Last Updated:September 26, 2025, 17:37 IST
MIG-21 vs Tezas Price : सेना ने आज मिग-21 को डी-कमीशन कर दिया है. इसका मतलब है कि अब यह लड़ाकू विमान देश की सेवा नहीं करेगा. लेकिन, क्या आपको पता है कि रूस ने कितने रुपये में मिग-21 तैयार किया था और आज के तेजस से इसकी कीमत कितनी कम थी.

Retirement of MiG 21 from Indian Airforce : भारत देश की 60 साल तक सेवा करने के बाद रूसी तकनीक वाला लड़ाकू विमान मिग-21 आज रिटायर हो गया. सेना ने इसे डी-कमीशन कर दिया है. इसका मतलब है कि अगर सेना इस लड़ाकू विमान का इस्तेमाल नहीं करेगी. आज जहां फाइटर प्लेन बनाने में अरबों रुपये का इस्तेमाल होता है, वहीं रूस ने इस लड़ाकू विमान को सिर्फ एक फरारी कार की कीमत में तैयार कर दिया था. पुरानी तकनीक पर बने इस लड़ाकू विमान ने साल 1961 के युद्ध में दुश्मन सेना के दांत खट्टे कर दिए थे.
मिग-21 फाइटर प्लेन सोवियत युग का लड़ाकू विमान है. यही वजह रही कि इसे बनाने में काफी कम लागत आई है. तब एक फाइटर प्लेन पुराने एयरफ्रेम के साथ महज 3.32 करोड़ रुपये में तैयार हो गया था. अगर एक फरारी कार की कीमत देखें तो 3.76 करोड़ रुपये से 7.50 करोड़ रुपये के बीच होती है. जाहिर है कि रूस ने लड़ाकू विमान को एक फरारी कीमत से भी कम में तैयार कर दिया था. रूस ने इसे साल 1961 युद्ध के समय दिया था.
अपग्रेडेड मिग की कितनी कीमत
रूस ने बाद में मिग-21 को अपग्रेड किया और नए एयरफ्रेम के साथ MiG-21bis को बनाया. इसकी कीमत करीब 10.10 करोड़ रुपये बताई गई. साल 1959 में जब इसे बनाया गया था, अगर उसकी कीमत को आज के हिसाब से कैलकुलेट किया जाए तो करीब 24 करोड़ रुपये होगा. इसका मतलब है कि आज मिग-21 की कीमत 24 करोड़ रुपये के आसपास होगी. MiG-21 Bison के रखरखाव और आधुनिकीकरण के कारण इसकी लागत भी काफी बढ़ गई थी, जिस हिसाब से इसकी कीमत आज भी पुराना ही माना जाता है.
स्वदेशी तेजस की कितनी लागत
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल के बनाए आधुनिक तेजस फाइटर प्लेन की कीमत मिग से कहीं ज्यादा है. तेजस एक आधुनिक 4.5 जेनरेशन वाला फाइटर प्लेन है. इसकी एक यूनिट बनाने पर करीब 325 करोड़ रुपये का खर्चा आता है. इसका मतलब है कि तेजस की कीमत मिग की वर्तमान कीमत से भी करीब 14-15 गुना ज्यादा है. भारत सरकार ने साल 2021 में करीब 83 तेजस फाइटर प्लेन बनाने का ऑर्डर दिया है.
क्यों इतना महंगा है तेजस
तेजस फाइटर प्लेन के इतना महंगा होने का कारण इसमें लगे आधुनिक रडार और उन्नत टेक्नोलॉजी है. इसका आधुनिक इंजन भी काफी शक्तिशाली है, जिसकी वजह से इसे बनाने की लागत बढ़ जाती है. मिग की कीमत भले ही कम रही हो, लेकिन इससे दुर्घटनाएं ज्यादा होने लगी थी. मिग को एक घंटे तक उड़ाने के लिए 7.33 लाख रुपये का खर्चा आता था. इसी वजह से सेना ने इसे डी-कमीशन कर दिया है, ताकि ताकत को अपग्रेड किया जा सके.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
September 26, 2025, 17:37 IST