Explainer: देहरादून तो करीब मैदानी ही है, वहां बादल फटने जैसी घटना से क्यों हु

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Last Updated:September 17, 2025, 16:35 IST

देहरादून में 16 सितंबर को दो इलाकों में बादल फटने जैसी घटनाएं हुईं. देखते ही देखते बाढ़ आ गई. सड़क बह गई. जो सामने आया, वो इस अथाह जलराशि की भेंट चढ़ गया.

 देहरादून तो करीब मैदानी ही है, वहां बादल फटने जैसी घटना से क्यों हु

देहरादून के लोग कहते हैं कि उन्होंने कभी ऐसा दृश्य शहर में नहीं देखा. लगा कि बादल फट गया और देखते ही देखते पानी का सैलाब सा आ गया. मंदिर और घर जलमग्न. 100 मीटर लंबी सड़क बह गई. कुछ ही घंटों एक ओर टोंस नदी उफनने लगी तो दूसरी ओर सड़क पर पानी का तेज बहाव आ गया. देहरादून में भारी बारिश के दृश्य रोंगटे खड़े कर देने वाले थे. इसमें 13 लोग मारे गए. कई लापता है. हालांकि मौसम विभाग का स्थानीय केंद्र इसे बादल का फटना नहीं मान रहा लेकिन ये था कुछ वैसा ही.

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, बादल फटना एक ऐसी तेज बारिश है, जिसमें किसी क्षेत्र में एक घंटे के भीतर 100 मिमी (4 इंच) या उससे अधिक वर्षा दर्ज की जाती है. देहरादून में प्रति घंटे 67 मिमी बारिश दर्ज की गई. जो भी हो, ये बारिश तीव्र वर्षा की श्रेणी में तो आती है. कुछ ही घंटों में देहरादून जो हुआ, उससे लोगों को यही लगा कि बादल फट गया है. अखबारों ने भी इसे बादल फटना ही लिखा.

अब तक तो यही माना जाता रहा है कि बादल फटने जैसी घटनाएं हाई अल्टीट्यूड या ऊंचे पहाड़ी इलाकों पर ही होती हैं. इस मानसूनी मौसम में कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तक कई जगह बादल फटे और तबाही आ गई. लेकिन अब तो ऐसा लग रहा है कि बादल फटने जैसी तीव्र बारिश की घटनाएं मैदानों पर भी हो सकती हैं.

सवाल – देहरादून का भौगोलिक स्वरूप कैसा है?

– देहरादून का अधिकांश हिस्सा मैदानी है, लेकिन इसके चारों ओर पहाड़ी क्षेत्र हैं. सहस्त्रधारा, मालदेवता और टोंस नदी के पास के इलाके पूरी तरह से पहाड़ी हैं. यहां की ढलान और जल निकासी की व्यवस्था ऐसी है कि भारी बारिश के दौरान पानी तेजी से नीचे आता है, जिससे बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है.

सवाल – देहरादून में इतनी तेज बारिश के पीछे की वजह क्या बताई जा रही है. खासकर इस शहर ने पहले कभी ऐसी आपदा वाली बारिश नहीं झेली?

– देहरादून के मौसम विभाग के प्रमुख डॉ. चंदर सिंह तोमर के अनुसार, “पूर्वी हवाओं (पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं) और पश्चिमी हवाओं (पश्चिम से पूर्व की ओर बहने वाली हवाएं) या क्षेत्र के ऊपर वायु द्रव्यमानों के बीच परस्पर क्रिया के कारण भारी वर्षा होती है.” देहरादून में कुछ ऐसा ही हुआ.

सवाल – देहरादून को कमोवेश मैदानी इलाका माना जाता है, क्या वहां बादल फटने जैसी घटना हो सकती है?

– देहरादून की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 640 मीटर (2,100 फीट) है. इसे मुख्य रूप में मैदानी इलाका माना जाता है. हां इसके चारों ओर पहाड़ियां और ढलानें जरूर हैं. ये पहाड़ियों से चारों ओर से घिरा हुआ उनके बीच एक कटोरी जैसा लगता है.

बादल फटना केवल हाई अल्टीट्यूड यानि पर्वतीय इलाकों में नहीं, बल्कि मैदानी इलाकों में भी हो सकता है, जब अत्यधिक नमी का उस इलाके में हो. वायुमंडलीय अस्थिरता की स्थिरता बन जाए. इलाके में भौगोलिक ढलान हो और नदी-नाला व्यवस्था संवेदनशील हो. मानवजनित गतिविधियां खासी ज्यादा हों. देहरादून का केस इसी बात का जीवंत उदाहरण है.

सवाल – देहरादून में ऐसा हुआ क्या कि लगा बादल फट गया?

– 16 सितंबर की रात को देहरादून के सहस्त्रधारा और कार्लीगाड़ क्षेत्रों में बादल फटने से तेज बारिश और मलबे के साथ बाढ़ आ गई. इससे कई दुकानें बह गईं. कई लोग लापता हो गए. मौसम विभाग के अनुसार, इस दौरान भारी बारिश के कारण नदी-नाले उफान पर थे, जिससे अचानक बाढ़ की स्थिति बन गई.
भारी नुकसान हुआ. मालदेवता में सड़क बह जाने से 25-30 गांवों का संपर्क टूट गया.

