NASA ने अनुमान लगाया, ISRO ने दिखाया LIVE! सूर्य के वार से कांपा चांद

3 hours ago

Last Updated:October 18, 2025, 21:56 IST

Chandrayaan-2 Discovery: ISRO के चंद्रयान-2 ने चांद पर सौर विस्फोट (CME) का सीधा असर दर्ज किया. पहली बार साबित हुआ कि सूर्य की ऊर्जा चांद के वातावरण को 10 गुना तक बदल सकती है. वैज्ञानिकों में उत्साह की लहर.

NASA ने अनुमान लगाया, ISRO ने दिखाया LIVE! सूर्य के वार से कांपा चांदISRO के चंद्रयान-2 ने पहली बार देखा कि सूर्य का CME चांद के वातावरण को 10 गुना बदल देता है. (AI फोटो)

Chandrayaan-2 Discovery: भारत के चंद्रयान-2 मिशन ने एक ऐसा वैज्ञानिक रहस्य उजागर किया है, जिसने पूरी दुनिया के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुसार चंद्रयान-2 ने पहली बार यह दर्ज किया कि सूर्य से निकली “Coronal Mass Ejection (CME)” यानी सौर विस्फोट की ऊर्जा चांद के वातावरण पर सीधा असर डालती है.

यह खोज चंद्रयान-2 के ‘चंद्र वायुमंडलीय संरचना अन्वेषक-2 (CHACE-2)’ उपकरण के जरिए हुई. इसने मई 2024 में एक बड़े सौर विस्फोट के बाद चांद के वातावरण में दबाव में 10 गुना तक बढ़ोतरी दर्ज की. यह अब तक का सबसे बड़ा सबूत है कि सूर्य की ऊर्जा, बिना वायुमंडल वाले पिंडों पर भी गहरा असर डाल सकती है.

क्या होता है सूर्य का ‘Coronal Mass Ejection’?
CME एक ऐसी घटना है जब सूर्य अपने अंदर से भारी मात्रा में हाइड्रोजन और हीलियम के आयन बाहर फेंकता है. इसे आम तौर पर “सौर तूफान” कहा जाता है. जब यह तूफान पृथ्वी या चंद्रमा जैसे ग्रहों से टकराता है, तो यह उनके वातावरण और सतह पर तीव्र प्रभाव डालता है. चूंकि चांद पर कोई स्थायी वायुमंडल या चुंबकीय परत नहीं है, इसलिए यह प्रभाव और भी गहरा होता है.

कैसे हुई यह अद्भुत खोज
10 मई 2024 को सूर्य से कई शक्तिशाली सौर विस्फोट (CMEs) हुए. इसमें से कुछ सीधा चंद्रमा से टकराए. उस समय चंद्रयान-2 की CHACE-2 यूनिट सक्रिय थी. इसके डेटा ने दिखाया कि लूनर एक्सोस्फीयर यानी चांद के पतले वातावरण में गैसों के दबाव में अचानक भारी उछाल आया. यह वही था जिसे वैज्ञानिक सालों से सिद्धांत रूप में मानते रहे थे, लेकिन पहली बार इसे प्रत्यक्ष रूप से देखा गया.

यह खोज भविष्य के लूनर बेस और अंतरिक्ष मिशनों के लिए अहम मानी जा रही है. (फोटो isro.gov.in)

क्या है लूनर एक्सोस्फीयर?
चांद का वातावरण बहुत पतला होता है, जिसे एक्सोस्फीयर कहा जाता है. इसमें गैसों के अणु बहुत दूर-दूर होते हैं और एक-दूसरे से शायद ही टकराते हैं. जब सौर विकिरण या माइक्रो-मीटियोराइट टकराते हैं, तो सतह से परमाणु और अणु निकलकर इस पतले वातावरण में जुड़ जाते हैं. CME जैसी घटना इस प्रक्रिया को तेज़ कर देती है.

ISRO की उपलब्धि और वैज्ञानिक महत्व
ISRO के अनुसार यह पहली बार हुआ जब किसी अंतरिक्ष यान ने चांद के वातावरण में CME के प्रभाव को प्रत्यक्ष रूप से दर्ज किया. यह अध्ययन न केवल चांद के वातावरण को समझने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में चांद पर बनने वाले मानव बेस या कॉलोनी की सुरक्षा योजना में भी अहम भूमिका निभाएगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे सौर तूफानों के दौरान चांद का माहौल अस्थायी रूप से बदल सकता है.

क्यों अहम है यह खोज
यह खोज दिखाती है कि सौर गतिविधियां अंतरिक्ष मौसम (Space Weather) को कितनी गहराई से प्रभावित करती हैं. भविष्य में जब इंसान चांद पर स्थायी रूप से रहने की योजना बनाएंगे, तो ऐसे सौर तूफान वहां के उपकरणों और जीवन समर्थन प्रणालियों को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए यह अध्ययन लूनर मिशन प्लानिंग के लिए गेमचेंजर साबित होगा.

भारत की वैज्ञानिक यात्रा का नया अध्याय
चंद्रयान-2 की यह उपलब्धि साबित करती है कि भारत अब केवल खोज करने वाला नहीं, बल्कि अंतरिक्ष अनुसंधान में दिशा दिखाने वाला देश बन चुका है. यह न सिर्फ ISRO की वैज्ञानिक क्षमता का प्रतीक है बल्कि भारत के वैश्विक अंतरिक्ष प्रभाव की एक मजबूत मिसाल भी है.

Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...

और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

First Published :

October 18, 2025, 21:55 IST

homeknowledge

NASA ने अनुमान लगाया, ISRO ने दिखाया LIVE! सूर्य के वार से कांपा चांद

Read Full Article at Source