Last Updated:August 06, 2025, 17:18 IST
Muslim Women Wear Burqa News: क्या बुर्का पहनना लड़कियों के बालिग होने के बाद शुरू हो जाता है? कुछ साल बाद क्यों बुजुर्ग और विवाहित महिलाएं बुर्का पहनना छोड़ देती हैं? एक ही परिवार की कुछ महिलाएं बुर्का-हिजाब प...और पढ़ें

हाइलाइट्स
क्या बुर्का पहनना व्यक्तिगत विश्वास पर निर्भर करता है?क्यों बालिग होने के बाद लड़कियां हिजाब पहनना शुरू कर देती हैं?क्या इस्लाम में बुजुर्ग महिलाओं को बुर्का पहनने से छूट दी जाती है?Muslim Women Wear Burqa News: क्या इस्लाम में बुर्का पहनना लड़कियों के जवान या बालिग होने के बाद शुरू हो जाता है? या फिर इस्लाम में लड़कियों के जन्म के कुछ साल बाद ही बुर्का पहनाने का रिवाज है? या फिर इस्लाम में महिलाओं पर जीवन भर बुर्का या हिजाब पहनने का नियम लागू होता है? आप अक्सर देखते होंगे कि किसी मुस्लिम कार्यक्रमों में या सफर के दौरान बस, ट्रेन या मेट्रो में एक ही परिवार की कुछ महिलाएं बुर्का पहने हुई रहती हैं तो कुछ महिलाएं बिना बुर्का या हिजाब की ही रहती हैं. ज्यादातर बुजुर्ग महिलाएं बुर्का या हिजाब में नहीं रहती हैं. ऐसे में दूसरे धर्म के लोगों के मन में सवाल जागता है कि एक ही परिवार के कुछ मुस्लिम महिलाएं बुर्का में हैं और उसी परिवार की दूसरी कुछ बुजु्र्ग महिलाएं बुर्के में या हिजाब में क्यों नहीं हैं? क्या यह नियम मुस्लिमों में सिर्फ जवान लड़कियों और विवाहित महिलाओं पर तब तक लागू होता है, जब तक उनका पीरियड यानी मासिक धर्म होना बंद नहीं हो जाता? या फिर इसके मानने और न मानने के पीछे कट्टरता और मुस्लिम धर्मगुरुओं का फतवा तो नहीं?
मुस्लिम धर्मगुरुओं की मानें तो बुर्का पहने का रिवाज व्यक्तिगत विश्वास और क्षेत्रीय प्रथाओं पर निर्भर करता है. कुरान और हदीस में साधारणता पर जोर है, लेकिन मुस्लिम महिलाओं का चेहरा ढकना वैकल्पिक माना गया है. यूपी-बिहार जैसे राज्य में मुस्लिम महिलाएं अपनी सुविधा और परंपराओं के अनुसार हिजाब, बुर्का या अन्य साधारण कपड़े चुनती हैं. बुर्का पहनने की कोई निश्चित आयु सीमा नहीं है, जिसके बाद बुर्का पहनना बंद करना अनिवार्य हो. यह व्यक्तिगत और सामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है.
मुस्लिम महिलाएं किस उम्र तक पहनती हैं बुर्का?
किस उम्र से मुस्लिम लड़कियां पहनती हैं बुर्का?
इस्लाम में बुर्का या हिजाब पहनने के संबंध में कोई एक समान नियम नहीं है, क्योंकि यह इस्लामिक शिक्षाओं, क्षेत्रीय परंपराओं और खुद के बनाए नियम कायदा पर निर्भर करता है. इस्लामिक कानून शरिया, कुरान, हदीस और सामाजिक प्रथाओं पर आधारित है. इस्लाम में महिलाओं और पुरुषों के लिए कपड़ों के संबंध में साधारणता पर जोर दिया गया है. कुरान की सूरह अन-नूर (24:31) और सूरह अल-अहज़ाब (33:59) में महिलाओं को सलाह दी गई है कि वे अपने शरीर को ढकें और साधारण तरीके से कपड़े पहनें. इन आयतों में ‘हिजाब’ यानी पर्दा और ‘जिलबाब’ यानी बाहरी वस्त्र का उल्लेख है, जिसे मुस्लिम धर्मगुरुओं इस तरह व्याख्या करते हैं कि महिलाओं को अपने शरीर के कुछ हिस्सों जैसे सिर, बाल, छाती और शरीर को ढकना चाहिए.
