Railway Connectivity: केंद्र सरकार ने सोमवार को दो महत्वाकांक्षी सीमा पार रेल परियोजनाओं का अनावरण किया, जो पहली बार भूटान को भारत के रेलवे ग्रिड से जोड़ेंगी. भूटान के पास अपनी कोई रेलवे लाइन नहीं है. ये इस देश की पहली रेल संपर्क परियोजनाएं होंगी. इसकी योजना 20 साल पहले बनाई गई थी. जिससे यह हिमालयी राष्ट्र भारत के 70,000 किलोमीटर लंबे रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगा. 69 किलोमीटर लंबी कोकराझार (असम) – गेलेफू (भूटान) लाइन पर 3,456 करोड़ रुपये और 20 किलोमीटर लंबी बानरहाट (पश्चिम बंगाल) – समत्से (भूटान) लिंक पर 577 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
कोकराझार-गेलेफू लाइन चार सालों में पूरी होगी, जबकि बानरहाट-समत्से लाइन तीन सालों में पूरी होगी. सिलीगुड़ी कॉरिडोर, बानरहाट से लगभग 70 किमी और कोकराझार से 220 किमी दूर स्थित है, जो भारत-चीन-भूटान ट्राइजंक्शन के करीब है, जहां 2017 में डोकलाम सीमा पर संघर्ष हुआ था. ऐसे समय में जब इस क्षेत्र में चीन की उपस्थिति लगातार बढ़ रही है ये परियोजनाएं पूर्वी हिमालय में संपर्क और व्यापार को नया रूप दे सकती हैं.
कितने देशों से रेललाइन से जुड़ा भारत
आइए जानते हैं कि भारत कितने देशों से रेल लाइन से जुड़ा है और कितने देशों के लिए उसकी नियमित ट्रेन सेवाएं हैं. भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि उसकी कई जमीनी सीमाएं हैं, लेकिन सभी से रेलवे कनेक्शन या नियमित ट्रेनें नहीं चलतीं. बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान तीन देश भारत की रेल लाइन से जुड़े हैं. बांग्लादेश के लिए भारत से तीन नियमित ट्रेनें हैं, जबकि नेपाल के लिए केवल एक ट्रेन है. पाकिस्तान के साथ रेल कनेक्शन है, लेकिन फिलहाल यात्री सेवाएं बंद हैं. भूटान और म्यांमार तक ट्रेन चलाने की योजना है, लेकिन अभी कोई सेवा नहीं है. भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता एक्सप्रेस (दिल्ली-अटारी-लाहौर) और थार एक्सप्रेस (जोधपुर-मुनाबाव-खोखरापार-कराची) चलती थी. लेकिन अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ये सेवाएं पूरी तरह बंद हैं.
भारत-बांग्लादेश के बीच हैं 3 ट्रेनें
वर्तमान में भारत और बांग्लादेश के बीच कई नियमित यात्री ट्रेनें चलती हैं. मैत्री एक्सप्रेस कोलकाता से ढाका, संध्या/मिताली एक्सप्रेस न्यू जलपाईगुड़ी (सिलीगुड़ी) से ढाका और बंधन एक्सप्रेस कोलकाता से खलाशी (खुलना) तक. इसके अलावा कई मालगाड़ियां भी भारत से बांग्लादेश जाती हैं. भारत और नेपाल के बीच कुछ छोटी रेल सेवाएं हैं. जयनगर (बिहार) से कुर्था (नेपाल) यह ब्रॉडगेज रेलवे लाइन भारतीय रेल ने बनाकर नेपाल को दी है. आगे इसे बर्दिबास तक बढ़ाने की योजना है. यह सेवा नियमित रूप से चल रही है, और भारत-नेपाल की पहली आधुनिक रेल सेवा है. पूर्वोत्तर भारत से म्यांमार तक रेललाइन जोड़ने की योजना है. यह रेलवे लाइन मणिपुर के मोरेह से म्यांमार के कलाय तक जाएगी. भारत-चीन के बीच कोई रेल लाइन नहीं है. ये हिमालय और राजनीतिक कारणों से संभव भी नहीं है.
मैत्री एक्सप्रेस कोलकाता से ढाका के बीच चलती है.
