Last Updated:April 23, 2025, 20:31 IST
Supreme Court News: तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा, जमानत चाहिए तो मंत्री पद छोड़ें. बालाजी ने सोमवार तक इसपर निर्णय लेने की बात कही. यह प...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सख्त रुख अख्तियार किया. (File Photo)
हाइलाइट्स
सेंथिल बालाजी तमिलनाडु सरकार में मंत्री हैंकैश फॉर जॉब केस में सेंथिल बालाजी आरोपी हैंसुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी पर सख्त रुख अख्तियार किया.Supreme Court News: कैश फॉर जॉब से जुड़े एक मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में जेल की हवा खा चुके तमिलनाडु के मंत्री सेंथल बालाजी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने बेहद कड़ा रुख अख्तियार किया. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट मनी लॉन्ड्रिंग केस में सेंथिल बालाजी को दी गई जमानत को वापस लेने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उनपर जमानत की शर्तों को तोड़ने का आरोप है. न्यायमूर्ति अभय ओका की बेंच ने साफ कह दिया कि अगर जमानत पर बाहर रहना है तो मंत्री पद छोड़ना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी से कहा, “हम इस आचरण को बर्दाश्त नहीं करेंगे! हम आपको एक विकल्प दे रहे हैं – आजादी या मंत्रिमंडल का पद?”
सेंथिल बालाजी ने सुप्रीम कोर्ट के टफ स्टैंड को देखते हुए कहा कि वह सोमवार तक अपना निर्णय लेंगे और सुप्रीम कोर्ट को सूचित करेंगे कि क्या वह मंत्री पद पर बने रहेंगे या नही? यह मामला तमिलनाडु में कथित ‘नौकरी के बदले नकद घोटाले’ से जुड़ा है. न्यायमूर्ति अभय ओका ने सेंथिल बालाजी को फटकार लगाते हुए कहा कि जमानत देने का मतलब यह नहीं कि आपको पद पर बने रहने की शक्ति भी दी गई है, जिससे आप पीड़ितों को प्रभावित करें!”
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति ओका ने सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी से कहा, “जब वह मंत्री थे तब उनके द्वारा समझौता कराने के तरीके पर स्पष्ट टिप्पणियां दर्ज की गई थीं. हमने उन्हें वह अधिकार नहीं दिया कि वह सत्ता में लौटकर गवाहों को प्रभावित करें.”सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी से कहा, “आपका पिछला आचरण दर्शाता है कि आपने गवाहों को प्रभावित किया है और अब आप फिर से मंत्री बन गए हैं!”
सेंथिल बालाजी पर क्या है आरोप?
सेंथिल बालाजी साल 2011-2016 के दौरान परिवहन मंत्री थे. तब कैश-फॉर-जॉब घोटाला सामने आया था. आरोप है कि उन्होंने नौकरी के बदले रिश्वत ली. प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने इस मामले में जून 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत उन्हें गिरफ्तार किया था. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सितंबर 2024 में 15 महीने की हिरासत और ट्रायल में देरी के आधार पर जमानत दी, लेकिन कठोर शर्तें लगाईं. ईडी ने दावा किया कि बालाजी और उनकी पत्नी के खातों में 1.34 करोड़ रुपये की नकदी जमा थी, जो उनकी आय से मेल नहीं खाती. बालाजी ने इन आरोपों से इनकार किया था और इसे राजनीतिक साजिश बताया था.
First Published :
April 23, 2025, 20:25 IST