शरीर और चेहरा ढकना अनिवार्य है वैकल्पिक?
हालांकि, बुर्का जो पूरे शरीर को ढकता है, जिसमें चेहरा और आंखें भी शामिल हैं या फिर आंखों के लिए जाली होती है. सिर और शरीर को ढकने वाला दुपट्टा पहनने की अनिवार्यता पर इस्लामिक विद्वानों के बीच मतभेद हैं. कुछ विद्वान मानते हैं कि चेहरा और हाथों को छोड़कर शरीर को ढकना चाहिए.
क्या महिलाएं एक उम्र के बाद बुर्का या हिजाब पहनना छोड़ सकती हैं?
मुस्लिम लड़कियों में बालिग होने के क्या लक्षण
इस्लाम में आमतौर पर माना जाता है कि लड़कियों को बालिग होने यानी पहली माहवारी के बाद से हिजाब या साधारण कपड़े पहनने चाहिए. यह उम्र आमतौर पर 9 से 15 साल के बीच हो सकती है. हदीस में उल्लेख है कि बालिग होने के बाद महिलाओं पर साधारणता के नियम लागू होते हैं. हालांकि, कुछ परिवार और समुदाय छोटी उम्र से ही लड़कियों को हिजाब पहनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि यह आदत बन जाए.
क्या उम्र भर पहनने की प्रथा?
इस्लामिक शिक्षाओं में यह नहीं कहा गया कि बुर्का या हिजाब केवल एक निश्चित उम्र तक पहना जाना चाहिए. जिन महिलाओं या समुदायों ने इसे अपनाया है, वे इसे आमतौर पर उम्र भर पहनती हैं, जब तक कि स्वास्थ्य या अन्य व्यावहारिक कारणों से इसे पहनना मुश्किल न हो. कुछ क्षेत्रों में बुजुर्ग महिलाओं को चेहरा ढकने की अनिवार्यता से छूट दी जाती है, जैसा कि सूरह अन-नूर (24:60) में उल्लेख है, जहां कहा गया है कि बुजुर्ग महिलाएं, जो विवाह की इच्छा नहीं रखतीं अपने कपड़ों में कुछ ढील दे सकती हैं, बशर्ते वे साधारणता बनाए रखें.
पीरियड्स तक अनिवार्यता?
इस्लाम में हिजाब या बुर्का पहनना माहवारी यानी पीरियड्स तक सीमित नहीं है. यह साधारणता का हिस्सा है जो बालिग होने के बाद शुरू होता है और सामान्य रूप से जीवन भर लागू रहता है. हालांकि, माहवारी के दौरान कोई अतिरिक्त नियम नहीं है जो बुर्का पहनने को अनिवार्य या गैर-अनिवार्य बनाता हो.
इस्लाम में बुर्का या हिजाब पहनने की कोई उम्र निर्धारित नहीं है.
इस्लाम क्या कहता है?
इस्लाम में बुर्का या हिजाब पहनने की कोई उम्र निर्धारित नहीं है. यह लड़कियों के यौवन आम तौर पर 9-15 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर अनिवार्य हो जाता है. इस उम्र के बाद शरीर में लड़कियों के कई तरह के बदलाव होते हैं, जिसको छुपाने के लिए बुर्का या हिजाब पहनाया जाता है. गैर-महरम की उपस्थिति में यानी उन पुरुषों के सामने जो आपके पति या रिश्तेदार नहीं हैं औऱ जिनसे शादी करना हराम है, बुर्का या हिजाब पहनना अनिवार्य है.
विभिन्न संस्कृतियों में हिजाब पहनने की प्रथा में भिन्नता हो सकती है. कुछ समुदायों में लड़कियां बहुत कम उम्र से ही हिजाब पहनना शुरू कर देती हैं, जबकि अन्य में यह यौवन या किसी विशेष समारोह से जुड़ा हो सकता है. कुछ महिलाएं बुर्का या हिजाब को अपनी धार्मिक पहचान और गरिमा के रूप में पहनती हैं, जबकि अन्य इसे शालीनता और विनम्रता का प्रतीक मानती हैं. कुल मिलाकर, बुर्का पहनने की अनिवार्यता का संबंध यौवन और गैर-महरम की उपस्थिति से है, लेकिन व्यक्तिगत धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के आधार पर इसे अलग-अलग तरह से अपनाया जा सकता है.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
August 06, 2025, 17:18 IST