Opinion: जाति सर्वेक्षण, महिला आरक्षण... आगे-आगे नीतीश पीछे-पीछे केंद्र सरकार

7 hours ago

Last Updated:May 20, 2025, 11:11 IST

सीएम नीतीश कुमार कई नई योजनाओं के जनक रहे हैं. बीते दो दशक में बिहार ने जो पहले सोचा, उस ओर देश का ध्यान बाद में गया. पंचायत चुनाव, निकाय चुनाव और सरकारी नौकरियों में महिलाओं को सर्वाधिक आरक्षण, जाति सर्वेक्षण,...और पढ़ें

 जाति सर्वेक्षण, महिला आरक्षण... आगे-आगे नीतीश पीछे-पीछे केंद्र सरकार

नीतीश कुमार ने बीते दो दशक में कई ऐसे काम किए हैं जिसे अन्य सरकारों ने अपनाया है.

प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले ने कभी कहा था कि पश्चिम बंगाल जो आज सोचता है, देश उस बारे में बाद में सोचता है. तब से बंगाल के बारे में यह उक्ति अक्सर दोहराई जाती है. कुछ लोग इसे सकारात्मक नजरिए से देखते हैं तो कुछ इसे बंगाल की बुराई के रूप में इस्तेमाल करते हैं. हालांकि बंगाल की जिस सांस्कृतिक-सामाजिक समझ को देख कर गोखले ने यह बात कही थी, उसका संबंध बंगाल की अच्छाई से ही था. पर, अब यह उक्ति बदल गई है. ईमानदारी से आकलन करें तो यह बात समझ में आ जाएगी कि बीते दो दशक में बिहार ने जो पहले सोचा, उस ओर देश का ध्यान बाद में गया. बिहार में बीते दो दशक से शासन नीतीश कुमार का रहा है. नीतीश ने इन दो दशकों में कई ऐसे काम बिहार में शुरू किए, जिन्हें दूसरे राज्यों या केंद्र के स्तर पर बाद में शुरू किया गया. नीतीश कुमार के ऐसे कुछ कामों पर नजर डालें तो गोखले के कथन को परिमार्जित करने की आवश्यकता महसूस होगी. आइए जानते हैं नीतीश कुमार के ऐसे कामों के बारे मेंः

जाति सर्वेक्षण

देश में 1931 के बाद जनगणना तो होती रही है, लेकिन जाति गणना का काम नहीं हुआ. इसे स्थगित कर दिया गया. अलबत्ता जाति की गिनती कुछ राज्यों ने जरूर बाद में अपने स्तर से कराई, लेकिन उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करने में बिहार ही आगे रहा. बिहार ने न सिर्फ इस आधार पर आरक्षण की सीमा बढ़ाई, बल्कि सर्वेक्षण में मिले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आर्थिक सहायता की घोषणा भी नीतीश सरकार ने की. सर्वेक्षण के दौरान 94 लाख अत्यंत गरीब (BPL) परिवारों का पता चला. उन्हें 2-2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की बिहार सरकार ने घोषणा की है. जाति सर्वेक्षण का काम अभी तक कर्नाटक, तेलंगाना और बिहार में हुआ है. कर्नाटक में जाति सर्वे की रिपोर्ट कैबिनेट में पेश हो चुकी है, लेकिन इस आधार पर रिजर्वेशन और दूसरी सुविधाओं की घोषणा करने से राज्य सरकार बचती रही है. सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी करने से जातीय समीकरण बिगड़ने का भय है. वैसे रिपोर्ट भले कैबिनट में पेश कर दी गई है, लेकिन इसे लागू करने की हिम्मत सियासी नुकसान के भय से कांग्रेस सरकार नहीं कर रही है. तेलंगाना में तो बिहार के बाद जाति सर्वे का काम संपन्न हुआ, लेकिन रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुरूप बिहार के बाद ही वहां योजनाएं कांग्रेस सरकार ने लागू की हैं. यानी जातियों की गिनती के मामले में बिहार अव्वल है. अब तो केंद्र सरकार भी इसके लिए राजी हो गई है.

महिला आरक्षण

महिलाओं को संसद और विधानमंडलों में रिजर्वेशन की कवायद काफी दिनों से चल रही थी. राष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने नए संसद भवन में पहला बिल 33 प्रतिशत आरक्षण का ही पास कराया. हालांकि नीतीश कुमार ने पंचायतों और निकाय चुनावों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान 2006 में ही कर दिया था. बिहार देश का पहला राज्य था, जहां इस तरह की व्यवस्था हुई. पीएम नरेंद्र मोदी हाल में जब मधुबनी के दौरे पर आए थे, तो उन्होंने इसके लिए नीतीश कुमार की तारीफ भी की थी. उन्होंने कहा था कि नीतीश जी की देन है कि आज महिलाएं जन प्रतिनिधि बन कर सामने आ रही हैं. इसी तरह नीतीश कुमार ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत रिजर्वेशन दिया है. अभी तक नौकरियों में इतना आरक्षण किसी भी राज्य में नहीं है.

