IITs placement-package: अपने देश में आईआईटी-आईआईएम से पढ़ाई करने को सफलता की गारंटी मानी जाती है. ऐसा होना ठीक भी है. दरअसल, ये देश के सबसे बेहतरीन संस्थान हैं और इनमें दाखिला हासिल करने के लिए बच्चे जी-तोड़ मेहनत करते हैं. औसतन एक लाख बच्चों में से एक से डेढ़ हजार बच्चों को ही इन संस्थाओं में दाखिला मिलता है. इनकी गिनती दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थाओं में की जाती है. लेकिन, दुनिया में इनसे भी बेहतरीन कई संस्थान हैं. आप इस बात को इसी से समझ सकते हैं कि दुनिया के बेहतरीन संस्थानों की लिस्ट में अपने आईआईटी काफी निचले पायदान पर हैं. आईआईटी बांबे 118वें स्थान पर है. अन्य आईआईटी इससे नीचे हैं.
खैर, हमारी बातचीत आईआईटी को लेकर नहीं है. हम दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की बात कर रहे हैं. वहां कई ऐसे संस्थान हैं जो ग्लोबल रैकिंग में हमारे आईआईटी-आईएमएम से काफी आगे हैं. एक ऐसा ही संस्थान है शिंघुआ यूनिवर्सिटी (Tsinghua University). क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (QS World University Rankings 2025) में यह संस्थान 20वें पायदान पर है. लेकिन, इस संस्थान से पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी नौकरी नहीं मिली रही.
चीन की अर्थव्यवस्था का हाल खस्ता
दरअसल, इसका कारण चीन की अर्थव्यवस्था का खस्ता हाल है. यहां से फिजिक्स जैसे कठिन विषय में मास्टर डिग्री हासिल करने वाले एक छात्र को एक हाईस्कूल में हैंडी मैन यानी मरम्मत का काम करना पड़ रहा है. इसी तरह दर्शन शास्त्र की पढ़ाई करने वाला एक छात्र डिलिवरी बॉय है. एक पीएचडी डिग्रीधारी को एक अदना सा पुलिस कर्मी की नौकरी मिली है.
ये बातें हम नहीं बल्कि की चीन की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को लेकर बीबीसी की एक लंबी चौड़ी रिपोर्ट कह रही है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की अर्थव्यवस्था इस समय चुनौतियों का सामना कर रही है. बेहतरीतन डिग्रीधारी ऐसे बेरोजगार लोग आपको हर तरफ मिल जाएंगे. एक ऐसे ही युवक हैं सन झांग. वह इन दिनों एक रेस्टोरेंट में वेटर का काम कर रहे हैं. उनका सपना इंवेस्टमेंट बैंक में काम करने का था. इनके पास फाइनेंस में मास्टर डिग्री है. उनकी योजना थी कि वह इंवेस्टमेंट बैंकर बनकर खूब पैसा कमाएंगे लेकिन उनका सपना टूट गया.
यूनिवर्सिटी से निकल रहे लाखों बच्चे
दरअसल, इस वक्त चीन में हर साल लाखों की संख्या में युवक बेहतरीन डिग्रियां लेकर यूनिवर्सिटी से निकल रहे हैं. अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण उनके लिए उपयुक्त नौकरियां नहीं हैं. चीन में रियल ईस्टेट और मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र में भारी संकट है. यहं युवाओं में बेरोजगारी की दर 20 फीसदी तक पहुंच गई थी. हालांकि बाद में चीन की सरकार ने आंकड़ों में हेराफेरी की और यह अब भी 16 फीसदी से अधिक है. पढ़ाई करने के बाद भी बच्चों को अच्छी नौकरी नहीं मिलने से सामाजिक तानेबाने पर भी असर पड़ रहा है. सन शान के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. वेटर की नौकरी करने के कारण उनके मां-बाप बहुत निराश हैं. हांगकांग की सिटी यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर शांग जुन कहती हैं कि चीन में जॉब की स्थित सही मायने में बहुत खराब है. इस कारण युवाओं को समझौते करने पड़ रहे हैं.
वैश्विक इकनॉमी पर संकट के असार
सन शान की तरह ही 29 साल की लड़की वु दान की कहानी है. वु दान हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नलॉजी से फाइनेंस में ग्रेजुएट हैं. लेकिन, वह एक स्पोर्ट्स इंज्यूरी मसाज सेंटर में बतौर ट्रेनी काम कर रही हैं. हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नलॉजी क्यू एस वर्ल्ड रैंकिंग में 46वें स्थान पर है. वु दान का कहना है कि उनके कई साथियों का हाल ऐसा ही है. बीबीसी यह रिपोर्ट ऐसी कहानियों से भरी पड़ी है. इसमें चीन की चिंताजनक स्थिति की ओर इंगित किया गया है. अब सवाल यह है कि चीन की अर्थव्यवस्था पर इस तरह के बादल छाए हैं तो क्या इससे दुनिया खासकर भारत अछूता रह सकता है? इस वक्त चीन अमेरिका के बाद दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यव्यस्था वाला देश है. इससे पूरी दुनिया यानी वैश्विक इकनॉमी पर असर पड़ना तय है.
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FIRST PUBLISHED :
January 4, 2025, 13:02 IST