स्‍पेशल 26 जैसी है फर्जीवाड़े की कहानी, 45 दिन का डिजिटल अरेस्‍ट, 23 करोड़ ठगी

2 days ago

Last Updated:September 26, 2025, 17:55 IST

Biggest Digital Arrest Fraud : दिल्‍ली में डिजिटल अरेस्‍ट से ठगी का ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें 45 दिनों तक बैंकर को ठगों ने अपनी गिरफ्त में रखा और इस दौरान करीब 23 करोड़ रुपये अपने खाते में डलवा लिए.

स्‍पेशल 26 जैसी है फर्जीवाड़े की कहानी, 45 दिन का डिजिटल अरेस्‍ट, 23 करोड़ ठगीडिजिटल अरेस्‍ट रखकर पूर्व बैंकर से 23 करोड़ रुपये ठग लिए.

नई दिल्‍ली. जरा फर्ज कीजिए कि एक आदमी जो बैंकर रहा है. जिसे पाई-पाई का हिसाब रखना आता हो और पैसों के निवेश से लेकर उसके मैनेजमेंट तक के सारे गुर पता हों. ठगों ने उसे पूरे 45 दिन तक डिजिटल अरेस्‍ट रखा और अब तक की सबसे बड़ी ठगी को अंजमा दिया. इस दौरान फर्जी चार्जशीट और एफआईआर की कॉपी तक भेजी. गिरफ्तारी का डर दिखाकर ठगों ने इस शख्‍स से करीब 23 करोड़ रुपये वसूल लिए, जो खुद एक बैंकर रहा है. फर्जीवाड़े की यह कहानी किसी बॉलीवुड फिल्‍म से कम नहीं है.

कुछ समय पहले अक्षय कुमार की एक मूवी आई थी स्‍पेशल 26. इसमें अक्षय कुमार एक फर्जी अधिकारी बनकर और फर्जी टीम बनाकर एक बड़ी ठगी को अंजाम देते हैं. कमोबेश ऐसा ही कुछ मामला सामने आया देश की राजधानी दिल्‍ली में. जहां 78 साल के एक रिटायर बैंक को ठगों ने ऐसे जाल में फंसाया कि उन्‍होंने खुद अपना सारा पैसा उनके नाम कर दिया. करीब 45 दिन तक डिजिटल अरेस्‍ट रहने के बाद जब उन्‍हें इस फर्जीवाड़े का अहसास हुआ, तब तक उनका खाता खाली हो चुका है और सेविंग व निवेश के भी सारे पैसे चले गए थे. इस दौरान ठगों ने उनसे 22.92 करोड़ रुपये वसूल लिए, जो शायद अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्‍ट का फर्जीवाड़ा है.

कैसे रचा ठगी का ड्रामा
दिल्‍ली पुलिस के अनुसार, ठगों ने खुद को ईडी और मुंबई पुलिस का अधिकारी बताकर संपर्क किया और पूर्व बैंकर नरेश मल्‍होत्रा से कहा कि उनका आधार व लैंडलाइन नंबर आतंकी फंडिंग में इस्‍तेमाल हो रहा है. ड्रामे की शुरुआत 1 अगस्‍त को हुई थी और करीब 6 हफ्ते तक चला. इस दौरान कथित वेरिफिकेशन प्रोसेस के नाम पर ठगों ने उनके सारे एसेट को लिक्विडेट करा लिया और पैसे ट्रांसफर करवा लिए. मतलब कि उन्‍होंने जो भी पैसे स्‍टॉक और म्‍यूचुअल फंड या एफडी में लगाए थे, उन सभी को निकलवाकर बैंक खाते में जमा करवा लिया और फिर खाता साफ कर दिया.

कैसे हुई ठगी की शुरुअता
1 अगस्‍त को नरेश के पास एक लड़की का फोन आता है, जो खुद को एयरटेल की प्रतिनिधि बताती है और कहती है कि उनका लैंडलाइन नंबर मुंबई में कई खाते खोलने में इस्‍तेमाल हुआ है. इन खातों से पुलवामा आतंकी हमले के लिए 1,300 करोड़ रुपये की फंडिंग की गई है. इसके तत्‍काल बाद ईडी और मुंबई पुलिस का अधिकारी बनकर उन्‍हें कॉल किया गया और जांच शुरू करने की बात कही गई. मामले में एनआईए भी कथित रूप से शामिल हुई और मुंबई पुलिस के अधिकारी बने ठग ने वीडियो कॉल पर वेरिफिकेशन प्रोसेस शुरू करने की जानकारी दी. फ्रॉड करने वाले ने नरेश को एक युवक की तस्‍वीर दिखाई और कहा कि यह आदमी कई बैंक फ्रॉड में शामिल रहा है, जिसका कनेक्‍शन उनसे मिलता है.

डर दिखाकर ले ली सारी जानकारी
ठगों ने गिरफ्तारी का डर दिखाकर नरेश से सारी पर्सनल और फाइनेंशियल डिटेल ले ली. उनके घर का पता, बैंक खाते, एफडी, शेयर और लॉकर तक की जानकारी ठगों ने ले ली. इस बीच नरेश को फर्जी चार्जशीट और एफआईआर की कॉपी तक थमाई गई. ठगों ने कहा कि अगर इस बारे में किसी से बात की तो उन्‍हें पूछताछ के लिए 6 महीने अंदर रहना पड़ेगा. जब वे पूरी तरह ठगों के जाल में फंस गए तो उनसे कहा गया कि जमानत का इंतजाम हो गया है लेकिन इसके लिए उन्‍हें पूरी तरह सहयोग करना होगा. ठगों ने कहा कि उनके सभी खाते जांच के घेरे में हैं.

ठगों के कहने पर बेच डाले शेयर
मल्‍होत्रा ने बताया कि ठगों ने उनसे सारे एसेट बेचकर पैसे अपने खाते में डालने के लिए. इसके बाद उन्‍होंने 12.84 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर ठगों के दिए खाते में जमा करा दिए. इससे पहले ही वह करीब 14 लाख रुपये अपने बैंक अकाउंट से भी ट्रांसफर कर चुके थे. इतना ही नहीं एफडी और म्‍यूचुअल फंड से भी करीब 9.90 करोड़ रुपये निकालकर उन्‍होंने ठगों के खाते में जमा करा दिए. इन 45 दिनों में नरेश को एक भी पैसे अपने खाते से खर्च करने के लिए ठगों की इजाजत लेनी पड़ती थी.

महीनेभर बैंक के चक्‍कर लगाए
मल्‍होत्रा ने कहा कि 4 अगस्‍त से लेकर 4 सितंबर तक लगभग रोज ही वे बैंक जाते थे, क्‍योंकि ठगों ने उनसे आरटीजीएस के जरिये ही पैसे भेजने की बात कही थी. मल्‍होत्रा ने बताया कि इस दौरान उनके पैसे 4,236 छोटे-छोटे ट्रांजेक्‍शन के जरिये उत्‍तराखंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु स्थित बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए. पुलिस का कहना है कि डिजिटल अरेस्‍ट के ज्‍यादातर के मामलों में इसी तरह से ठगी होती है और इन पैसों को रिकवर करना लगभग नामुमकिन रहता है.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

September 26, 2025, 17:55 IST

homebusiness

स्‍पेशल 26 जैसी है फर्जीवाड़े की कहानी, 45 दिन का डिजिटल अरेस्‍ट, 23 करोड़ ठगी

Read Full Article at Source