जीविका दीदी

शुरू से ही नीतीश कुमार का सर्वाधिक ध्यान महिला सशक्तिकरण पर रहा है. पहले पंचायत व निकाय चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत रिजर्वेशन और बाद में सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत का आरक्षण नीतीश सरकार ने दिया. वर्ष 2007 में नीतीश ने ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जीविका दीदी परियोजना शुरू की. जीविका दीदियां आज बिहार में सामाजिक विकास का वाहक बन गई हैं. उनकी आर्थिक समृद्धि समाज में बड़े बदलाव का कारक है. फिलवक्त बिहार में 1.35 लाख जीविका दीदियां हैं. नीतीश कुमार जब भी बिहार के जिलों के दौरे पर जाते हैं, जीविका दीदियों से संवाद उनके कार्यक्रम में प्रमुखता से शामिल होता है. नीतीश का जीविका दीदियों पर इतना भरोसा है कि 2016 में उनकी ही सलाह पर नीतीश ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी का कानून लागू किया.

नल का जल

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2019 में जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल का जल योजना की शुरुआत की. नीतीश कुमार ने बिहार में वर्ष 2016 में ही हर घर नल का जल योजना शुरू कर दी थी. इस मामले में भी जाति गणना की तरह बिहार केंद्र से आगे रहा. केंद्र ने जाति गणना की हामी अब भरी है, जबकि नीतीश कुमार ने पहले ही अपने स्तर से यह काम पूरा करा लिया है. आज जेडीयू के नेता अगर यह दावा करते हैं कि नीतीश कुमार के नक्शे कदम पर केंद्र सरकार भी चल रही है, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं.

पूर्ण शराबबंदी

नीतीश कुमार की उम्र और सेहत को लेकर आज उन पर प्रतिपक्षी कई तरह के कटाक्ष करते हैं. लेकिन सच यह है कि नीतीश कुमार सोच-समझ कर काम करते हैं. उनकी मंशा बिहार के लोगों को बेहतर जीवन स्तर प्रदान करना रहा है. जीविका दीदियों के सम्मेलन में नीतीश तक यह बात पहुंची कि राज्य में सड़क दुर्घटनाएं ज्यादातर शराब के नशे में होती हैं और लोगों की सेहत भी शराब से खराब होती है. घर में शराब पीने वाले पुरुष हुड़दंग मचाते हैं, वह अलग है. उसके बाद ही नीतीश ने पूर्ण शराबबंदी का फैसला किया. 2016 में शराब बेचना या सेवन करना दंडनीय अपराध बना दिया गया. बाद में विपक्ष के लोग शराबबंदी खत्म करने की बात कहने लगे, पर नीतीश अपनी जिद पर इसलिए अड़े रहे, क्योंकि इस बारे में फैसला उन्होंने जीविका दीदियों की सलाह पर ही लिया था. पूर्वी भारत में शराबबंदी लागू करने वाला बिहार पहला राज्य है.

दलित-महादलित

इतना ही नहीं, नीतीश कुमार ने दलितों में पिछड़ों को मुख्य धारा में लाने के लिए उनकी 2 श्रेणियां- दलित और महादलित की बना दीं. महादलित में शामिल जातियों के उत्थान के लिए नीतीश कुमार ने अलग से योजनाएं बनाईं. सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में इस बाबत ठीक वैसा ही निर्णय दिया, जिसे नीतीश कुमार पहले ही लागू कर चुके थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी में वैसे लोगों की पहचान कर उनके लिए आरक्षण की निर्धारित सीमा में ही सब कोटा तय करना चाहिए. हालांकि इसका प्रबल विरोध हुआ. एनडीए की घटक लोजपा-आर के नेता चिराग पासवान ने तो इसके खिलाफ विरोधियों के साथ सुर भी मिलाना शुरू कर दिया था. आखिरकार केंद्र सरकार ने चुप रहने में ही भलाई समझी. सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू नहीं हो सका. हालांकि बिहार सरकार ने जो पैटर्न लागू किया था, वह यथावत रहा. दूसरे किसी राज्य ने दलित-महादलित श्रेणी बनाने का काम अब तक नहीं किया है. यानी इस मामले में भी बिहार अव्वल ही रहा है.

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ओमप्रकाश अश्क

प्रभात खबर, हिंदुस्तान और राष्ट्रीय सहारा में संपादक रहे. खांटी भोजपुरी अंचल सीवान के मूल निवासी अश्क जी को बिहार, बंगाल, असम और झारखंड के अखबारों में चार दशक तक हिंदी पत्रकारिता के बाद भी भोजपुरी के मिठास ने ब...और पढ़ें

प्रभात खबर, हिंदुस्तान और राष्ट्रीय सहारा में संपादक रहे. खांटी भोजपुरी अंचल सीवान के मूल निवासी अश्क जी को बिहार, बंगाल, असम और झारखंड के अखबारों में चार दशक तक हिंदी पत्रकारिता के बाद भी भोजपुरी के मिठास ने ब...

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