Last Updated:May 22, 2025, 20:17 IST
Delhi DTC Bus News: दिल्ली में DTC ने नई SOP बनाई है जिससे खराब बसों को 15 मिनट में हटाया जाएगा. रोजाना 100 से अधिक बसें खराब होती हैं. Quick Response Teams (QRT) और भारी क्रेन 30 संवेदनशील स्थानों पर तैनात की ...और पढ़ें

खराब बसों के जल्दी हटने से सड़कों पर जाम से निजात मिलेगी. (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
DTC की नई SOP से 15 मिनट में हटेंगी खराब बसें30 संवेदनशील स्थानों पर तैनात की गईं QRT और भारी क्रेनरोजाना 100 से अधिक बसें होती हैं खराब, नई SOP से मिलेगी राहतनई दिल्ली. दिल्ली में आए दिन सड़कों पर खराब होती बसों से न केवल यातायात बाधित होता है, बल्कि यात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस समस्या से निपटने के लिए दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (DTC) ने एक नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार की है, जिसके तहत खराब हुई बसों को अब सिर्फ 15 मिनट के भीतर सड़क से हटाया जाएगा.
हर दिन 100 से अधिक बसें होती हैं खराब: दिल्ली में कुल 6,966 बसें संचालित होती हैं, जिनमें 3,819 DTC और 3,147 क्लस्टर बसें शामिल हैं. अधिकारियों के मुताबिक, रोजाना औसतन 100 से 123 DTC बसें खराब होती हैं. सबसे अधिक खराबी वे इलाकों में देखने को मिलती है जहां ट्रैफिक दबाव अत्यधिक होता है, जैसे कि:
• ISBT कश्मीरी गेट
• मिंटो ब्रिज अंडरपास
• सराय काले खां
• ITO
• AIIMS फ्लाईओवर
• धौला कुआं
• बाबा खड़क सिंह मार्ग
• अशोक विहार
• द्वारका मोड़
• मुकरबा चौक
• और अन्य 30 प्रमुख स्थान
समस्या की जड़: पुरानी बसें और AMC का अभाव
DTC अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान खरीदी गई कई बसें अपनी सेवा अवधि पूरी कर चुकी हैं. साथ ही, इन बसों का एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (AMC) भी अब समाप्त हो गया है, जिससे नियमित खराबी की घटनाएं बढ़ गई हैं.
समाधान: तैनात की गईं Quick Response Teams (QRT)
समस्या के समाधान के लिए DTC ने 30 संवेदनशील लोकेशनों पर Quick Response Teams (QRT) और भारी क्रेन तैनात की हैं. इन टीमों को इस प्रकार प्रशिक्षित किया गया है कि वे किसी भी खराब बस की सूचना मिलने के 5 मिनट के भीतर पहुंचें और 15 मिनट के अंदर उसे सड़क से हटा लें. पहले किसी बस के खराब होने पर संबंधित डिपो से टीम को पहुंचने में 3 से 4 घंटे लगते थे, जिससे जाम और असुविधा और बढ़ जाती थी.
नई SOP की खास बातें
DTC की नई 34-पृष्ठीय SOP में सभी स्तरों के कर्मचारियों की भूमिकाएं तय की गई हैं — कंट्रोल रूम से लेकर फील्ड स्टाफ तक:
• 24×7 कंट्रोल रूम संचालित किया जाएगा.
• हर खराबी की जानकारी तुरंत QRT को भेजी जाएगी.
• मॉनसून के दौरान जलभराव की भी निगरानी की जाएगी.
• नियंत्रण कक्ष की निगरानी दो ट्रैफिक डिप्टी मैनेजर्स द्वारा की जाएगी.
फील्ड टीमें और निगरानी तंत्र
• 100 फील्ड ऑपरेशन मॉनिटरिंग टीमें बसों की स्थिति पर नजर रखेंगी.
• 70 दोपहिया मोबाइल टीमों को ब्रेक फेल जैसी खराबियों की त्वरित मरम्मत के लिए तैनात किया गया है.
• चार क्षेत्रीय स्तर की टीमें और चार लोकेशन-वाइज सुपरविजन टीमों को जिम्मेदारी दी गई है.
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...
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