Wang Yi India Visit: चीन के विदेश मंत्री वांग यी अपने लाव-लश्कर के साथ भारत में लैंड कर चुके हैं. अगले 3 दिन वे भारतीय सरजमीं पर रहकर पीएम नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं से मुलाकात करेंगे. यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और व्यापारिक मुद्दों पर तनाव रहा है. हालांकि बीते कुछ समय से दोनों देशों ने संबंध सुधारने के प्रयास भी किए हैं. वांग का ये दौरा उसी सिलसिले की अगली कड़ी है.
तीन साल बाद भारत आए वांग यी
वांग यी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात करेंगे. वांग यी पिछली बार मार्च 2022 में भारत आए थे. 2020 के गलवान झड़प के बाद उनकी वह पहली भारत यात्रा थी. भारत-चीन सीमा के मुद्दे पर 24वें दौर की विशेष प्रतिनिधियों की बैठक में शिरकत करेंगे.
#WATCH | Delhi: Chinese Foreign Minister Wang Yi arrives in India on a visit on 18-19 August 2025, at the invitation of NSA Ajit Doval.
EAM Dr S Jaishankar will hold a bilateral meeting with Wang Yi. During his visit, Wang Yi will hold the 24th round of the Special… pic.twitter.com/ol0Gwg74J8
— ANI (@ANI) August 18, 2025
भारत-चीन में तनाव क्यों बढ़ता गया?
भारत और चीन के बीच कड़वाहट की मुख्य वजह 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) है. 1962 के युद्ध से लेकर 2020 की गलवान झड़प तक, कई घटनाओं ने दोनों देशों के बीच अविश्वास पैदा किया है. गलवान झड़प में भारतीय सैनिकों की शहादत पर भारत ने 100 से ज्यादा चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया. इसके अलावा भारत ने निवेश पर भी सख्ती की और सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ाई. हालांकि 2022-2024 के बीच 20 से ज्यादा सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं से डेमचोक और देपसांग जैसे क्षेत्रों से डिसएंगेजमेंट यानि सैनिकों की वापसी हुई है. लेकिन स्थिति अभी भी शांतिपूर्ण नहीं है.
एक-दूसरे के लिए जरूरी क्यों?
दोनों देश आर्थिक और रणनीतिक सहयोग बढ़ाना चाहते हैं. चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, लेकिन 2024 में 100 अरब डॉलर से ज्यादा का व्यापार घाटा भारत के लिए चिंता का विषय है. आर्थिक मोर्चे पर भारत के लिए चीन इस समय और खास इसलिए भी हो गया है क्योंकि अमेरिका से संबंध पहले जैसे नहीं रहे. ऐसे में वांग यी की यात्रा भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक दोनों ही रूप से महत्वपूर्ण है.
वांग यी का दौरा तनाव कैसे कम करेगा?
वांग यी के भारत दौरे का मेन एजेंडा बीजिंग और नई दिल्ली के बीच की 'दूरी' को कम करना है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि दोनों देश नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू करेंगे, उच्च-स्तरीय संवाद बनाए रखेंगे और व्यावहारिक सहयोग बढ़ाएंगे. इस दौरे का मकसद सीमा पर शांति बहाली भी है. डोभाल से वांग यी की मुलाकात के नतीजे पर ही शांति संभव होगी.
वांग का यह दौरा डिप्लोमेसी का एक बड़ा कदम है. भारत और चीन समझते हैं कि टकराव से दोनों को नुकसान होगा. ब्रिक्स और SCO जैसे मंचों पर दोनों देश पहले से सहयोग करते आ रहे हैं.
भारत को आर्थिक लाभ होगा?
चीन से आयात पर निर्भरता कम करने के बावजूद भारत को चीनी निवेश की जरूरत है. 2024 तक चीन ने भारत में 2 अरब डॉलर से ज्यादा निवेश किया था, जो गलवान के बाद रुक गया. इस यात्रा से इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश बढ़ सकता है, जो 'मेक इन इंडिया' को बूस्ट देगा. भारत चीनी बाजार में फार्मा और कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर व्यापार घाटा कम कर सकता है.
दुनिया की 35 फीसदी आबादी भारत और चीन में
भारत और चीन की आबादी को मिला दिया जाए तो ये 2.8 अरब होती है, जो दुनिया की आबादी का 35 प्रतिशत है. दोनों मुल्कों में तनाव कम होने से सेमीकंडक्टर और रेयर अर्थ मिनरल्स की सप्लाई चेन मजबूत होगी, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद है.
भारत की 'मल्टी-अलाइनमेंट' पॉलिसी होगी मजबूत!
यह दौरा भारत की 'मल्टी-अलाइनमेंट' नीति को मजबूत करेगा. अमेरिका के साथ टैरिफ टेंशन में चीन से अच्छे संबंध भारत को बैलेंस करने में मदद करेंगे. LAC पर शांति बहाली हो गई तो भारत अपनी सैन्य तैनाती दूसरे मोर्चों पर कर सकता है.
वैश्विक मंचों पर क्या होगा प्रभाव?
ब्रिक्स और SCO में भारत की स्थिति मजबूत होगी, जहां चीन का प्रभाव बड़ा है. जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और वैश्विक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर चीन के साथ सहयोग बढ़ सकता है. यह दौरा रिन्यूएबल एनर्जी और ग्रीन टेक्नोलॉजी में साझेदारी को भी बढ़ावा दे सकता है.
अमेरिका से तनातनी के बीच दुनिया पर क्या असर होगा?
अमेरिका ने हाल ही में भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाए हैं, जो ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' पॉलिसी का हिस्सा है. इससे भारत-अमेरिका व्यापार को अच्छा खासा झटका लगा है. ऐसे में चीन के साथ करीबी वैश्विक स्तर पर भारत की स्वतंत्र छवि को और मजबूत करेगी. वांग यी का दौरा दिखाएगा कि भारत किसी एक देश पर निर्भर नहीं है और 'इंडो-पैसिफिक' रणनीति में बैलेंस बनाए रखना चाहता है.
क्या टेक्नोलॉजी में भी साथ आएंगे भारत-चीन?
भारत ने चीनी 5G कंपनियों जैसे हुवावे पर प्रतिबंध लगाया था. इस यात्रा में अगर तकनीकी सहयोग पर बात हुई, तो भारत को सस्ती और एडवांस टेक्निक मिल सकती है. हालांकि भारत का इस मसले पर हमेशा से 'सिक्योरिटी कंसर्न' रहा है.
इन मुद्दों के अलावा दोनों देशों के बीच आतंकवाद, कैलाश मानसरोवर यात्रा बहाली, सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर भी बातचीत हो सकती है.