Last Updated:April 23, 2025, 22:37 IST
Indus Water Treaty Suspended: जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में मोदी सरकार ने कड़े फैसले लेना शुरू कर दिया है. इन्हीं फैसलों के तहत सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया गया है. क्या होगा इ...और पढ़ें

भारत ने सस्पेंड किया सिंधु जल समझौता.
हाइलाइट्स
भारत ने सस्पेंड किया सिंधु जल समझौताभारत के फैसले से टूटेगी पाकिस्तान की कमरखेती, बिजली और कारखाने हो जाएंगे बर्बादModi Government’s Decision Against Pakistan: पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान का हुक्का पानी बंद कर दिया है. कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की मीटिंग के बाद विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने बताया कि सरकार ने सिंधु जल समझौता सस्पेंड कर दिया है. इसका साफ मतलब है कि भारत ने इस समझौते से फिलहाल खुद को अलग कर लिया है. अब ना तो पानी की कोई जानकारी दी जाएगी और ना ही समझौते के तहत किए वादे निभाने का दबाव होगा. इस फैसले से पाकिस्तानी की कमर टूटनी तय है.
उल्लेखनीय है कि पहलगाम आतंकी हमले पर जवाबी कार्रवाई करते हुए मोदी सरकार ने कई बड़े फैसले किए हैं. तमाम फैसलों में एक बड़ा फैसला भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल समझौता 1960 के निलंबन का है. मोदी सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा झटका पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब को लगने वाला है. पंजाब पूरी तरह से कृषि पर आधारित है. भारत के इस फैसले से पाकिस्तान के पंजाब की कमर तो टूट ही जाएगी, साथ ही पाकिस्तान की पहले से धरासाई अर्थव्यवस्था करारा झटका लगेगा.
सिंधु जल समझौता सस्पेंड होने का क्या होगा असर
सिंधु जल समझौता 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था. इस समझौते पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे. इस समझौते में विश्व बैंक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी. इसका मकसद था कि दोनों देशों के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी का बंटवारा हो सके. इस समझौते के तहत छह नदियों को दो हिस्सों में बांटा गया था. पहली हिस्से में पूर्वी नदियां थी, जिसमें ब्यास, रावी और सतलुज शामिल थीं. इन नदियों का पानी न केवल भारत को मिला, बल्कि इन नदियों के पानी का पूरी तरह से इस्तेमाल करने का अधिकार भी भारत के पास आ गया.
पाकिस्तान के हिस्से आईं ये नदियां
वहीं दूसरे हिस्से में पश्चिमी नदियां आईं. इन नदियों में सिंधु, चिनाब और झेलम शामिल थी. इनका पानी मुख्य रूप से पाकिस्तान को मिला. पाकिस्तान सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों के पानी का उपयोग मुख्य तौर पर खेती, पीने के पानी के लिए, हाइड्रोपावर, औद्योगिक उपयोग, मछली पालन और अन्य जलीय संसाधन, नौवहन और परिवहन के लिए करता है. यहां आपको बता दें कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कृषि-प्रधान है और सिंधु बेसिन इसकी जीवनरेखा है. इन नदियों के पानी से मुख्यतौर पर पंजाब और सिंध प्रांतों में सिंचाई की जाती है. इन प्रांतों में होने वाली गेहूं, चावल, कपास, गन्ना जैसी फसलें इन नदियों पर ही निर्भर हैं.
पीने के पानी और बिजली के लिए तरसेगा पानी
पाकिस्तान के लाहौर, कराची और इस्लामाबाद जैसे बड़े शहरों और गांवों में नहरों के जरिए जल आपूर्ति के लिए इन नदियों के पानी का इस्तेमाल करके की जाती है. साथ ही, पाकिस्तान ने इन नदियों पर कई बांध और जलविद्युत परियोजनाएं बना रखी हैं. इसमें झेलम नदी पर मंगला डैम और सिंधु नदी पर बना तरबेला डैम पर बने हाइड्रोपावर यूनिट से पाकिस्तान अपने लिए बिजली पैदा करता है. इसके अलावा, फैक्ट्रियों और औद्योगिक इकाइयों में भी इन नदियों के पानी का उपयोग कूलिंग, प्रोसेसिंग आदि के लिए किया जाता है.
Location :
Jammu and Kashmir
First Published :
April 23, 2025, 22:37 IST