DNA Analysis: मशहूर लेखक विलियम शेक्सपियर अपनी कॉमेडी नाटक मच अडो अबाउट नथिंग में लिखते हैं कि जिसके पास दाढ़ी है वह एक युवा से अधिक है और जिसके पास दाढ़ी नहीं है वह एक आदमी से कम है. जो एक युवा से अधिक है वह मेरे लिए नहीं है और जो एक आदमी से कम है, मैं उसके लिए नहीं हूं. विलियम शेक्सपियर इन पंक्तियों के साथ ये बताना चाहते थे कि जिसके पास दाढ़ी है वो ज्यादा परिपक्व और समझदार होता है. दाढ़ी को लेकर 5 हजार पुराना इतिहास भी शेक्सपियर से सहमत है. आज हम दाढ़ी और उसके जुड़ी जानकारियों का विश्लेषण करेंगे.
टॉयलेट सीट से भी ज्यादा बैक्टीरिया
एक रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विलियम शेक्सपियर जिस दाढ़ी को शान मानते थे उस दाढ़ी में टॉयलेट सीट से भी ज्यादा बैक्टीरिया होता है. एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में 176 करोड़ से ज्यादा लोग फुल दाढ़ी रखते हैं जबकि भारत में 30 करोड़ से ज्यादा लोगों को दाढ़ी रखना पसंद है. इसीलिए देश के 30 करोड़ लोगों को आज हमारी इस रिपोर्ट को वैसे ही एकाग्रता से देखना चाहिए जैसे सैलून में अपनी शेविंग या दाढ़ी सेट कराते समय ध्यान से सबकुछ देखते हैं.
चौंकाने वाली रिपोर्ट
न्यूयॉर्क के वील कॉर्नेल मेडिसिन स्कूल ने दाढ़ी से जुड़ी चौंकाने वाली रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 18 से लेकर 76 साल के पुरुषों की दाढ़ी का सैंपल लिया गया था. सैंपल को जब चेक किया गया तो पता चला कि कई दाढ़ी में ऐसे बैक्टीरिया थे जो टॉयलेट सीट पर होते हैं. इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अपने हाथों से दाढी को बार-बार नहीं छुना चाहिए. दाढ़ी को हमेशा साफ रखना चाहिए क्योंकि दाढ़ी में संक्रमण की संभावना काफी ज्यादा होती है.
दाढ़ी में संक्रमण
डॉक्टर्स मानते हैं कि आपको साफ सफाई रखनी चाहिए. क्या आपको पता है दाढ़ी में संक्रमण होता है. इसका पता आज से 118 साल पहले चल चुका था. रिपोर्ट्स के मुताबिक 1907 में एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने दाढ़ी और मूंछ को लेकर रिसर्च किया था. इस रिसर्च में पता चला कि पुरुषों में दाढ़ी और मूंछों के वजह से महिलाओं में तपेदिक और डिप्थीरिया जैसे बैक्टीरिया फैल गई थी. विलियम शेक्सपियर के 4 नाटकों को छोड़कर सभी में दाढ़ी का विशेष तौर पर जिक्र किया गया है. दरअसल भारत सहित पूरी दुनिया में दाढ़ी का इतिहास काफी पुराना है.
दाढ़ी को माना जाता है प्रतीक
मिस्र की सभ्यता में दाढ़ी को धन, शक्ति और महत्व का प्रतीक माना जाता था. उस समय के सबसे अमीर और सबसे शक्तिशाली पुरुष अपनी दाढ़ी को रंगवाते थे और उसे सोने के धागे से बुनते थे. प्राचीन यूनानी और मेसोपोटामिया की सभ्यता में भी दाढ़ी को सजाया जाता था और दाढ़ी को इज्जत की नजर से देखा जाता था. उस समय दाढ़ी को सजाने के लिए शानदार मोम, तेल का इस्तेमाल किया जाता था. भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में भी जो राजा था वो दाढ़ी रखता था. आज से 2 हजार 330 साल पहले सिकंदर ने अपनी सेना को दुनिया के बाकी सैनिकों से अलग लुक देने के लिए दाढ़ी रखने की परंपरा बंद कर दी थी.
कितने दाढ़ी के बाल होते हैं
आपको दाढ़ी से जुड़ी कुछ और दिलचस्प जानकारी भी बताते हैं. कहते हैं दाढी को गिनना मुश्किल है लेकिन एक अनुमान के मुताबिक एक आदमी के चेहरे पर करीब 30,000 दाढ़ी के बाल होते हैं और औसतन आदमी की दाढ़ी प्रति माह लगभग आधा इंच बढ़ती है. 17वीं शताब्दी के अंत में रूसी ज़ार पीटर द ग्रेट ने दाढ़ी पर टैक्स लगाया था, क्योंकि वह साफ-सुथरे दिखने के पक्के समर्थक थे. उन्होंने दाढ़ी रखने वाले सभी लोगों पर प्रति वर्ष 100 रूबल का टैक्स लगा दिया था. दाढ़ी को लेकर दुनिया में मुकदमे भी हुए हैं और सबसे चर्चित केस अमेरिका में केली बनाम जॉनसन केस है. इस केस में न्यूयॉर्क पुलिस में दाढ़ी नहीं रखने के नियम पर सवाल खड़े किए गए थे. अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने दाढ़ी नहीं रखने के तर्क को सही माना था.
— Zee News (@ZeeNews) May 22, 2025
शेविंग में कितना लगता है टाइम
क्या आप जानते हैं कि एक पुरुष सामान्य तौर पर अपने जीवनकाल में औसतन 3 हजार 350 घंटे यानी यानी करीब 139 दिन शेविंग पर व्यतीत करता है. भारत में दाढ़ी की देखभाल के लिए कई प्रोड्क्टस मौजूद है और आज भारत में ग्रूमिंग प्रोडक्टस का बाजार करीब 25 हजार 670 करोड़ रुपये का है और 2030 तक हर साल 8.75 फीसदी बढ़ने की संभावना है. 2030 में भारत में ग्रूमिंग प्रोडक्टस बाजार बढ़कर 42 हजार 330 करोड़ रुपये का हो जाएगा.
चलाया जाता है ये अभियान
अब तक हमने दाढ़ी और उससे होने वाली बीमारियों को लेकर चर्चा की तो आज आपको दो ऐसे अभियान के बारे में बताते हैं जिसका संबंध पुरुषों के सेहत और उनकी दाढ़ी से ही जुड़ा है. हर साल नवंबर में नो-शेव नवंबर का अभियान चलाया जाता है. इस अभियान से जुड़े लोग नवंबर में मूंछें और दाढ़ी क्लीन नहीं कराते हैं और जो पैसा बचता है उसे कैंसर रोगियों की देखभाल करने वाले फाउंडेशन को दान में दे देते हैं.
इसी तरह से नवंबर में एक और अभियान चलाया जाता है जिसे मोवेंबर कहा जाता है. मोवेंबर दो शब्दों मुश्टैग यानी मूंछ और नवंबर को मिलाकर बनाया गया है. इस कैंपेन को भी पुरुषों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 2003 में शुरू किया गया था. कहते हैं फैशन के दौरान गारंटी की इच्छा करना गलत है. आज दाढ़ी रखना फैशन है लेकिन आज आपको दाढ़ी वाला फैशन पसंद है तो इसे इसमें सफाई की गारंटी जरुर रखिए. आपको ये जानकारी कितनी काम की लगी हमें सोशल मीडिया पर जरूर बताएं.