Agency:News18India
Last Updated:February 25, 2025, 16:38 IST
दिल्ली विधानसभा में पेश कैग रिपोर्ट में आम आदमी पार्टी की नई शराब नीति से 2,002.68 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. आतिशी ने कहा, सही लागू होती तो राजस्व 11,000 करोड़ पार कर सकता था.

शराब घोटाले की सीएजी रिपोर्ट पर सीएम रेखा गुप्ता और आतिशी आमने सामने
हाइलाइट्स
नई शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2002.68 करोड़ का घाटा हुआ.आतिशी ने कहा, सही लागू होती तो राजस्व 11,000 करोड़ पार कर सकता था.पंजाब में नई आबकारी नीति से राजस्व में 65% वृद्धि हुई.नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शराब नीति से जुड़ी कैग की रिपोर्ट पेश की. 14 कैग रिपोर्ट में से आज पहली कैग रिपोर्ट विधानसभा में रखी गई है. कैग रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे किए गए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी (आप) की न्यू एक्साइज पॉलिसी से दिल्ली सरकार को लगभग 2,002.68 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. वहीं इसके उलट आप विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा है कि अगर दिल्ली में नई आबकारी नीति को बेहतर तरीके से लागू किया जाता तो राजस्व 11,000 करोड़ रुपये को पार कर सकता था.
आतिशी ने पंजाब का जिक्र करते हुए कहा कि वह पर लागू नई आबकारी नीति से राजस्व में 65% की वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि आज आबकारी नीति पर कैग रिपोर्ट विधानसभा में रखी गई . इस रिपोर्ट के 8 चैप्टर में से 7 चैप्टर 2017-2021 के दौरान पुरानी आबकारी नीति की रिपोर्ट है और एक चैप्टर नई आबकारी नीति पर है. AAP सरकार ने पुरानी आबकारी नीति में हो रहे करप्शन को बार बार उजागर किया. शराब के दाम को इन्फ्लेट किया जाता था. बार बार हमने बताया कि पुरानी नीति में भ्रष्टाचार की वजह से लगातार हरियाणा और UP से शराब स्मगल होकर दिल्ली आती रही. आज इस CAG की रिपोर्ट ने AAP की उस बात पर मुहर लगा दी है.
क्या-क्या हुए घोटाले?
वहीं सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न चीजों से अलग-अलग राशियों का नुकसान हुआ, जैसे नॉन कंफर्मिंग वार्ड्स में रिटेल दुकान न खोलना (941.53 करोड़ रुपये), सेरेंडर्ड लाइसेंस का फिर से टेंडर न करना (890 करोड़ रुपये), कोविड-19 का हवाला देते हुए आबकारी विभाग की सलाह के बावजूद जोनल लाइसेंसधारियों को शुल्क छूट देने से (144 करोड़ रुपये) और क्षेत्रीय लाइसेंसधारियों से सही तरीके से जमा राशि एकत्र न करने से (27 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है. नई शराब नीति में पहले एक व्यक्ति को एक लाइसेंस मिलता था, लेकिन नई नीति में एक शख़्स दो दर्जन से ज़्यादा लाइसेंस ले सकता था.
कोई प्राइवेट कंपनी रिटेल का लाइसेंस ले सकती है
पहले दिल्ली में 60 फीसदी शराब की बिक्री 4 सरकारी कॉर्पोरेशन से होती थी, लेकिन नई शराब नीति में कोई भी निजी कंपनी रिटेल लाइसेंस ले सकती है. शराब बिक्री का कमीशन 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया. थोक का लाइसेंस शराब वितरक और शराब निर्माता कंपनियों को भी दे दिया गया. नीति में कोई भी निजी कंपनी रिटेल लाइसेंस ले सकती है.
क्या है कैग रिपोर्ट में
कैग रिपोर्ट में लाइसेंस उल्लंघन की भी बात सामने आई. नई शराब नीति दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के नियम 35 को लागू करने में असफल रही, जिसके कारण ऐसे थोक विक्रेताओं को लाइसेंस दिए गए जो मैन्युफैक्चरिंग में इंटरेस्टेड थे या रिटेलर्स से संबंध रखते थे. इससे पूरी लिकर सप्लाई चैन प्रभावित हुई, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग, होलसेलर और रिटेल के लाइसेंस के बीच कॉमन बेनिफिशियल ओनरशिप हो गई.
क्या नियम बदले?
शराब नीति ने एक आवेदक को 54 शराब की दुकानों तक संचालित करने की अनुमति दी, पहले सीमा 2 थी. इससे एकाधिकार और कार्टेलाइजेशन के रास्ते खुल गए। पहले, सरकारी निगम 377 रिटेल वेंड का संचालन करते थे, जबकि 262 निजी व्यक्तियों द्वारा चलाए जा रहे थे. नई पॉलिसी के तहत 32 रिटेल जोन बनाए गए, जिसमें 849 वेंड शामिल थे, लेकिन केवल 22 निजी संस्थाओं को लाइसेंस दिए गए, जिससे ट्रांसपेरेंसी और फेयरनेस कम हो गई. कैग की रिपोर्ट में बताया गया कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने लाइसेंस देने से पहले किसी की आर्थिक या आपराधिक जांच नहीं की. लिकर जोन के लिए 100 करोड़ के निवेश की जरूरत होती थी, लेकिन नई पॉलिसी में इसका कोई ध्यान नहीं रखा गया. कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि शराब लाइसेंस देने में राजनीतिक दखल और भाई-भतीजावाद भी किया गया.
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Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
February 25, 2025, 16:38 IST