Mark Carney first Diwali: एक समय था जब भारत और कनाडा के संबंधों में ठंडापन और अविश्वास की गहरी परत जम चुकी थी. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान दोनों देशों के बीच रिश्ते सबसे कठिन दौर से गुज़रे. कूटनीतिक बयानबाज़ियों, राजनीतिक मतभेदों और विवादास्पद आरोपों ने ऐसी दरार पैदा कर दी थी कि दोनों लोकतांत्रिक देशों के बीच संवाद लगभग ठहर-सा गया था. नतीजतन, व्यापार, शिक्षा और सामुदायिक स्तर पर भी दूरी बढ़ती गई.
भारत, जो कनाडा में रहने वाले अपने विशाल प्रवासी समुदाय के जरिए हमेशा सांस्कृतिक पुल की भूमिका निभाता रहा है, ट्रूडो सरकार की नीतियों से असहज था. खालिस्तान समर्थक गतिविधियों और भारत-विरोधी बयानों ने नई दिल्ली की नाराजगी को बार-बार हवा दी. दोनों देशों के रिश्ते उस बिंदु पर पहुंच गए जहां सहयोग की जगह शंकाओं ने ले ली थी.
लेकिन अब तस्वीर बदलती दिख रही है. मार्च 2025 में सत्ता संभालने के बाद से कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने न केवल घरेलू मोर्चे पर सख्त और व्यवहारिक नेतृत्व दिखाया है, बल्कि भारत जैसे प्रमुख साझेदारों के साथ रिश्तों में भी गर्मजोशी और विश्वास बहाल करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं.
दिवाली से शुरू हुई नई कूटनीतिक रोशनी
इस बदलाव की झलक उस समय दिखी जब प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने टोरंटो में आयोजित ‘ट्रिलियम दिवाली गाला 2025’ में भाग लेकर भारतीय समुदाय के साथ दिवाली का उत्सव मनाया. यह सिर्फ एक सांस्कृतिक उपस्थिति नहीं थी बल्कि यह एक प्रतीकात्मक संकेत था कि कनाडा अब अपने विविध समाज के साथ सम्मान और साझेदारी की नई भाषा में बात करना चाहता है.
टोरंटो के ग्रेटर टोरंटो एरिया (GTA) में आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल होकर कार्नी ने कहा, 'दिवाली हमें याद दिलाती है कि अंधकार पर प्रकाश की विजय सिर्फ एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है. कनाडा में हर व्यक्ति को यह महसूस होना चाहिए कि वह सुरक्षित है. चाहे वह काम पर जा रहा हो, मंदिर जा रहा हो या घर लौटकर अपने परिवार के साथ चैन की नींद सो रहा हो.'
यह बयान उस समय आया है जब कनाडा के कई शहरी इलाकों, विशेषकर GTA क्षेत्र में, हाल के महीनों में अपराधों की घटनाएं- जैसे कारजैकिंग, घरों में घुसपैठ और उगाही बढ़ी हैं. प्रधानमंत्री कार्नी ने अपने भाषण में इस मुद्दे को सीधे तौर पर उठाते हुए कहा कि उनकी सरकार अपराध नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठा रही है.
अपराधियों को साबित करनी होगी बेगुनाही- कार्नी
कार्नी ने बताया कि उनकी सरकार ने हाल ही में लॉरेंस बिश्नोई गैंग को आतंकवादी संगठन घोषित किया है. यह वही गैंग है जिसका नाम भारत में भी अपराध और गैंगवार मामलों में चर्चा में रहा है. उन्होंने यह भी घोषणा की कि सरकार जल्द ही कनाडा के क्रिमिनल कोड में संशोधन लाने जा रही है ताकि संगठित अपराधों और गंभीर अपराधों के लिए 'रिवर्स-ऑनस बेल' लागू की जा सके. इसके तहत अपराधियों को ज़मानत पाने के लिए अपनी निर्दोषता खुद साबित करनी होगी.
इसके अलावा, सरकार लगातार सज़ाओं को कड़ा करने, यौन अपराधों के मामलों में सशर्त सजा की छूट खत्म करने और संगठित खुदरा चोरी पर सख्ती करने की दिशा में काम कर रही है. कार्नी ने कहा कि ये कदम उस मूल भावना से प्रेरित हैं जिसे दिवाली सिखाती है यानी 'बुराई पर अच्छाई की जीत.'
उन्होंने आगे कहा, 'दिवाली सिर्फ दीप जलाने का पर्व नहीं, बल्कि उम्मीद, सद्भाव और साझे भविष्य का प्रतीक है. यह विविधता में एकता का उत्सव है, जो कनाडा की आत्मा के बहुत करीब है.'
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के समुदाय के लोग, व्यवसायी और सामाजिक संगठन के प्रतिनिधि शामिल हुए. पूरा आयोजन कनाडा की बहुसांस्कृतिक भावना का उत्सव बन गया, जहां पारंपरिक भारतीय परिधान, संगीत और भोजन ने वातावरण को और जीवंत बना दिया.
भारतीय समुदाय से जुड़ाव का विस्तार
प्रधानमंत्री कार्नी ने पिछले कुछ दिनों में दिवाली से संबंधित कई आयोजनों में शुभकामना संदेश भेजे थे, जिनमें मिसिसॉगा के सेलिब्रेशन स्क्वायर पर आयोजित ‘Diwali Razzmatazz’ और Canadian Hindu Chamber of Commerce का ‘Dhanteras Gala’ भी शामिल हैं. लेकिन ट्रिलियम दिवाली गाला वह पहला अवसर था जब उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद किसी दिवाली कार्यक्रम में स्वयं शिरकत की.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह कदम न केवल घरेलू राजनीति के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है, बल्कि विदेश नीति के स्तर पर भी भारत-कनाडा रिश्तों में नई ऊर्जा का संकेत देता है.
ट्रूडो युग की छाया से बाहर आ रहा कनाडा!
जस्टिन ट्रूडो के समय में जहां भारत और कनाडा के बीच मतभेदों ने कूटनीति को प्रभावित किया, वहीं कार्नी एक अलग राह पर चलते दिख रहे हैं. वे व्यवहारिक अर्थशास्त्री के रूप में जाने जाते हैं और संवाद तथा सहयोग को टकराव से बेहतर मानते हैं. उनका यह दृष्टिकोण कनाडा की वैश्विक छवि को सुधारने में मदद कर सकता है, खासकर उस दौर के बाद जब दोनों देशों के बीच राजनीतिक बयानों ने कई बार तनाव बढ़ाया था.
दिवाली जैसे उत्सव में उनकी उपस्थिति, भारतीय समुदाय के प्रति सम्मान और अपराधों पर कड़ी कार्रवाई का वादा, यह सब मिलकर एक नया संदेश देते हैं कि कनाडा अब अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ रहा है, बिल्कुल उसी तरह जैसे दिवाली सिखाती है.
भारत से संबंधों में नई शुरुआत का संकेत
भारत-कनाडा संबंधों की यात्रा हमेशा आसान नहीं रही है, लेकिन यह अवसर उन बाधाओं को पार करने की शुरुआत हो सकता है. मार्क कार्नी के नेतृत्व में कनाडा यदि इस संतुलन को बनाए रखता है तो यह कहना गलत नहीं होगा कि ट्रूडो युग की कड़वाहट अब धीरे-धीरे मिट रही है और उसकी जगह भरोसे की नई रौशनी ले रही है.