DNA Analysis: एक आतंकवादी से मिलकर ट्रंप ने ये बता दिया कि उनमें और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ में कोई खास फर्क नहीं है. ट्रंप और शहबाज में सबसे बड़ी समानता ये है कि डोनाल्ड ट्रंप 10 मिलियन डॉलर के इनाम वाले आतंकी से खुलेआम मिले तो शहबाज़ शरीफ ने भारत की स्ट्राइक में मारे गए आतंकियों के जनाजे में फूल भिजवाएं और संसद में उनके लिए दुआएं पढ़ी. डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया से प्रतिबंध हटाकर एक आतंकी समूह की मदद की. तो शहबाज़ शरीफ. हाफिज सईद के आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का आतंकी हेडक्वार्टर सरकारी पैसे से बनवाने जा रहे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप आतंकी देश के मददगार तुर्किए को हथियार बेच रहे हैं. तो शहबाज शरीफ लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों के लिए ट्रेनिंग और हथियार का इंतजाम करते हैं. इस समय सबसे ज्यादा इस बात की चर्चा है कि शहबाज हाफिज के टेरर हाउस का पुनर्निर्माण कराने जा रहे हैं.
दरअसल, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के जिस आतंकी ठिकाने को निशाना बनाया था, उसे तबाह किया था, उस आतंकी ठिकाने को, वहां आतंकी इमारतों को फिर से बनाने का काम शहबाज सरकार अब सरकारी खर्चे पर करेगी .
ऐसा नहीं है, कि ये ऐलान शहबाज ने इस्लामाबाद में बैठकर किया हो या टैंक पर चढ़कर. इस विशेष संदेश को अपने प्रिय आतंकियों तक पहुंचाने के लिए. शहबाज़ ने अपने करीबी मंत्री राणा तनवीर हुसैन को मुरीदके भेजा. जहां लश्कर ए तैयबा का टेरर हेडक्वार्टर भारतीय सेना की एयर स्ट्राइक से नष्ट हो गया. आज आपको पाकिस्तान के कुछ बड़े मंत्रियों के बयान बहुत ध्यान से सुनने चाहिए. जो एक तरफ आतंकियों से संबंध नहीं रखने की बात कह रहे हैं. दूसरी तरफ आतंकी अड्डों को फिर से बनाने का खुलेआम एलान कर रहे हैं.
मुरीदके में शहबाज के मंत्री के ठीक बगल में लश्कर का आतंकी मुज़म्मिल इक़बाल हाशिमी दिखा. जिससे मुलाकात करके इस मंत्री ने लश्कर का हेडक्वार्टर फिर से बनवाने का आश्वासन दिया.आपको यहां एक और तस्वीर देखनी चाहिए. लश्कर के इस आतंकी ने पाकिस्तान में चुनाव भी लड़ा है. और अपने पोस्टर पर हाफिज़ सईद की फोटो लगाकर वोट भी मांगे हैं. इसी मुज़म्मिल इक़बाल हाशिमी को अमेरिका आतंकवादी घोषित कर चुका है. लेकिन शहबाज शरीफ के मंत्री को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. पाकिस्तान की मीडिया भी इस दौरान मौजूद रही. ताकि पूरे पाकिस्तान को मालूम चल सके. शहबाज़ शरीफ आतंकियों को कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे. हमेशा उनके साथ रहेंगे. उनके दुख सुख में शामिल होंगे. और उनको अपनी दुआओं में भी याद रखेंगे.
South Asia Terrorism Portal
आपको आज एक बार फिर से मुरीदके मे मारे गए लश्कर आतंकियों के जनाज़े की तस्वीर देखनी चाहिए. मुनीर की आतंकी सेना ने लश्कर आतंकियों के ताबूत को कंधा दिया. आतंकियों के शव पाकिस्तानी झंडे में लपेटे गए. लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी हाफिज अब्दुल रऊफ ने तीन आतंकियों की नमाज-ए-जनाजा पढ़ी। और पुलिस के बड़े अधिकारी इस जनाज़े में शामिल हुए. मतलब आतंकियों को पाकिस्तान में सेना के जवानों जैसा सम्मान मिला. और आगे भी पाकिस्तान का रुख बदलने वाला नहीं है. क्योंकि आतंकी संगठन पाकिस्तान की नीति का हिस्सा हैं. South Asia Terrorism Portal के मुताबिक पाकिस्तान में आतंकवादी, उग्रवादी और चरमपंथी संगठनों की कुल संख्या 162 है. इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की लिस्ट में 139 पाकिस्तानियों का नाम आतंकियों के तौर पर दर्ज है.
ऑपरेशन सिंदूर ख़त्म नहीं हुआ
भले ही ऐसे आतंकी संगठनों और उनके अड्डों ने पाकिस्तान को कई बार मुसीबत में फंसवाया हो. लेकिन शहबाज शरीफ को मालूम है. आतंक के हेडक्वार्टर दोबारा नहीं बने तो उनकी सत्ता का आशियाना उखड़ जाएगा. शहबाज़ को ये भी पता है. पाकिस्तान में आतंकियों के आशीर्वाद के बगैर सत्ता का सुख नहीं मिलता. शहबाज़ शरीफ आतंकवादियों को इसलिए भी मना रहे हैं. क्योंकि ये आतंकी रूठे तो पाकिस्तान का जीना भी हराम कर सकते हैं. जैसे आज तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान कर रहा है. लेकिन शहबाज़ शरीफ को याद रखना चाहिए. ऑपरेशन सिंदूर ख़त्म नहीं हुआ है. सिर्फ स्थगित हुआ है.