₹10 के लिए 25 बच्चों ने हाथ में ब्लेड मार ली, सारे मां-बाप कृप्या ध्यान दें!

3 days ago

Gujarat: अमरेली जिले के एक सरकारी स्कूल में चौंकाने वाली घटना सामने आई. 20-25 बच्चों ने ब्लेड से अपने हाथ काट लिए. वे 10 रुपये की शर्त पर एक-दूसरे को चैलेंज कर रहे थे.

News18 हिंदी Last Updated :March 26, 2025, 18:23 ISTEditor pictureWritten by
  Shikhar Shukla

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गुजरात के अमरेली जिले के बगसरा तालुका स्थित मुंजियासर गांव के सरकारी प्राथमिक स्कूल में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है. कक्षा 5 से 7 तक के 20-25 छात्रों ने पेंसिल शार्पनर के ब्लेड से अपने हाथ काट लिए. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी और पुलिस तुरंत स्कूल पहुंचे.

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प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह मामला बच्चों के बीच एक अजीबोगरीब खेल का हिस्सा था. एक बच्चा दूसरे को ब्लेड से हाथ काटने की चुनौती देता था, और अगर वह ऐसा कर लेता, तो उसे 10 रुपये इनाम में दिए जाते थे.

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घटना करीब एक सप्ताह पहले हुई थी, लेकिन बच्चों ने इस बारे में अपने माता-पिता को कुछ नहीं बताया. जब स्कूल प्रशासन को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने बच्चों के अभिभावकों को जानकारी दी.

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अमरेली के एएसपी जयवीर गढ़वी ने कहा कि स्कूल के बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों के बयान दर्ज किए गए हैं. घटना में कोई आपराधिक साजिश नहीं पाई गई. यह बच्चों के बीच एक-दूसरे को चुनौती देने का खेल था, जिसे उन्होंने गंभीरता से ले लिया.

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स्कूल के प्रिंसिपल हर्षाबेन मकवाना ने बताया कि उन्हें 18-19 तारीख को कुछ बच्चों से इस घटना की जानकारी मिली थी. 20 तारीख को अभिभावकों को सूचित किया गया. उनका कहना है कि बच्चे ‘गेम’ खेल रहे थे, जिसमें हारने वाले को 5 रुपये देने होते थे.

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बच्चों के माता-पिता का कहना है कि स्कूल में इस तरह की घटना होना चिंता का विषय है. उन्होंने शिक्षकों और प्रिंसिपल को जिम्मेदार ठहराते हुए ग्राम पंचायत, जिला शिक्षा अधिकारी और बगसरा पुलिस को लिखित शिकायत दी है.

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गुजरात के शिक्षा मंत्री प्रफुल्ल पंशेरिया ने कहा कि यह मामला माता-पिता और शिक्षकों के लिए चेतावनी है. बच्चों ने खुद को नुकसान पहुंचाने का जो तरीका अपनाया, वह खतरनाक है और इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.

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विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में इस तरह की प्रवृत्ति बढ़ने के पीछे सोशल मीडिया, फिल्में और दोस्तों का दबाव हो सकता है. माता-पिता और शिक्षकों को सतर्क रहकर बच्चों से खुलकर बातचीत करनी चाहिए.

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