मी यूएन के शांत‍ि मिशनों में बढ़ चढ़कर ह‍िस्‍सा लेती रही है. ऐसे में अगर गाजा में भी यूएन शांत‍ि सैन‍िकों की तैनाती की जाती है तो हो सकता है क‍ि भारतीय सैन‍िकों को भी वहां भेजा जाए. लेकिन फ‍िलहाल डिफेंस मिन‍िस्‍ट्री के अफसर ने इसकी संभावना से इनकार क‍िया है.

इंडियन आर्मी क्‍या गाजा-यूक्रेन में तैनात होगी? राजदूत के जवाब से समझेंयूएन के शांत‍ि मिशनों में भारतीय सैन‍िक बढ़ चढ़कर ह‍िस्‍सा लेते हैं. यह तस्‍वीर सूडान की है.

गाजा में जंग रोकने के ल‍िए अमेर‍िकी राष्‍ट्रपत‍ि डोनाल्‍ड ट्रंप ने ‘शांत‍ि योजना’ पेश की है. इसमें लिखा है क‍ि गाजा में इंटरनेशनल पीस फोर्स तैनात की जाएगी. जिसमें कई देशों की फौज शामिल होगी. पाक‍िस्‍तान-इंडोनेश‍िया पहले ही अपने सैन‍िक भेजने का ऐलान कर चुके हैं. कुछ इसी तरह की कुछ बातें यूक्रेन को लेकर भी कही जा रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है क‍ि क्‍या गाजा में संयुक्‍त राष्‍ट्र की शांत‍ि सेना (UN Peacekeeping Missions) भेजी जाएगी? और अगर भेजी गई तो क्‍या इंडियन आर्मी के जवान भी उसमें शामिल होंगे? इस पर रक्षा मंत्रालय के सीनियर अफसर ने जवाब दिया है.

रक्षा मंत्रालय के सीनियर अफसर विश्वेश नेगी से पूछा गया क‍ि क्‍या यूक्रेन या गाजा में संयुक्‍त राष्‍ट्र की शांत‍ि सेना तैनात की जाएगी? इस पर नेगी ने साफ साफ कहा, संयुक्त राष्ट्र (UN) शांति सैनिकों की तैनाती यूक्रेन या गाजा में होना बेहद मुश्किल है. ज‍िस तरह का स्‍ट्रक्‍चर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का है, और जो मौजूदा स्थित‍ि है, देशों के बीच जो समीकरण हैं, उसे देखते हुए तो संभावना बेहद कम लगती है. विश्वेश नेगी ने साफ कहा कि भारतीय शांति सैनिक तभी भेजे जाएंगे जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से मंजूरी मिले और मिशन पूरी तरह संयुक्त राष्ट्र (UN) के चार्टर के तहत हो. उन्होंने बताया कि UNSC में स्थायी सदस्यों के बीच सहमति बनाना बहुत मुश्किल होता है, इसलिए फिलहाल ऐसे मिशन की संभावना बेहद कम है. वहीं, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने भी भारत का रुख साफ करते हुए कहा कि भारत केवल संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले ही किसी भी मिशन में हिस्सा लेता है, क्योंकि वही सबसे वैध तरीका है.

भारत शांत‍ि मिशन में सबसे आगे

भारत का UN शांति अभियानों (UN Peacekeeping Missions) से जुड़ा एक लंबा और गर्व भरा इतिहास रहा है. भारत ने दशकों से न सिर्फ बड़ी संख्या में सैनिक बल्कि पुलिस बल भी UN मिशनों में भेजे हैं. पिछले 75 साल में भारत ने 50 अलग-अलग मिशनों में करीब 2,90,000 शांति सैनिकों को भेजा है. इसी महीने भारत, संयुक्त राष्ट्र में सैनिक योगदान देने वाले देशों के सेना प्रमुखों का सम्मेलन भी आयोजित करने जा रहा है. यही वजह है कि भारत को इस मंच पर एक महत्वपूर्ण और भरोसेमंद साझेदार माना जाता है. ज्‍यादातर ह‍िंसाग्रस्‍त और व‍िवाद‍ित इलाकों में भारतीय शांत‍ि सैन‍िकों की तैनाती है. इसील‍िए सवाल भी आया. दिल्ली में UN के सैनिक योगदान देने वाले देशों के सेना प्रमुखों का सम्मेलन हो रहा था. इसी दौरान यह सवाल उठा कि क्या हालात बिगड़ने पर यूक्रेन और गाजा में भारतीय सैनिक भी भेजे जा सकते हैं. इस पर भारत का जवाब साफ था – फिलहाल ऐसी कोई संभावना नहीं दिखती.

क्यों मुश्किल है तैनाती?

रक्षा मंत्रालय के अधिकारी नेगी ने समझाया कि यूक्रेन और गाजा जैसे इलाकों में शांति सैनिक भेजने के लिए पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से सहमति चाहिए. लेकिन UNSC में कई बार रूस, अमेरिका और चीन जैसे बड़े देशों के बीच सहमति नहीं बन पाती. यूक्रेन के मामले में रूस और पश्चिमी देशों (खासतौर पर अमेरिका) के बीच टकराव साफ दिखता है. गाजा को लेकर अमेरिका और यूरोपीय देशों का रुख एक तरफ है, वहीं रूस और कुछ अन्य देश अलग नजरिया रखते हैं. यानी कि, अगर बड़े देश ही एक राय पर नहीं हैं, तो शांति सेना की तैनाती लगभग नामुमकिन हो जाती है.

इटली और ग्रीस की अपील

इधर, गाजा से जुड़ी एक और बड़ी खबर सामने आई. इटली और ग्रीस ने इजरायल से अपील की है कि अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ताओं (activists) की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, जो एक फ्लोटिला (नावों का समूह) के जरिए गाजा में राहत सामग्री पहुंचाना चाहते हैं. दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि हम इजरायल से अपील करते हैं कि इन कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की गारंटी दी जाए और सभी कांसुलर प्रोटेक्शन (दूतावास की सुरक्षा व्यवस्था) लागू की जाए.

टकराव की आशंका

यह फ्लोटिला गाजा की ओर जा रहा है लेकिन इजरायल ने संकेत दिए हैं कि वह इसे रोक सकता है. इटली और ग्रीस ने कार्यकर्ताओं को भी सलाह दी है कि वे राहत सामग्री सीधे गाजा भेजने के बजाय कैथोलिक चर्च को सौंप दें ताकि वहीं से इसका वितरण हो सके. लेकिन कार्यकर्ताओं ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. उनका कहना है कि उनका मिशन सिर्फ मदद पहुंचाना नहीं बल्कि इजरायल की नौसैनिक नाकेबंदी (Naval Blockade) को चुनौती देना और दुनिया के सामने उसका सच लाना है.

Gyanendra Mishra

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें

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First Published :

October 01, 2025, 17:28 IST

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