DM और कलेक्टर में क्या अंतर है? दोनों का आपस में क्या संबंध है? समझिए यहां

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Last Updated:September 13, 2025, 11:28 IST

DM vs Collector: डीएम और कलेक्टर दो अलग-अलग पद नहीं, बल्कि एक ही आईएएस अधिकारी की दो भूमिकाएं हैं. डीएम कानून-व्यवस्था संभालते हैं, जबकि कलेक्टर राजस्व और वित्तीय काम देखते हैं.

DM और कलेक्टर में क्या अंतर है? दोनों का आपस में क्या संबंध है? समझिए यहांDM vs Collector: डीएम और कलेक्टर की कार्यशैली में अंतर है

नई दिल्ली (DM vs Collector). भारत का प्रशासनिक ढांचा बहुत जटिल और दिलचस्प है. जब भी किसी जिले की बात आती है तो आमतौर पर लोग ‘डीएम’ (District Magistrate) या ‘कलेक्टर’ (Collector) शब्द का इस्तेमाल करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि दोनों शब्दों का इस्तेमाल एक ही अधिकारी के लिए किया जाता है, लेकिन इनके कार्यक्षेत्र और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि अलग-अलग हैं. जिले का सबसे बड़ा प्रशासनिक अधिकारी आईएएस (IAS) से आता है. वही व्यक्ति डीएम भी कहलाता है और कलेक्टर भी.

‘कलेक्टर’ शब्द की उत्पत्ति ब्रिटिश शासनकाल में हुई. अंग्रेजों ने 1772 में पहली बार जिलों में ‘कलेक्टर‘ नियुक्त किए थे. इनकी प्रमुख जिम्मेदारी टैक्स और राजस्व संग्रह करना था. बाद में यही कलेक्टर लॉ-एंड-ऑर्डर (कानून व्यवस्था) देखने लगे और धीरे-धीरे इन्हें न्यायिक शक्तियां भी मिलने लगीं. स्वतंत्रता के बाद ‘जिला मजिस्ट्रेट’ यानी ‘डीएम’ शब्द का इस्तेमाल कानून-व्यवस्था और प्रशासन से जुड़ी जिम्मेदारियों को दर्शाने के लिए होने लगा. दोनों भूमिकाएंं एक ही व्यक्ति के हाथ में आ गईं, लेकिन नाम और जिम्मेदारियों में अंतर बना रहा.

General Knowledge: क्या डीएम और कलेक्टर अलग-अलग पद हैं या दोनों एक ही हैं?

ज्यादातर लोगों के मन में यह सवाल रहता है. डीएम और कलेक्टर के बीच फर्क कर पाना आसान नहीं है और इसीलिए कई लोग इन दोनों पदों को एक ही समझते हैं.

District Magistrate: डीएम कौन होते हैं?

डीएम का मुख्य कार्य ज़िले में कानून व्यवस्था बनाए रखना है. धारा 144 लागू करना, भीड़ नियंत्रण, चुनाव कराना, दंगे या आपदा की स्थिति को संभालना डीएम की जिम्मेदारी होती है. पुलिस प्रशासन पर निगरानी और समन्वय भी डीएम के हाथ में होता है, हालांकि पुलिस अधीक्षक (SP) अलग अधिकारी होते हैं. डीएम जिले के मजिस्ट्रेट होते हैं.. यानी उनके पास कार्यपालक मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) के अधिकार होते हैं. न्यायिक शक्ति का एक हिस्सा भी इनके पास है, जैसे शांति भंग की आशंका में किसी को हिरासत में लेने की अनुमति देना.

Collector: कलेक्टर कौन होते हैं?

कलेक्टर की भूमिका मुख्य रूप से राजस्व और वित्तीय प्रशासन से जुड़ी होती है. जिले में भूमि से संबंधित मामले, भूमि अधिग्रहण, मुआवजा, कर वसूली, स्टाम्प ड्यूटी, खनन या कृषि उपज से जुड़े राजस्व कार्य कलेक्टर के अंतर्गत आते हैं. विकास योजनाओं और सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी भी कलेक्टर की ही होती है. जिले की अर्थव्यवस्था और संसाधनों के सही इस्तेमाल पर नजर रखना और रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजना भी इसी दायरे में आता है.

DM vs Collector: दोनों पदों का आपस में क्या संबंध है?

आजादी के बाद भारत सरकार ने प्रशासनिक ढांचे को सरल बनाने के लिए डीएम और कलेक्टर की जिम्मेदारियां एक ही अधिकारी को सौंप दीं. यही कारण है कि किसी भी जिले का सबसे बड़ा आईएएस अधिकारी डीएम भी कहलाता है और कलेक्टर भी. सरल शब्दों में कहें तो जब वही अधिकारी कानून-व्यवस्था संभालता है तो वह डीएम होता है और जब राजस्व/वित्तीय कार्य देखता है तो वही कलेक्टर कहलाता है. यही कारण है कि आम बोलचाल में दोनों शब्द एक-दूसरे के पर्याय के रूप में इस्तेमाल होते हैं.

Deepali Porwal

Having an experience of more than 10 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle (health, beauty, fashion, travel, astrology, numerology), entertainment and career. She has covered...और पढ़ें

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First Published :

September 13, 2025, 11:28 IST

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