JEE में बटोरे 360 में से 312 अंक, ओलंपियाड से मिली धार, अब IIT Bombay की बारी!

1 day ago

Last Updated:June 12, 2025, 08:52 IST

JEE IIT Success Story: अगर अपने ऊपर भरोसा हो, मेहनत सही राह पर हो और जीवन में संतुलन बना रहे, तो कोई भी कठिन परीक्षा आसान बन सकती है और सफलता हासिल की जा सकती है.

JEE में बटोरे 360 में से 312 अंक, ओलंपियाड से मिली धार, अब IIT Bombay की बारी!

JEE Success Story: जेईई की परीक्षा में 15वीं रैंक हासिल की हैं.

हाइलाइट्स

JEE में 15वीं रैंक हासिल की हैं.ओलंपियाड में भी गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके हैं.अब यहां से पढ़ाई करने का सपना है.

JEE Success Story: खुद पर भरोसा और कुछ करने का जुनून हो, तो किसी भी काम में सफलता हासिल किया जा सकता है. ऐसे ही दक्ष तायलिया (Daksh Tayaliya) को जेईई एडवांस में सफलता का इतना भरोसा था कि उन्होंने कोई और प्रवेश परीक्षा तक नहीं दी. जब इस परीक्षा के नतीजे आए, तो उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 15 हासिल की और अपने सपनों को साकार करने की ओर बड़ा कदम बढ़ाया. इसके अलावा उन्होंने इस परीक्षा में 360 में से 312 नंबर प्राप्त किए हैं.

ओलंपियाड ने बढ़ाया आत्मविश्वास और दी अलग सोच

दक्ष की यह सफलता अचानक नहीं आई. उन्होंने ओलंपियाड में नियमित रूप से भाग लिया, जिससे उनकी सोचने और समस्याएं हल करने की क्षमता मजबूत हुई. कक्षा 9 में मैथ्स, 10 में फिजिक्स और 11 में एस्ट्रोनॉमी में भाग लेने के बाद वे ब्राजील में अंतरराष्ट्रीय एस्ट्रोनॉमी ओलंपियाड में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, जहां उन्होंने गोल्ड मेडल भी जीता है. उन्हें ओलंपियाड में भाग लेने से गहराई से सोचने और हर पहलू को समझने की आदत पड़ी. भले ही जेईई की परीक्षा अलग तरीके से होती है, लेकिन ओलंपियाड का अनुभव हर प्रतियोगिता में काम आता है.

ऑनलाइन पढ़ाई और स्कूल में शानदार प्रदर्शन

जेईई एडवांस्ड 2025 की परीक्षा में 360 में से 312 अंक लाने वाले दक्ष ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जेईई की तैयारी की हैं. इसके साथ-साथ उन्होंने कक्षा 12वीं में भी 97% अंक हासिल किए हैं. मैथ्स में विशेष रुचि रखने वाले दक्ष को इसके अनुप्रयोग पसंद हैं. उन्होंने बताया कि मुझे आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस की सीट मिलने की उम्मीद है. उनके पिता एक केमिकल इंजीनियर हैं, जिससे उन्हें तकनीकी माहौल की प्रेरणा पहले से मिली.

खेल और पालतू कुत्ता बने तनाव भगाने के साथी

तैयारी के तनाव के बीच भी दक्ष ने हर दिन एक घंटे का समय खेलों को दिया. उन्हें स्क्वैश और क्रिकेट पसंद हैं. परीक्षा के करीब दो महीनों में जब तनाव बढ़ गया था, तब उन्होंने और अधिक खेल खेलना शुरू किया. उनका गोल्डन रिट्रीवर कुत्ता भी उनका एक बड़ा तनाव दूर करने वाला साथी रहा. दक्ष तायलिया की कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर आत्मविश्वास, सही दिशा में मेहनत और संतुलन बना रहे, तो बड़ी से बड़ी परीक्षा को भी सफलता में बदला जा सकता है.

Munna Kumar

पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin...और पढ़ें

पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin...

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