DNA: ना रनवे की जरूरत, ना पायलट की...आ रहा पहला AI फाइटर जेट; धूल में मिल जाएंगे दुश्मन

10 hours ago

AI Fighter Jet: आज तक आपने अलग-अलग किस्म के फाइटर जेट देखे होंगे. लेकिन अब एक ऐसा फाइटर जेट बनने जा रहा है जो पूरी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित होगा. यानी इस फाइटर जेट में कोई पायलट नहीं होगा. AI वाले इस फाइटर जेट को नाम दिया गया है X-BAT. इस फाइटर जेट को अमेरिका की एक कंपनी बना रही है जिसका नाम है SHIELD-AI. इस कंपनी ने AI आधारित फाइटर जेट के सभी टेस्ट पूरे कर लिए हैं. कंपनी का दावा है कि अगले वर्ष यानी 2026 तक ये फाइटर जेट अपनी पहली उड़ान भर लेगा. 

कंपनी ने जारी किया वीडियो
 
कंपनी ने एआई वाले फाइटर जेट का वीडियो जारी किया है. वीडियो के जरिए कंपनी ने इस फाइटर जेट की फ्लाइट के चरण बताए हैं. पहले चरण में ये फाइटर जेट 1787 फीट की ऊंचाई तक पहुंचता है. दूसरे चरण में AI वाला ये फाइटर जेट संतुलित होकर उड़ान मार्ग पर आगे बढ़ने लगता है. कंपनी का दावा है कि इस फाइटर जेट की रेंज 3704 किलोमीटर है. AI वाले इस फाइटर जेट को हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों और बमों से लैस किया जा सकता है. और ये फाइटर जेट 6 किस्म के प्लेटफॉर्म से उड़ान भर सकता है.

अलग-अलग किस्म के प्लेटफॉर्म से उड़ान भरना AI वाले फाइटर जेट की दूसरी सबसे बड़ी खासियत है. आमतौर पर आपने देखा होगा कि फाइटर जेट को उड़ान भरने के लिए रनवे की जरूरत पड़ती है, ताकि फाइटर जेट का इंजन इतनी रफ्तार पकड़ सके कि विमान हवा में जा पाए. AI वाले इस फाइटर जेट को रनवे की जरूरत नहीं है. ये V-TOL सिस्टम पर काम करता है. यानी ये एक रॉकेट की तरह सीधे ऊपर उड़ान भरता है. इस किस्म की तकनीक के इस्तेमाल से रनवे की जरूरत खत्म हो जाती है और फाइटर जेट छोटी सी जगह से भी उड़ान भर सकता है.

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#DNAWithRahulSinha | दुनिया के पहले AI फाइटर जेट का विश्लेषण..

AI वाला फाइटर जेट, दुनिया का पहला AI फाइटर जेट तैयार हो गया, अमेरिका की कंपनी शील्ड AI ने बनाया है जेट #DNA #AIFighterJet #FighterJet #AI | @RahulSinhaTV pic.twitter.com/RVKhrr3O9Y

— Zee News (@ZeeNews) October 24, 2025

क्यों खास है एक्स-बैट

किसी भी सतह से उड़ान भरने की इसी खासियत की वजह से, अमेरिकी कोस्टगार्ड ने इसी कंपनी के V-BAT ड्रोन का ऑर्डर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोस्ट गार्ड ने इन ड्रोंस के लिए तकरीबन 200 मिलियन डॉलर की डील की है. इन ड्रोन और फाइटर जेट में सबसे बड़ी समानता यही है कि ये सीधे आसमान की तरफ उड़ान भरते हैं. लेकिन दोनों की भूमिका काफी अलग है. V-BAT ड्रोन को निगरानी और जानकारी जुटाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जबकि X-BAT बिल्कुल एक फाइटर जेट जैसा है. यानी ये आसमान में दूसरे विमानों से टक्कर लेने के साथ ही साथ जमीन पर मौजूद टारगेट्स को भी तबाह कर सकता है.

ये पहली बार है कि आसमान में उड़ने वाला जेट AI से लैस किया गया है. लेकिन कुछ ऐसे वेपन सिस्टम आज मौजूद हैं, जो जमीन और पानी पर ऑपरेट करते हैं और ये भी पूरी तरह AI से लैस हैं. 

