Last Updated:July 29, 2025, 09:53 IST
Bihar SIR In Supreme Court Live: बिहार में वोटर पुनरीक्षण (SIR) पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को आधार और वोटर ID स्वीकार करने का निर्देश दिया. याचिकाकर्ताओं ने इसे गरीबों के लिए कठिन ...और पढ़ें

हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने आधार और वोटर ID स्वीकार करने का आदेश दिया.चुनाव आयोग का लक्ष्य व्यापक समावेश होना चाहिए, बहिष्कार नहीं.याचिकाकर्ताओं ने SIR को गरीबों के लिए कठिन बताया.Bihar SIR In Supreme Court Live: बिहार में गहन वोटर पुनरीक्षण (SIR) का मसला बुरी तरह उलझता दिख रहा है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. शीर्ष अदालत इस मसले पर सोमवार से हर रोज सुनवाई कर रहा है. सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने चुनाव आयोग से कहा कि वह मतदाता सूची के सत्यापन के लिए आधार कार्ड और इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) को स्वीकार करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा है कि आयोग का लक्ष्य व्यापक समावेश का होना चाहिए न कि बहिष्कार का. हालांकि, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की पीठ ने SIR रोकने की याचिकाकर्ताओं की मांग को ठुकरा दिया.
चुनाव आयोग ने बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले 24 जून को SIR शुरू किया, जो 2003 के बाद पहला गहन संशोधन है. इसका उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना, पात्र मतदाताओं को शामिल करना और अपात्रों को हटाना है. हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने इसे मनमाना और असंवैधानिक बताया. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) और राजद के मनोज झा, टीएमसी की महुआ मोइत्रा जैसे कई नेताओं ने याचिका दाखिल की है. याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह प्रक्रिया लाखों मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर सकती है, खासकर गरीब और प्रवासी समुदायों को. क्योंकि इस प्रक्रिया में आधार, वोटर ID और राशन कार्ड जैसे व्यापक रूप से उपलब्ध दस्तावेजों को स्वीकार नहीं किया जा रहा.
आधार, EPIC और राशन कार्ड को शामिल करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई के अपने आदेश में कहा था कि आधार, EPIC और राशन कार्ड को शामिल करना न्यायहित में होगा, क्योंकि ये दस्तावेज अधिकांश मतदाताओं के पास उपलब्ध हैं. सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने EC के वकील राकेश द्विवेदी से सवाल किया कि कौन सा दस्तावेज पूर्ण रूप से सत्यापन की गारंटी देता है? आधार और EPIC को क्यों नहीं स्वीकार किया जा रहा? कोर्ट ने तर्क दिया कि कोई भी दस्तावेज, जिसमें आधार शामिल है, जाली हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इन्हें खारिज कर दिया जाए. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- आप जाली दस्तावेज देने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन इस प्रक्रिया का लक्ष्य व्यापक बहिष्कार नहीं होना चाहिए.
याचिकाकर्ताओं का तर्क
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन ने तर्क दिया कि EC ने आधार और वोटर ID को खारिज कर 11 दस्तावेजों की सूची बनाई है, जिसमें जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट और मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज शामिल हैं. ये दस्तावेज गरीब और प्रवासी मजदूरों के लिए मुश्किल हैं. उन्होंने कहा कि बिहार की 87 फीसदी आबादी के पास आधार है, जबकि केवल 14 फीसदी के पास मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र और दो फीसदी के पास पासपोर्ट है. यह प्रक्रिया 2.9 करोड़ मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है, जो 2003 की मतदाता सूची में नहीं थे और अब उन्हें अपनी नागरिकता साबित करनी होगी.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
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