Thailand-Cambodia Shiv Temple: भारत से करीब 4 हजार किलोमीटर दूर एक शिव मंदिर के लिए दुनिया के दो देश आपस में लड़ रहे हैं. ये दो देश हैं कंबोडिया और थाईलैंड. 28 मई को कंबोडिया और थाईलैंड के बॉर्डर पर गोलीबारी शुरू हो गई थी. इस फायरिंग की वजह थी बॉर्डर पर स्थित प्रिय विहार का शिव मंदिर.
दरअसल फरवरी के महीने में कंबोडिया की एक सैन्य टुकड़ी मंदिर में पहुंची थी. कंबोडियाई सैनिकों ने मंदिर में अपना राष्ट्रगान भी गाया था, जिसका विरोध थाईलैंड की फौज ने किया था. 28 मई को ये तनाव फायरिंग में बदल गया, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई.
आखिर कंबोडिया और थाईलैंड एक शिव मंदिर के लिए क्यों आमने-सामने आ गए हैं. इस सवाल का जवाब भी आपको देंगे लेकिन उससे पहले आपको ता मांओ शिव मंदिर का इतिहास देखना चाहिए ताकि आपको पता चल सके कि कंबोडिया और थाईलैंड में सनातनी परंपरा और शैव संप्रदाय की जड़ें कितनी पुरानी हैं.
800 साल पुराना है मंदिर
प्रिय विहार का शिव मंदिर 800 साल पुराना है. 12वीं शताब्दी में खमेर साम्राज्य के राजाओं ने ये मंदिर बनवाया था. 8वीं से लेकर 14वीं शताब्दी के वक्त को खमेर साम्राज्य का स्वर्णिम दौर भी कहा जाता है. खमेर राजा हिंदू थे और शिव उपासक थे. खमेर साम्राज्य में महादेव को पितामह भी कहा जाता था. आज भी इस मंदिर में एक प्राकृतिक धारा बहती है, जिसे सोमसूत्र कहा जाता है. मंदिर में स्थापित शिवलिंग का जलाभिषेक इसी सोमसूत्र से किया जाता है. इन्हीं खमेर राजाओं ने भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर भी बनवाए थे, जो वर्तमान इंडोनिशिया में स्थित है.
#DNAWithRahulSinha | 4 हजार किलोमीटर दूर, महादेव का धाम... शिव मंदिर पर दो देशों के बीच 'संग्राम'
शिव मंदिर के लिए टकराव.. कंबोडिया-थाईलैंड बॉर्डर पर तनाव बढ़ा, 28 मई को बॉर्डर पर गोलीबारी हुई थी, एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया था. बॉर्डर पर स्थित है प्राचीन शिव मंदिर, प्रिय विहार… pic.twitter.com/WRF37ETik7
— Zee News (@ZeeNews) May 31, 2025
प्रिय विहार का शिव मंदिर चोंग बुक नाम की पहाड़ियों के बीच है, जिसे कंबोडिया अपने खमेर प्रांत का हिस्सा मानता है जबकि थाईलैंड में राष्ट्रवादी अपनी हिंदू विरासत की वजह से इस मंदिर को थाईलैंड का हिस्सा बताते हैं. चूंकि चोंग बुक की पहाड़ियों पर दोनों देशों की सीमाएं आज भी निर्धारित नहीं हैं, इसी वजह से प्रिय विहार के शिव मंदिर को लेकर दोनों देशों की सेनाएं कई बार आमने सामने आ चुकी हैं. सात समंदर पार महादेव के धाम से जुड़े इस इतिहास को जानन आपके लिए बेहद जरूरी है.
पहले भी हो चुका है विवाद
जुलाई 2008 में थाईलैंड के 50 सैनिक प्रिय विहार मंदिर परिसर में पहुंच गए थे और इन सैनिकों ने परिसर पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद दोनों देशों ने अपनी सेनाओं का बड़ा हिस्सा बॉर्डर पर तैनात कर दिया था. साल 2011 में मंदिर परिसर के नजदीक दोनों तरफ से गोलीबारी हुई थी, जिसमें थाईलैंड के कुछ सैनिक मारे गए थे. इस घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र ने प्रिय विहार मंदिर को लेकर मध्यस्थता कराने की भी कोशिश की थी. लेकिन दोनों देशों ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के फैसले को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया था.
14 साल बाद एक बार फिर प्रिय विहार में स्थित इस शिव मंदिर को लेकर दोनों देशों की सेनाएं टकराव के लिए तैयार हैं. सेनाओं का जमावड़ा बढ़ रहा है और बॉर्डर पर बारूदी शोर गूंज रहा है.
प्रिय विहार में महादेव का ये धाम भले ही आज युद्ध जैसी स्थितियों की वजह से खबरों में है लेकिन ये मंदिर अपने आप में इतिहास का वो अध्याय है, जो बताता है कि सनातनी आस्था और भारतीय परंपराओं की शाखाएं भारत के बाहर भी फैली हुई थीं और आज भी इंडोनेशिया, कंबोडिया और थाईलैंड जैसे देशों में वहां के लोग सनातनी आस्था से अपने जुड़ाव को महसूस करते हैं.