एशिया में कहां चलती हैं सबसे ज्यादा ट्रेनें
एशिया में कई देशों के पास अंतरराष्ट्रीय रेल कनेक्शन हैं, लेकिन दूसरे देशों तक सबसे ज्यादा और नियमित यात्री ट्रेनों के मामले में चीन सबसे आगे है. चीन के अपने कई पड़ोसियों से रेल कनेक्शन हैं. कुल मिलाकर चीन से कम-से-कम छह देशों तक यात्री रेल सेवाएं सक्रिय हैं. चीन से एक अंतरराष्ट्रीय यात्री ट्रेन बीजिंग से चलकर मंगोलिया से आगे रूस तक जाती है. एक ट्रेन रूट बीजिंग से मॉस्को तक है. वहीं, कजाकिस्तान, उरुमची, अल्माटी/नूर-सुल्तान तक एक ट्रेन जाती है. एक रेलवे लाइन उत्तर कोरिया के प्योंगयांग तक है. एक ट्रेन वियतनाम में हनोई और कुनमिंग से चीन को जोड़ती है. इसके अलावा लाओस तक हाई-स्पीड रेलवे 2021 में शुरू हो चुकी है.
एर्लियन – उलानबटार ट्रेन.
दुनिया में जर्मनी पहले नंबर पर
दुनिया में ज्यादातर देश अपनी सीमा से कुछ ही देशों तक रेलमार्ग से जुड़े होते हैं, लेकिन कुछ बड़े देश ऐसे हैं जो कई देशों से रेल द्वारा जुड़े हुए हैं. अगर सक्रिय और नियमित अंतरराष्ट्रीय यात्री और मालगाड़ी रेल कनेक्शन देखें तो जर्मनी और फ्रांस सबसे आगे हैं. जर्मनी और फ्रांस से लगभग हर पड़ोसी देश को जाने वाली नियमित यात्री ट्रेनें रोज चलती हैं. रेलवे द्वारा सबसे ज्यादा देशों से जुड़े देशों में पहले नंबर पर जर्मनी आता है. जर्मनी अपनी रेलवे लाइन से नौ देशों से जुड़ा हुआ है. यूरोप में रेल नेटवर्क सबसे घना है. जर्मनी से रेल द्वारा डेनमार्क, पोलैंड, चेक गणराज्य, ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, लक्सेमबर्ग, बेल्जियम और नीदरलैंड्स जाया जा सकता है. फ्रांस का लगभग आठ देशों से रेल कनेक्शन है. वहां से बेल्जियम, लक्सेमबर्ग, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, इटली, मोनाको, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम जाया जा सकता है.
जर्मनी से रेल द्वारा डेनमार्क की यात्रा.
10 देशों से जुड़ा है रूस, लेकिन…
अपनी लंबी सीमा की वजह से रूस भी रेलवे से लगभग 10 देशों से जुड़ा है, लेकिन उसकी रेल साेवाएं कुछ लाइनों पर सक्रिय हैं और कुछ बहुत सीमित हैं. यानी तकनीकी रूप से रूस दुनिया का वो देश है जो सबसे ज्यादा देशों से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है, लेकिन राजनीतिक कारणों से सब सक्रिय नहीं हैं. रूस से पहले बहुत ट्रेनें पड़ोसी देशों तक जाती थीं, लेकिन 2022 के बाद राजनीतिक कारणों से अधिकतर बंद हैं. रूस की लंबी सीमाएं हैं, लेकिन यहां स्थिति अलग है. चीन, मंगोलिया और कजाकिस्तान से नियमित यात्री और मालगाड़ियां चलती हैं. फिनलैंड से पहले हेलसिंकी–सेंट पीटर्सबर्ग ट्रेन चलती थी, लेकिन 2022 से रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बंद है. यूक्रेन, लातविया, एस्तोनिया, लिथुआनिया आदि के लिए पहले सीधी ट्रेनें चलती थीं, पर अब ज्यादातर बंद हो चुकी हैं. उत्तर कोरिया से रेलवे लाइन तो है, लेकिन नियमित यात्री सेवा नहीं है. यानी रूस की कनेक्टिविटी है, मगर नियमित अंतरराष्ट्रीय ट्रेनें बहुत सीमित रह गई हैं. रूस से सक्रिय नियमित यात्री ट्रेनें सिर्फ चीन, मंगोलिया और कजाकिस्तान) के लिए हैं.
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