Explainer : क्‍या मोदी सरकार के सामने कांग्रेस करा सकती है अमेरिका जैसा शटडाउन

2 days ago

Last Updated:October 01, 2025, 14:53 IST

Shutdown Possibility in India : अमेरिका की ट्रंप सरकार के सामने सरकारी कामकाज ठप करने की स्थिति आ गई है. वहां के विपक्ष ने फंडिंग बिल को मंजूरी नहीं दी तो सरकारी कामकाज चलाना मुश्किल हो गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या भारत में भी ऐसी स्थिति आ सकती है.

 क्‍या मोदी सरकार के सामने कांग्रेस करा सकती है अमेरिका जैसा शटडाउनभारतीय संविधान में सरकार और विधायिका को एक-दूसरे पर निर्भर रखा गया है.

नई दिल्‍ली. जनवरी में अमेरिका की गद्दी संभालने के बाद से दुनियाभर के देशों की नाक में दम करने वाले डोनाल्‍ड ट्रंप खुद अपने अहंकार के शिकार हो गए हैं. ट्रंप के शासन में उनके ही देश के लोगों ने सरकारी कामकाज के लिए जारी होने वाले फंड पर रोक लगा दी है. आलम ये हो गया है कि टैरिफ लगाकर भारत सहित दूसरे देशों को लूटने वाले ट्रंप प्रशासन के पास अब अपने ही सरकारी कर्मचारियों को सैलरी देने तक के पैसे नहीं हैं. अमेरिका के इस हालात को देखकर आम भारतीय के मन में यह सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्‍या भारत में भी ऐसे हालात पैदा हो सकते हैं. क्‍या कांग्रेस की अगुवाई में भारत का विपक्ष भी मोदी सरकार के सामने शटडाउन जैसी स्थिति पैदा कर सकता है.

इन सवालों के जवाब देने से पहले आपको शॉर्ट में यह समझाते हैं कि आखिर अमेरिका में हुआ क्‍या. दरअसल, अमेरिकी सरकार के कामकाज को चलाने के लिए फंडिंग बिल जारी किया जाता है. लेकिन, वहां के विपक्षी दल डेमोक्रेटस ने इस मामले में ट्रंप का साथ नहीं दिया और बिल पास नहीं हो सका. जाहिर है कि सरकार के पास जरूरी कामकाज के लिए भी पैसे नहीं बचे. इससे देश के 7.5 लाख कर्मचारियों को सैलरी देने पर भी संकट आ खड़ा हुआ है. अमेरिका में कार्यपालिका और विधायिका के बीच सख्‍त अलगाव रहता है, जिससे एक के सहयोग के बिना दूसरे का चल पाना संभव नहीं है. यही वजह है कि संसद में फंडिंग बिल पास न होने से अमेरिकी कार्यपालिका को चलाना संभव नहीं हो सकता. आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका में साल 1977 से अब तक 21 बार इस तरह का शटडाउन हो चुका है.

क्‍या भारत में हो सकता है शटडाउन
भारत का संसदीय सिस्‍टम ब्रिटेन के वेस्‍टमिंस्‍टर शहर के लोकतांत्रिक प्रणाली पर आधारित है. इस सिस्‍टम के तहत भारतीय कार्यपालिका संसद के बहुमत पर निर्भर करती है. लिहाजा अगर यहां फंडिंग बजट पास न हो तो यह सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव का आधार बन सकता है, जिससे सरकार गिर सकती है या फिर दोबारा चुनाव की स्थिति आ सकती है. इन सभी के बावजूद यहां सरकारी कामकाज पूरी तरह बंद नहीं हो सकता है. भारत की संघीय व्‍यवस्‍था में कार्यपालिका को बिना बजट अप्रूव्‍ड हुए भी कामकाज जारी रखने की शक्ति प्राप्‍त है. फंड की कमी को अंतरिम व्‍यवस्‍था से पूरा किया जा सकता है, लेकिन यहां पूरी तरह शटडाउन की स्थिति नहीं पैदा हो सकती है.

भारत में क्‍या है फंडिंग बिल का फंडा
भारत में फंडिंग बिल को एप्रोप्रिएशन बिल या फाइनेंस बिल भी कहा जाता है. संविधान के अनुच्‍छेद 110 और 112 से 117 के तहत इसे सरकारी खर्चों और राजस्‍व की मंजूरी के लिए पेश किया जाता है. इसे पेश करने और पास कराने की निर्धारित प्रक्रिया है. जैसे-

बजट पेश करना : सरकार सबसे पहले पूरे साल के खर्च और कमाई का लेखाजोखा तैयार करके एक बजट बनाती है और उसे संसद में पेश करती है. बजट पर चर्चा : इस बजट पर लोकसभा और राज्‍यसभा यानी उच्‍च और निम्‍न सदन में सभी दलों के साथ चर्चा की जाती है. इसमें सभी दल अपनी राय रखते हैं और विरोध या सहमति जताते हैं. खर्च के लिए पैसों की मांग : चर्चा के बाद सरकार अपने खर्च के लिए संसद से मंजूरी मांगती है. अगर सहमति नहीं होती है तो कुछ मांगों पर वोटिंग के जरिये फैसला किया जाता है. एप्रोप्रिएशन बिल : सरकार एप्रोप्रिएशन या विनियोग बिल के जरिये अपने खर्च के लिए अनुमति मांगती है. यह बिल लोकसभा में पास होता है और राज्‍यसभा इस पर सिर्फ सुझाव देती है, मंजूरी नहीं दे सकती है. फाइनेंस बिल : मनी बिल या फाइनेंस बिल के जरिये सरकार टैक्‍स सहित अन्‍य मदों में दी जाने वाली छूट को लागू कराती है, जिसे लोकसभा से मंजूरी लेना पड़ता है. राष्‍ट्रपति की मंजूरी : जब सभी बिल दोनों ही सदन से पास हो जाते हैं तो अंतिम मुहर के लिए राष्‍ट्रपति के पास जाते हैं. राष्‍ट्रपति के हस्‍ताक्षर होने के बाद यह कानून बन जाता है और देशभर में लागू कर दिया जाता है.

फंडिंग बिल पास न हो तो क्‍या होगा

भारत में अगर फंडिंग बिल पास नहीं भी होता है तो सरकार वोट ऑन अकाउंट के जरिये कुछ महीने के जरूरी खर्च के लिए मंजूरी ले सकती है. इस अस्‍थायी व्‍यवस्‍था में भी सरकार को चलाने के लिए पर्याप्‍त फंड मिल जाता है. हमारे यहां कार्यपालिका यानी सरकार पूरी तरह संसद के बहुमत पर निर्भर करती है. अगर फंडिंग बजट नहीं पास हुआ तो अविश्‍वास प्रस्‍ताव के जरिये सरकार को इस्‍तीफा देना पड़ सकता है, लेकिन कामकाज पर रोक नहीं लग सकती. भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 116 के तहत अगर फंडिंग बिल पास नहीं भी होता है तो सरकार इमरजेंसी फंड का इस्‍तेमाल कर सकती है और कंटीजेंसी फंड के जरिये भी अपने खर्च चला सकती है. भारतीय संवैधानिक व्‍यवस्‍था में कार्यपालिका और न्‍यायपालिका में पूरी तरह अलगाव नहीं है, जैसा अमेरिका में है. लिहाजा फंडिंग गैप के बावजूद सरकार अपने खर्च (पुलिस, प्रशासन, स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा) चलाने के लिए वैकल्पिक उपाय कर सकती है.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

October 01, 2025, 14:53 IST

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