Govt Jobs: क्‍या है लैंटरल एंट्री, जिससे बिना परीक्षा बनते है सरकारी अधिकारी

2 hours ago

Last Updated:August 22, 2025, 13:45 IST

Govt Jobs:केंद्र सरकार ने अलग अलग विभागों में लैटरल एंट्री के जरिये कुल 63 नियुक्‍तियां की हैं.इसमें आरक्षण का प्रावधान नहीं है. आखिर ऐसा क्‍यों हैं इसको लेकर सरकार ने जवाब दिया है. आइए जानते हैं कि लैटरल एंट्र...और पढ़ें

 क्‍या है लैंटरल एंट्री, जिससे बिना परीक्षा बनते है सरकारी अधिकारीUPSC, upsc exam, What is lateral entry: लैटरल एंट्री क्‍या होता है?

Sarkari Naukri, Govt Jobs: केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि 2018 से लेकर अब तक केंद्रीय सरकार के विभिन्न विभागों में लैटरल एंट्री के जरिए 63 लोगों की भर्ती की गई है. ये नियुक्तियां खास प्रोजेक्ट्स और विशेष असाइनमेंट्स के लिए की गई थीं जिनमें उम्मीदवारों की विशेषज्ञता और डोमेन नॉलेज को प्राथमिकता दी गई. मंत्रालय का कहना है कि इन नियुक्तियों में आरक्षण का प्रावधान लागू नहीं किया गया क्योंकि ये विशिष्ट कार्यों के लिए थीं.

What is lateral entry: लैटरल एंट्री क्या है?

लैटरल एंट्री भारत सरकार की एक ऐसी नीति है जिसमें निजी क्षेत्र,अकादमिक संस्थानों, सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) या अन्य गैर-सरकारी क्षेत्रों से विशेषज्ञों और अनुभवी पेशेवरों को केंद्रीय सरकार के मध्य और वरिष्ठ स्तर के प्रशासनिक पदों जैसे जॉइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी पर नियुक्त किया जाता है. इसका मकसद है सरकार में विशेषज्ञता और नए दृष्टिकोण लाना ताकि जटिल नीतिगत और शासकीय चुनौतियों का बेहतर समाधान हो सके. ये नियुक्तियां आमतौर पर 3 से 5 साल के अनुबंध पर होती हैं, जिन्हें प्रदर्शन के आधार पर बढ़ाया जा सकता है.

lateral entry kya hota hai: कब से शुरू हुई लैटरल एंट्री

लैटरल एंट्री का विचार नया नहीं है. इसकी शुरुआत औपचारिक रूप से 2005 में दूसरी प्रशासनिक सुधार समिति (Second ARC) के तहत हुई, जिसके अध्यक्ष वीरप्पा मोइली थे. इस समिति ने सुझाव दिया था कि विशेषज्ञता की कमी को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों से पेशेवरों को लाया जाए.इसके बाद, 2017 में नीति आयोग और शासन पर सचिवों के समूह (SGoS)ने भी इसकी सिफारिश की.2018 में नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे औपचारिक रूप से लागू किया जब पहली बार जॉइंट सेक्रेटरी स्तर के लिए विज्ञापन जारी किए गए.

What is ment by lateral entry: कैसे होता सेलेक्‍शन?

लैटरल एंट्री की भर्ती प्रक्रिया UPSC (संघ लोक सेवा आयोग)की ओर से संचालित की जाती है.यूपीएससी ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करता है. उम्मीदवारों को संबंधित क्षेत्र में अनुभव और विशेषज्ञता साबित करनी होती है.इसके बाद आवेदनों की छंटनी की जाती है.शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया जाता है.चयनित उम्मीदवारों को 3 साल के अनुबंध पर नियुक्त किया जाता है,जिसे 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है.जॉइंट सेक्रेटरी के लिए 15 साल का अनुभव और 40-55 साल की उम्र, डायरेक्टर के लिए 35-40 साल और डिप्टी सेक्रेटरी के लिए 32-40 साल की उम्र निर्धारित है.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला बना आधार

राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि ये सभी नियुक्तियां सिंगल-पोस्ट कैडर के तहत की गई थीं. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के ‘PGIMER, चंडीगढ़ बनाम फैकल्टी एसोसिएशन’ मामले के फैसले के अनुसार ऐसी नियुक्तियों में आरक्षण लागू नहीं होता.इस वजह से नियुक्त अधिकारियों का SC, ST, OBC या अन्य श्रेणियों के आधार पर कोई डेटा भी नहीं रखा गया. यह नियम इस तरह की भर्तियों को आरक्षण के दायरे से बाहर रखता है.

तीन चरणों में हुईं नियुक्तियां

जितेंद्र सिंह ने बताया कि ये 63 नियुक्तियां 2018, 2021 और 2023 में तीन अलग-अलग चरणों में की गईं.इनमें जॉइंट सेक्रेटरी,डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर जैसे अहम पद शामिल हैं.इनमें से 43 अधिकारी अभी भी विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ये अधिकारी अपने विशेष कौशल के कारण विभिन्न सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं.

Lateral Entry into the Civil Services Controversy: आरक्षण पर विवाद और UPSC का कदम

लैटरल एंट्री में SC, ST और OBC के लिए आरक्षण न होने की वजह से पिछले साल काफी विवाद हुआ था. इस मुद्दे पर राजनीतिक हंगामे के बाद UPSC ने अगस्त 2023 में 45 पदों के लिए जारी लैटरल एंट्री भर्ती का विज्ञापन रद्द कर दिया था. यह फैसला जितेंद्र सिंह के उस पत्र के बाद लिया गया, जिसमें उन्होंने UPSC से इस विज्ञापन को रद्द करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने पर जोर देते हैं इसलिए इस नीति की समीक्षा और सुधार जरूरी है.

मंत्री ने बताया क्‍या है फोकस?

जितेंद्र सिंह ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि सरकार सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. लैटरल एंट्री नीति में सुधार की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं ताकि यह प्रक्रिया न केवल पारदर्शी हो बल्कि सामाजिक समावेश को भी बढ़ावा दे. इस मामले में भविष्य में और बदलाव देखने को मिल सकते हैं क्योंकि सरकार इस नीति को और बेहतर बनाने पर विचार कर रही है.

Dhiraj Raiअसिस्टेंट एडिटर

न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...और पढ़ें

न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...

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First Published :

August 22, 2025, 13:45 IST

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