Last Updated:April 23, 2025, 20:19 IST
Bullock carts: अमरेली के कुछ गांवों में आज भी 80 साल पुरानी बैलगाड़ियां इस्तेमाल हो रही हैं. ये लकड़ी और लोहे से बनी पारंपरिक गाड़ियां अब दुर्लभ हो चुकी हैं, लेकिन ये गांवों में आज भी विरासत के रूप में मौजूद है...और पढ़ें

बैलगाड़ी
सौराष्ट्र का अमरेली इलाका भले ही आज विकास की रफ्तार से आगे बढ़ रहा हो, लेकिन यहां के कुछ गांवों में आज भी परंपराओं की सांसें चल रही हैं. एक समय था जब हर गांव में बैलगाड़ी की खटर-पटर आम बात थी. आज भले ही सड़कों पर ट्रैक्टर और गाड़ियों की गूंज हो, लेकिन अमरेली के धारी गांव जैसे कुछ इलाकों में बैलगाड़ी आज भी दिखाई देती है.
मंगलभाई का फार्महाउस बना बैलगाड़ी का म्यूज़ियम
धारी गांव के रहने वाले मंगलभाई वाला अपने फार्महाउस में 80 साल पुरानी बैलगाड़ी को सहेज कर रखे हुए हैं. उनके अनुसार यह बैलगाड़ी उनके पूर्वजों के समय की है. इसके पहिए पूरी तरह लकड़ी के हैं और उस पर लोहे का गोल रिम चढ़ाया गया है, ताकि पहियों को मजबूती मिले. मंगलभाई इसे न सिर्फ एक वस्तु के रूप में, बल्कि एक विरासत के रूप में देखते हैं.
जब बैलगाड़ी थी हर माल की सवारी
एक जमाना था जब गांवों में सामान ढोने से लेकर यात्राओं तक के लिए बैलगाड़ी ही एकमात्र साधन हुआ करती थी. चाहे गन्ना खेत से मिल तक पहुंचाना हो या फिर चारे को खेतों से घर तक लाना हो, हर काम में बैलगाड़ी की जरूरत होती थी. यह गाड़ी दो तरह की होती थी—एक खुली, जिसमें गन्ना जैसे लंबे सामान ढोए जाते थे, और दूसरी, किनारों से घिरी हुई, जिसमें चारा और अन्य सामग्री लाई जाती थी.
अब मशीनों ने ले ली बैलों की जगह
समय के साथ बैलगाड़ियां धीरे-धीरे सड़कों से गायब होने लगीं. उनकी जगह अब मिनी ट्रैक्टर, ट्रैक्टर और अन्य आधुनिक गाड़ियाँ आ गई हैं. डीजल और इलेक्ट्रिक से चलने वाले ये उपकरण ज्यादा तेज़ हैं और मेहनत भी कम लगती है. यही वजह है कि अब नई पीढ़ी बैलगाड़ी की बजाय मशीनों को चुन रही है.
कला और परंपरा का जीवित नमूना हैं ये बैलगाड़ियां
बैलगाड़ियों का निर्माण एक सामान्य काम नहीं था. इनके पहिए खास लकड़ी से बनाए जाते थे और उस पर लोहे का घेरा खास कारीगरों द्वारा लगाया जाता था. यह काम पूरी तरह हाथ से किया जाता था और इसमें महीनों लग जाते थे. आज जब इन बैलगाड़ियों को कोई देखता है, तो वह सिर्फ एक गाड़ी नहीं, बल्कि कला, मेहनत और परंपरा का एक अद्भुत संगम देखता है.
First Published :
April 23, 2025, 20:19 IST