Last Updated:February 24, 2025, 08:07 IST
GALWAN NEWS: पिछले कुछ वक्त से बॉर्डर एरिया डिवेलपमेंट पर काफी काम किया गया है. वाइब्रेंट विलेज सहित कई प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं. अब ‘भारत रणभूमि दर्शन’ के जरिए टूरिस्टों की उन इलाकों में आवाजाही बढ़ाई जाएगी ज...और पढ़ें

गलवान ग्राउंड जीरो के करीब होंगे टूरिस्ट
हाइलाइट्स
गलवान में 4 साल बाद पर्यटकों की एंट्री होगी.गलवान वॉर मेमोरियल 15 जून को खुल सकता है.पर्यटकों के लिए कैफेटेरिया और गेस्ट हाउस बनेंगे.GALWAN NEWS: 15 जून 2020 का वह दिन जिसने दुनिया के दो बड़े देशों के बीच जंग की आहट को तेज कर दिया था. इसी दिन भारत और चीन के बीच ऐसी हिंसक झड़प हुई उसका असर आज भी देखा जा सकता है. हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिकों वीरगति को प्राप्त हो गए. चीन को भी जबरदस्त नुक्सान हुआ. अब ठीक 4 साल के बाद एक बार फिर गलवान सुर्खियों में आने वाला है. रिपोर्ट के मुताबिक 15 जून को ही गलवान वॉर मेमोरियल पर्यटकों के लिए खुल सकता है. सूत्रों के मुताबिक मई के आखिरी हफ्ते तक सभी जरूरी काम को पूरा करने की कोशिशें तेज की गई है.
‘भारत रणभूमि दर्शन’ प्रोग्राम ने खोले गलवान के दरवाजे
भारतीय थलसेना दिवस के मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ‘भारत रणभूमि दर्शन’ प्रोग्राम को लॉंन्च किया था. उसके बाद से प्लानिंग को तेज किया गया. अभी पूर्वी लद्दाख के इलाकों में तापमान माइनस में है. गलवान में फिलहाल पारा माइनस 30 से माइनस 35 डिग्री है. इतनी ठंड में किसी भी तरह के काम को करना संभव नहीं होता. सूत्रों के मुताबिक अप्रैल के पहले हफ्ते में जब तापमान बढ़ना शुरू होगा तब पर्यटकों के घूमने जाने की व्यवस्था तैयार करने काम तेज किया जाएगा. 256 किलोमीटर लंबे DSDBO रोड़ यानी दुर्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड़ पर सिर्फ श्योक गांव तक ही लोगों को जाने की अनुमति थी. 2020 के बाद से इस इलाकें में स्थानीय निवासी और सेना के अलावा किसी भी एंट्री नहीं दी गई है. गलवान में हिंसा में शहीद हुए भारतीय सेना के जवानों के सम्मान में वॉर मेमोरियल तैयार किया गया है. अक्टूबर 2020 में DSDBO रोड़ पर KM 120 पोस्ट पर गलवान वॉर मेमोरियल स्तिथ है.
बंजर इलाकें में बनेंगे गेस्ट हाउज और कैफेटेरिया
पूर्वी लद्दाख के दुर्बुक के तिराहे से एक रोड चला जाता है पैंगैंग लेक के लिए तो दूसरा सीधा रास्ता चला जाता है दौलत बेग ओल्डी की तरफ. इस रूट पर आखिरी गांव श्योक गांव है. इस रूट में अब तक ना रहने और ना ही खाने पीने की कोई खास व्यवस्था थी. टूरिस्ट आएंगे तो उनके लिए कैफेटेरिया, गेस्ट हाउस और अन्य सुविधाओं के लिए अस्थायी निर्माण बनाए जाने हैं. साथ ही श्योक गांव मे रहने के लिए होम स्टे का भी प्रस्ताव है. पर्यटकों को अब इस इलाके में आने के लिए इनर लाइन परमिट लेने की झंझटो से भी निजात मिल जाएगी. पर्यटकों को यहां तक पहुंचने के लिए इनर लाइन परमिट की जरूरत नहीं होगी लेकिन रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा. रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन भी हो सकेगा साथ ही इसके सेंटर भी होंगे. हाई ऑल्टिट्यूड में जरूरी मेडिकल गाइडलाइन का भी पालन करना होगा.
रणभूमि दर्शन में क्या क्या देख सकते हैं?
रणक्षेत्र टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए ‘भारत रणभूमि दर्शन’ प्रोग्राम की शुरुआत की गई है. इसके लिए इसी नाम से एक वेबसाइट बनाई गई है. इसमें ‘शौर्य गंतव्य’ सियाचिन बेस कैंप, लिपुलेख पास, बूमला, किबितु के साथ ही गलवान और डोकलाम को भी लोग देख सकेंगे. इन जगहों पर टूरिजम को बढ़ावा दिया जा रहा है. देश के सभी लोग वीरों की गाथाओं से परिचित हों इसलिए पूरा डिटेल प्लान तैयार किया गया है. शौर्य स्मारक के तौर पर गलवान वॉर मेमोरियल के अलावा तवांग, लोंगेवाला, सियाचिन वॉर मेमोरियल, ऑपरेशन मेघदूत मेमोरियल, जसवंतगढ़ वॉर मेमोरियल को शामिल किया गया हैं. शौर्य गाथा में 1947-48 भारत पाकिस्तान युद्ध, 1962 युद्ध, 1965 भारत पाकिस्तान युद्ध, लिबरेशन ऑफ बांग्लादेश, ऑपरेशन मेघदूत, 1999 का करगिल युद्ध शामिल है.
First Published :
February 24, 2025, 08:07 IST