Last Updated:September 13, 2025, 16:28 IST
SDM Jayendra Singh: उत्तर प्रदेश के एक अफसर जयेंद्र सिंह काफी चर्चा में हैं. उन्हें मुजफ्फरनगर में एक बड़े जमीन विवाद के चक्कर में योगी सरकार ने निलंबित कर दिया है. जरा सोचिए अफसर बनने का सफर कितना मुश्किल होता है, लेकिन कभी-कभी एक गलत फैसला सब कुछ उलट-पुलट कर देता है. आइए आपको इनकी पूरी कहानी बताते हैं...

who is SDM Jayendra Singh: जयेंद्र सिंह का जन्म 1 मार्च 1974 को गाजियाबाद में हुआ था.गाजियाबाद उनका होम डिस्ट्रिक्ट है. पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो जयेंद्र भाई ने विज्ञान और कानून दोनों में अच्छी कमांड बनाई. पहले उन्होंने बी.एससी.यानी बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री ली. फिर अफसरी की तैयारी के लिए कानून की पढ़ाई की और एल.एल.बी. यानी बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की.पढ़ाई ने उन्हें वो आधार दिया जो एक अच्छे प्रशासनिक अधिकारी बनने के लिए जरूरी होता है.
SDM Jayendra Singh: कब बने पीसीएस अधिकारी?
अब बात करते हैं उनके करियर की. उत्तर प्रदेश सरकार की वेबसाइट के मुताबिक जयेंद्र सिंह को वर्ष 2022 में प्रमोशन देकर पीसीएस अधिकारी बनाया गया था. उन्हें आधिकारिक तौर पर उनकी नियुक्ति 26 अक्टूबर 2023 को हुई. जयेन्द्र सिंह 2022 बैच के पीसीएस अधिकारी हैं. अफसरी की दुनिया में कदम रखते ही उन्हें डिप्टी कलेक्टर का पद मिला जो एसडीएम जैसा ही होता है. पहली पोस्टिंग बिजनौर में हुई जहां वह 26 अक्टूबर 2023 से 26 अगस्त 2024 तक रहे. यहां उन्होंने आम लोगों के काम-काज संभाले, राजस्व, कानून-व्यवस्था जैसी जिम्मेदारियां निभाईं. फिर ट्रांसफर हो गया मुजफ्फरनगर में. यहां वह 27 अगस्त 2024 से 10 सितंबर 2025 तक रहे. यहां वह जानसठ इलाके में एसडीएम बने जहां जमीन के मामले ज्यादा होते हैं, लेकिन यहीं पर वो बड़ा विवाद फंस गए जो उनकी लाइफ का टर्निंग पॉइंट बन गया है.
Muzaffarnagar SDM Jayendra Singh suspended: एसडीएम जयेंद्र सिंह की प्रोफाइल.
750 बीघा जमीन और निलंबन की कहानी
जयेन्द्र जिस मामले में उलझे हैं जमीन का मामला है. मुजफ्फरनगर के जानसठ में संभलहेड़ा-इशहाकवाला गांव में करीब 750 बीघा जमीन का पुराना झगड़ा चल रहा था. ये जमीन 1962 में बनी डेरावाल कोऑपरेटिव फार्मिंग सोसाइटी के नाम पर दर्ज है. सोसाइटी के दो सदस्यों-गुलशन और हरबंस के वारिसों के बीच सालों से लड़ाई थी.मामला एसडीएम कोर्ट में पहुंचा और जुलाई 2025 में जयेंद्र सिंह ने फैसला सुना दिया.जमीन का मालिकाना हक एक पक्ष को दे दिया, लेकिन गांव वालों और दूसरे पक्ष ने हल्ला मचा दिया. आरोप लगाया कि एसडीएम साहब ने तीन करोड़ रुपये की रिश्वत ली और एकतरफा फैसला कर दिया. लोगों ने हाईकोर्ट के पुराने आदेश और तहसील रिकॉर्ड दिखाकर इसकी शिकायत स्थानीय डीएम उमेश मिश्रा से की.
डीएम ने बैठाई जांच
डीएम ने फौरन जांच बैठाई.एडीएम प्रशासन संजय सिंह की अगुवाई में तीन सदस्यों की कमिटी बनी. जांच में पता चला कि जयेंद्र सिंह ने पहले तो एक पक्ष को हक दे दिया, लेकिन विरोध होने पर अपना आदेश वापस ले लिया.ये कार्यशैली पर बड़ा सवाल था और यह नियमों के खिलाफ था. कमिटी ने उन्हें दोषी माना और डीएम को रिपोर्ट दी.डीएम ने यह जांच रिपोर्ट शासन को भेज दिया.जिसका नतीजा ये हुआ कि 11 सितंबर 2025 को जयेंद्र सिंह को सस्पेंड कर दिया गया और अब वो लखनऊ में सस्पेंडेड स्टेटस में हैं.
क्या मिलती है सीख?
जयेंद्र सिंह की कहानी से कई तरह की सीख मिलती है.गाजियाबाद के लड़के से पीसीएस अफसर बनने तक का सफर और फिर एक विवादित फैसले ने सब कुछ बदल दिया. पढ़ाई ने उन्हें कानून की बारीकियां सिखाईं, लेकिन शायद दबाव या गलती ने निलंबन की नौबत ला दी. अब आगे क्या होगा जांच पूरी होने पर पता चलेगा, लेकिन ये याद दिलाता है कि अफसरी में निष्पक्षता कितनी जरूरी है, वरना एक छोटी सी चूक बड़ी मुसीबत बन जाती है.
Dhiraj Raiअसिस्टेंट एडिटर
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...और पढ़ें
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...
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First Published :
September 13, 2025, 16:23 IST