Success Story: कहते हैं न अगर कुछ करने का जुनून हो, तो असफलता ऊंचाईयों को छूने से नहीं रोक सकता है. ऐसी ही कहानी एक शख्स की है, जो अपनी शैक्षिक यात्रा को बहुत औसत छात्र से शुरू किया. उन्होंने बंगाली माध्यम से पढ़ाई शुरू की और स्टडी करने के उचित मार्गदर्शन की कमी की वजह से वह पढ़ाई का आनंद नहीं ले पाते थे. लेकिन उन्होंने कक्षा 10वीं में याद करने की जगह समझने पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया, जिससे उनकी सोच में बदलाव आया और आगे बढ़ते गए. हम जिनकी बात कर रहे हैं, उनका नाम ऋत्विक हलदर (Hritwik Haldar) है.
हाई स्कूल में पहली सफलता
अपने प्रयासों के बल पर हाई स्कूल में ऋत्विक ने 93.4% अंक हासिल किए. हालांकि इसके बाद JEE, JEE एडवांस्ड, NEET और KVPY जैसी परीक्षाओं में संघर्ष करना पड़ा. इन परीक्षाओं में असफल होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. बेलूर स्थित रामकृष्ण मिशन विद्यालय (RKMV) में अध्ययन का अवसर ऋत्विक के जीवन में बदलाव लाने वाला साबित हुआ. वहां के पुस्तकालय और सेल्फ स्टडी पर जोर ने उन्हें अपने साइंटिफिक नॉलेज, खासकर केमेस्ट्री में सुधार करने का अवसर दिया.
हालांकि KVPY SB परीक्षा में उन्हें फिर असफलता मिली, लेकिन SC कैटेगरी में उन्होंने 10वीं रैंक प्राप्त कर IISER पुणे में प्रवेश लिया.
MIT में मिला दाखिला
IISER पुणे में ऋत्विक ने अपनी शैक्षणिक यात्रा के चरम पर पहुंचते हुए शोध के माहौल में आलोचनात्मक सोच और परिकल्पना निर्माण जैसे स्किल डेवलप किया. यहां उन्होंने 9.1 GPA बनाए रखा और महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं. IISER में उनकी मेहनत और समर्पण ने MIT (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) में एंट्री का द्वार खोल दिया. यह उनकी दृढ़ता और सेल्फ स्टडी के प्रति लगन का प्रमाण है.
उनकी कहानी यह सिखाती है कि असफलताएं केवल अगले प्रयास की सीढ़ी होती हैं और मेहनत व समर्पण से किसी भी ऊँचाई को छुआ जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
December 21, 2024, 18:38 IST