रूस-यूक्रेन युद्ध में भी AI वेपन तैनात

दुनिया के सबसे बड़े टकराव यानी यूक्रेन और रूस के युद्ध में दो ऐसे AI से लैस वेपन सिस्टम तैनात हैं, जो युद्ध के मैदान पर कामयाब साबित हुए हैं. पहले वेपन सिस्टम का नाम है मार्कर, जो AI से संचालित एक छोटा टैंक है और दूसरा वेपन सिस्टम है उरान-B. ये भी एक छोटे टैंक की तरह ही ऑपरेट करता है. इन दोनों हथियारों को रूस ने ही बनाया है.

हालांकि उरान-B का फ्रंटलाइन पर अभी तक इस्तेमाल नहीं किया गया है. लेकिन मार्कर नाम के UGV का रूस ने इस्तेमाल किया है. सामरिक जानकारों का मानना है कि मार्कर को भले ही ज्यादा कामयाबी ना मिली हो.लेकिन इस AI वाले टैंक ने भविष्य के युद्धों के लिए एक सबक जरूर दिया है.

यूक्रेन के ड्रोन ने किया कमाल

यूक्रेन युद्ध ने ही दुनिया को बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल भी सिखाया है. और ऐसा ही एक AI ड्रोन यूक्रेन इस्तेमाल कर रहा है. इस ड्रोन का नाम है स्विचब्लेड, जो ब्रिटेन से यूक्रेन को मिला है. युद्ध के मैदान में इस ड्रोन का स्ट्राइक रेड हंड्रेड परसेंट रहा है. खासकर रूसी सैनिकों की सप्लाई और वाहनों को इस ड्रोन ने तबाह किया है.

रूस की ही तरह अमेरिका के पास भी AI से लैस एक वेपन सिस्टम है. इसका नाम है CIWS यानी CLOSE IN WEAPON SYSTEM. ये अमेरिकी नेवी के जहाजों के लिए बनाई गई रक्षा प्रणाली है. अब हम आपको AI वाले इस अमेरिकी हथियार की जानकारी देने जा रहे हैं.

24 किमी दूर से दुश्मन की पहचान

इस रक्षा प्रणाली का राडार AI आधारित है यानी AI के जरिए ये दुश्मन के ड्रोन या फिर नाव का पता लगा सकता है. AI वाला ये राडार 24 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन को पहचान लेता है. जवाबी फायरिंग के लिए इसके ऊपर एक गैटलिंग गन लगी है. ये गन सिर्फ एक सेकेंड में 75 राउंड दाग सकती है. अगर मिनट के हिसाब से देखें तो इसका फायरिंग रेट 4500 राउंड प्रति मिनट है. इस गन के जरिए डेढ़ से लेकर साढ़े तीन किलोमीटर दूर तक टारगेट पर फायर किया जा सकता है. अब तक अमेरिका और उसके मित्र देशों के 200 नौसैनिक जहाजों पर ये प्रणाली लगाई जा चुकी है.

हम आपको बता दें कि पाकिस्तानी आतंक के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर में भी AI का इस्तेमाल किया गया था. जिसकी बदौलत ना सिर्फ आतंकी अड्डों को निशाना बनाया गया बल्कि पाकिस्तान के जवाबी हमलों को भी नाकाम किया गया था.

भारत का आकाशतीर AI से लैस

भारत के हवाई रक्षा सिस्टम आकाशतीर को AI से लैस किया गया था. AI की मदद से सभी किस्म के राडार और सैटेलाइट की जानकारी को एकीकृत किया गया था. जैसे ही किसी भी राडार या सैटेलाइट से पाकिस्तानी ड्रोन या मिसाइल की जानकारी मिलती तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ये जानकारी आकाशतीर तक पहुंचाई जाती. AI से मिली जानकारी के आधार पर ही आकाशतीर के रॉकेट अपनी दिशा और रफ्तार को तय करते थे. आकाशतीर ने पूरे ऑपरेशन के दौरान 200 से ज्यादा ड्रोन को मार गिराया था. इसके साथ ही साथ तकरीबन 50 छोटी और बड़ी मिसाइल भी आकाशतीर ने नष्ट कर दी थी. सामरिक विशेषज्ञों का मानना है कि AI से लैस होने की वजह से ही आकाशतीर का स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत रहा था.

युद्ध की जमीन पर AI अपना दम-खम साबित कर चुका है. अब बारी है आसमान की और पूरी दुनिया को उस दिन का इंतजार है. जब AI आधारित फाइटर जेट आसमानी युद्ध में अपनी कुव्वत को साबित करेगा.

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