देहरादून में बादल फटने की घटनाएं अब तक दुर्लभ रही हैं, लेकिन हाल की घटनाओं ने यह साबित कर दिया कि जलवायु परिवर्तन और मौसम में बदलाव के कारण ऐसी घटनाओं की आशंका बढ़ सकती है.

सवाल – बादल फटने की घटना कैसे होती है?

– बादल फटना का मतलब बहुत कम समय में बहुत तेज और अचानक बहुत ज्यादा बारिश का होना. आमतौर पर कम समय में 100 मिमी से ज्यादा बारिश.
यह तब होता है जब भारी नमी वाले बादल पहाड़ी क्षेत्रों पर चढ़ते हैं और अधिक नमी इकट्ठा होती है तो बादल आगे जाने की बजाए वहीं पर जबरदस्त बारिश कराने लगते हैं.

सवाल – क्या मैदानी इलाकों में बादल फटते हैं?

– मैदानी भाग में बादल फटने की घटनाएं कम होती हैं क्योंकि ऊंचाई कम होती है और ढलान नहीं होती. लेकिन देहरादून के सहस्त्रधारा, मालदेवता और टोंस जैसे इलाके पूरी तरह से पहाड़ी हैं और यहीं पर यह घटना हुई. विशेष तौर पर टोंस नदी क्षेत्र में बादल फटने की घटना घटी. टोंस नदी के पास व्यापक खनन का काम हो रहा है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन कमजोर हुआ था. इससे भू-स्थिरता और जल संचयन पर असर पड़ा और आपदा को बढ़ावा मिला. कहा जा सकता है कि ये घटना पूरी तरह से हिमालयी भौगोलिक संरचना और मानसूनी दबाव की वजह से हुई ना कि सीधे मैदानी भाग में. वैसे ये धारणा गलत है कि बादल फटना केवल उच्च पर्वतीय इलाकों में होता है.

सवाल – क्या भारत के दूसरे शहरों में भी बादल फटने जैसी घटनाएं हुई हैं?

– मुंबई में जुलाई 2005 में मुंबई में बादल फटने जैसी घटना हुई. जिसमें रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई. केवल 24 घंटे में लगभग 944 मिमी बारिश हुई थी, जिससे व्यापक बाढ़ और तबाही आ गई. मुंबई तो पूरी तरह से मैदानी क्षेत्र है, लेकिन अचानक अत्यधिक वायुमंडलीय नमी की वजह से बादल फटा.
वर्ष 2019 में अहमदाबाद में मैदानी इलाकों में अचानक भारी बारिश के चलते बादल फटने की स्थिति बनी. इससे कई इलाकों में जलभराव हुआ और सड़कें डूब गईं.
राजस्थान के अलवर में अगस्त 2020 में ऐसा ही कुछ हुआ. भारी बारिश के चलते देखते ही देखते बाढ़ जैसी स्थिति आ गई.

सवाल – क्या देहरादून में इससे पहले कभी ऐसी स्थिति आई जब बारिश इतनी ज्यादा हुई हो कि तबाही जैसे हालात बने हों?

– हां दो बार ऐसा हुआ है. हालांकि उन दोनों बार स्थितियां ऐसी भयंकर या विकराल नहीं थीं, जैसी इस बार रहीं. अगस्त 2022 में देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण कई नदियां उफान पर आ गईं. रिस्पना, टोंस और मालदेवता जैसी नदियों में जलस्तर बढ़ गया. निचले इलाकों में जलभराव और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई. कई सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हो गए. कुछ स्थानों पर भूस्खलन भी हुआ.

सितंबर 2010 में उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण राज्य के कई हिस्सों में बाढ़ आई. देहरादून में भी इस दौरान भारी वर्षा हुई थी, जिससे मालदेवता और टोंस नदियां उफान पर आ गईं. इससे शहर के कुछ हिस्सों में जलभराव और यातायात में बाधाएं पैदा हुईं.

सवाल – देहरादून की बादल फटने जैसी घटना दूसरे मैदानी इलाकों के लिए क्या संकेत है?

– देहरादून में हाल की बादल फटने जैसी घटना सिर्फ वहां के लिए नहीं बल्कि पूरे मैदानी भारत के लिए चेतावनी और संकेत है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से वायुमंडल में अधिक नमी का संचय हो रहा है. तापमान बढ़ने से अधिक वाष्पन हो रहा है, जिससे बादल भारी भरकम बनते जा रहे हैं. जब ये नमी अस्थिर वायुमंडलीय परिस्थितियों के साथ मिलती है, तो अचानक बादल फटना या अत्यधिक वर्षा होने की स्थितियां बन जाती हैं. तो संकेत ये है कि अब मैदानी क्षेत्र अब भी सुरक्षित नहीं.

Sanjay Srivastavaडिप्टी एडीटर

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...

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Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

September 17, 2025, 16:35 IST

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