Iran Hijab Rule: कहते हैं जिनके घर खुद शीशे के हों, उनको दूसरों पर पत्थर फेंकना नहीं चाहिए. यह बात सटीक बैठती है ईरान के टॉप सैन्य अफसर अली शमखानी पर. वो इसलिए क्योंकि यही शख्स कभी कट्टर शिया मुल्क ईरान का हिजाब निगरानी अफसर था और अब अपनी बेटी की शादी के एक पुराने वायरल वीडियो को लेकर इसकी जमकर छीछालेदर हो रही है.
दूसरों को ज्ञान, खुद चाहिए आराम
ईरान वो मुल्क है, जो अपने कट्टर और सख्त इस्लामिक नियम-कायदों के लिए जाना जाता है. वो मुल्क जहां अगर महिलाओं और लड़कियों का हिजाब ठीक ना हो तो उनको हवालात में डाल दिया जाता है. मोरल पुलिसिंग के नाम पर 80000 की भर्ती कर दी जाती है. लेकिन जब बात खुद की बेटी की आए तो अली शमखानी जैसे ताकतवर और रसूखदार लोग सारे नियम कायदों को ताक पर रख देते हैं. लेकिन अली शमखानी हैं कौन और कितने ताकतवर पदों पर वह काम कर चुके हैं. इसकी पूरी कुंडली हम आपको बताएंगे लेकिन पहले जान लेते हैं कि वह चर्चा में हैं क्यों?
The daughter of Ali Shamkhani one of the Islamic Republic’s top enforcers had a lavish wedding in a strapless dress. Meanwhile, women in Iran are beaten for showing their hair and young people can’t afford to marry. This video made millions of Iranian furious. Because they… https://t.co/MAb9hNgBnN pic.twitter.com/WoRgbpXQFA
— Masih Alinejad (@AlinejadMasih) October 19, 2025
वायरल वीडियो से बवाल
दरअसल, वो वीडियो वायरल हो रहा है, वो अली शमखानी की बेटी की शादी का है. इसमें उन्होंने स्ट्रैपलेस गाउन पहना है और उनका सिर भी ढका हुआ नहीं है. वेस्टर्न स्टाइल में शादी की भव्यता, दुल्हन की ड्रेस भी जनता में गुस्सा भर रही है. जबकि ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है. इसका पालन कराने के लिए मोरल पुलिसिंग तैनात है. वीडियो में दुल्हन की मां और अन्य महिलाएं भी बिना हिजाब नजर आ रही हैं. यानी कहा जाए कि जनता पर तो ईरान की हुकूमत ने इस्लाम के तमाम नियम-कायदे थोप रखे हैं, जबकि खुद के लिए ये सारे नियम और कायदे ताक पर हैं.
अब जानिए कि अली शमखानी हैं कौन?
अली शमखानी ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई के बेहद खास लोगों में से एक हैं. 29 सितंबर 1955 को जन्मे शमखानी ईरान के टॉप नेवी अफसर और नेता हैं, जिन्होंने साल 2013 से 2023 तक ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में बतौर सेक्रेटरी काम किया. यानी लंबे वक्त से शमखानी ईरान की सुरक्षा और सियासत की एक बड़ी हस्ती बने हुए हैं. वह ईरानी की सबसे ताकतवर सैन्य इकाई इस्लामिक रेवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स की नेवी और इस्लामिक रिपब्लिक और ईरान नेवी के कमांडर रह चुके हैं. साल 2023 से वह ईरान के सुप्रीम लीडर के पॉलिटिकल एडवाइजर और कई अहम परिषदों के मेंबर भी हैं.
इसी साल जून में जब इजरायल ने ईरान पर हमला किया था, तब शुरुआत शमखानी की मौत की खबरें आई थीं. लेकिन बाद में वह जनता के सामने आए थे, जिससे अफवाहों पर विराम लग गया था.
ईरान की क्रांति से पहले शमखानी क्लैंडेस्टाइन इस्लामिस्ट गुरिल्ला ग्रुप मंसूरौन के सदस्य थे, जो पहलावी साम्राज्य के खिलाफ मोर्चा खोले हुए था. क्रांति के बाद उन्होंने मोजाहेद्दीन ऑफ इस्लामिक रेवॉल्यूशन ऑर्गनाइजेशन जॉइन कर ली. उनकी पढ़ाई लिखाई शाहिद चमरान यूनिवर्सिटी से हुई है. साल 1988 में वह रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स में मंत्री बने. अगस्त 1997 से लेकर अगस्त 2005 तक मोहम्मद खतामी की सरकार में वह डिफेंस एंड आर्म्ड फोर्सेज लॉजिस्टिक्स के मिनिस्टर बने. साल 2001 में उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में भी ताल ठोकी थी, जिसमें वह तीसरे पायदान पर रहे थे.
2005 से लेकर 2013 तक वह ईरान के थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक स्टडीज के डायरेक्टर रहे. वह अमेरिका के साथ न्यूक्लियर वार्ता में मुख्य वार्ताकार थे.
विवादों से पुराना नाता
शमखानी ने मई 2023 में देश के टॉप डिफेंस अफसर के पद से इस्तीफा दे दिया था. न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि ईरानी सरकार ने एक सीनियर ब्रिटिश जासूस के साथ उनके मजबूत संबंधों की जांच के बाद शमखानी को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी के पद से हटा दिया था. उनके जाने की अटकलें जनवरी में उठीं, जब उनके पूर्व सहयोगी, ईरानी-ब्रिटिश राजनेता और सैन्य अधिकारी अलीरेज़ा अकबरी को यूके की ओर से जासूसी के लिए फांसी दे दी गई थी. ईरान इंटरनेशनल ने दावा किया था कि शमखानी को नाजी शरीफी-जिंदाश्ती से जुड़े सरकारी सर्कल के एक अहम सदस्य के रूप में उनकी संलिप्तता के बाद इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था, जो कथित तौर पर आईआरजीसी के साथ किडनैपिंग और मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल एक कार्टेल की अगुआई करता था.
देश में चाहते हैं एटम बम
शमखानी अकसर ईरान के लिए एटमी हथियार बनाने के पक्ष में रहे हैं. अक्टूबर 2025 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अगर मैं वापस डिफेंस में लौटता हूं तो मैं एटम बम बनाने की दिशा में कोशिशें करूंगा. उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह 1990 में लौट पाते तो अब तक ईरान के पास एटम बम होता.