SCO में सम्मेलन में भाग लेने चीन जा रहे हैं पीएम मोदी, ये क्या है और कब बना?

4 hours ago

Last Updated:August 26, 2025, 13:54 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से चीन दौरे पर जा रहे हैं. वह चीन के तियानजिन शहर में आयोजित होने वाले 25वें शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. चलिए जानते है इस संगठन के बारे में.

SCO में सम्मेलन में भाग लेने चीन जा रहे हैं पीएम मोदी, ये क्या है और कब बना?क्या है SCO, जिसकी बैठक में भाग लेने जा रहे हैं पीएम मोदी?

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त चीन के दो दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं. इस दौरे पर वह तियानजिन में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 25वें शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. पीएम मोदी की सात साल बाद चीन की पहली यात्रा होगी. 2020 में गलवान संघर्ष के बाद से पहली बार भारत-चीन संबंधों में सुधार बड़ा दम माना जा रहा है. पीएम मोदी की इस यात्रा का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग, और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना है. साथ ही, यह भारत की बहुपक्षीय कूटनीति और रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत करने की बड़ी कोशिश है.

क्या है SCO?

शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) एक क्षेत्रीय संगठन है. सका गठन 15 जून 2001 को शंघाई में हुआ था. इसके संस्थापक सदस्य रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान थे. 2017 में भारत और पाकिस्तान पूर्ण सदस्य बने. 2023 में ईरान और 2024 में बेलारूस शामिल हुए. वर्तमान में SCO के 10 सदस्य देश हैं, जो इस प्रकार हैं- भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस. इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता, सुरक्षा, आतंकवाद विरोध, और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है.

ठन और उद्देश्य

SCO की स्थापना सोवियत संघ के विघटन के बाद मध्य एशियाई देशों और उनके पड़ोसियों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए हुई थी. यह संगठन ‘शंघाई स्पिरिट’ पर आधारित है, जो आपसी विश्वास, लाभ, समानता और परामर्श पर जोर देता है. SCO का फोकस तीन प्रमुख खतरोंआतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटने को लेकर है. इसके अलावा यह व्यापार, ऊर्जा, पर्यावरण, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है. इसका मुख्यालय बीजिंग में है. यह क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचे (RATS) के जरिए आतंकवाद पर निगरानी रखता है.

मोदी की यात्रा का उद्देश्य

मोदी की तियानजिन यात्रा भारत-चीन संबंधों में तनाव कम करने और द्विपक्षीय वार्ता को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करेगी. 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे. हाल ही में, अक्टूबर 2024 में कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद डेमचोक और देपसांग में सैन्य वापसी पर सहमति बनी. इस यात्रा में मोदी शी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं. भारत आतंकवाद, विशेषकर सीमा पार आतंकवाद, पर कड़ा रुख अपनाने की संभावना है. 

Deep Raj Deepak

दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें

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First Published :

August 26, 2025, 13:54 IST

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